हिंदी में एमबीबीएस ..?
हिंदी में एमबीबीएस – जानिये कैसे होगी आगे की पढ़ाई
एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में शुरू हो गई है, जिसके तहत एमबीबीएस प्रथम वर्ष के स्टूडेंट्स को हिंदी में किताबें मिलना शुरू हो गई है।
ग्वालियर. प्रदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में शुरू हो गई है, जिसके तहत एमबीबीएस प्रथम वर्ष के स्टूडेंट्स को हिंदी में किताबें मिलना शुरू हो गई है। चूंकि प्रथम वर्ष पूरा होने के बाद स्टूडेंट्स को द्वितीय वर्ष के लिए किताबें चाहिए, इसलिए करीब 97 टीचरों को एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की पुस्तकों को अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद के लिए लगा दिया है, ताकि स्टूडेंट्स का द्वितीय वर्ष प्रारंभ होते ही उन्हें किताबें मिल जाएं। इस प्रकार अन्य किताबें भी जल्द ही अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद कर दी जाएंगी, ताकि स्टूडेंट्स की पढ़ाई बीच में नहीं रूके और वे डॉक्टर बनकर अपनी सेवाएं देने लगें।
मध्यप्रदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई हिन्दी में शुरू होने के बाद किताबों का अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद किया जा रहा है। एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों को हिन्दी में किताबें मिलना शुरू हो चुकी हैं। इससे उन्हें पढ़ाई में काफी सहूलियत मिली रही है। अब एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की पुस्तकों का अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद किया जा रहा है। इसमें प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के 97 चिकित्सा शिक्षक जुटे हुए हैं। इनमें 10 चिकित्सा शिक्षक गजराराजा मेडिकल कॉलेज, ग्वालियर के हैं। द्वितीय वर्ष की जिन किताबों का हिन्दी में अनुवाद किया जाना है उनका चयन कर लिया गया है। अब इनका लेखन कार्य जल्द शुरू किया जाएगा। इसके लिए लगातार बैठकें की जा रही हैं। उम्मीद की जा रही है कि सत्र पूर्ण होने से पहले छात्रों को हिन्दी में पुस्तकें मिल जाएंगी, जिससे उन्हें परीक्षा की तैयारी में आसानी होगी। द्वितीय वर्ष के पुस्तकों के अनुवाद के बाद अगली कक्षाओं की पुस्तकें तैयार की जाएंगी।
13 कॉलेजों के शिक्षक कर रहे अनुवाद
प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेजों के 97 शिक्षक मिलकर एमबीबीएस की किताबों का हिन्दी में अनुवाद कर रहे हैं। इसमें गजराराजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर, महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज इंदौर, गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर आदि कॉलेजों के चिकित्सा शिक्षक शामिल हैं।
एमबीबीएस की किताबों का हिन्दी में अनुवाद किए जाने के बाद चिकित्सा शिक्षकों की टीम द्वारा इसका मिलान भी किया जाएग। अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवादित हुईं पुस्तकों में किसी शब्द का अर्थ अलग न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा। हिन्दी के जटिल शब्दों का प्रयोग न हो, इस पर भी फोकस रहेगा। भाषा जितनी स्पष्ट और सरल होगी, विद्यार्थी उतनी ही आसानी से अध्ययन कर सकेंगे। किताबें न खरीद पाने वाले छात्रों को किताबों को पीडीएफ फॉर्मेट में वाट्सऐप पर भी उपलब्ध कराया जाएगा।
जीआरएमसी से ये कर रहे सहयोग
गजराराजा मेडिकल कॉलेज, ग्वालियर के अलग-अलग डिपार्टमेंट के 10 शिक्षक किताबों का हिन्दी में अनुवाद कर रहे हैं। इनमें डॉ.सुधीर सक्सेना, डॉ. अखिलेश त्रिवेदी (एनॉटॉमी) डॉ.अजीत राजपूत, डॉ. वीरेन्द्र वर्मा, डॉ. विशाल जैन (फिजियोलॉजी), डॉ. संजीव सिंह, डॉ. कपिल श्रीवास्तव (बायोकेमिस्ट्री) आदि शामिल हैं।
सत्र खत्म होने से पहले मिलेगी किताबें
किताबों के अनुवाद का काम तीव्र गति से किया जा रहा है, जिसमें कॉलेज के चिकित्सा शिक्षक भी पहल कर रहे हैं। अनुवाद में सरल हिन्दी भाषा पर फोकस किया जा रहा है, ताकि छात्रों को परेशानी न हो। सत्र खत्म होने से पहले किताबें मिलने लगेंगी। प्रथम वर्ष की किताबें विद्यार्थियों को मिलना शुरू हो चुकी हैं।
अध्यक्ष, मेडिकल टीचर एसोसिएशन