34 महीने ग्वालियर कलेक्टर रहे कौशलेंद्र …!
राजनीतिक संतुलन बनाकर कोरोना-बाढ़ से जूझे और सौगातें भी दिलाने में कामयाब रहे कौशलेंद्र विक्रम सिंह ….
कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह को राजनीतिक संतुलन बनाने, कोरोना महामारी से मुकाबला करने और शहर को कुछ अहम सौगातें देने वाले अफसर के रूप में याद किया जाएगा। वह लगभग 34 महीने ग्वालियर के कलेक्टर रहे हैं। उनकी पोस्टिंग कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के समय 11 मार्च 2020 को हुई। कुछ दिन बाद ही कांग्रेस सरकार चली गई और प्रदेश में भाजपा सरकार सत्ता में आ गई, लेकिन इससे उनके ओहदे पर असर नहीं पड़ा। वह 34 महीने के लंबे कार्यकाल में बेहतर राजनीतिक तालमेल के साथ काम करते रहे। उन्होंने भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं से ऐसा तालमेल बैठाया। न कभी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा न कभी किसी से विवाद की स्थिति बनी।
कोरोना के दो पीक भी कौशलेंद्र विक्रम सिंह के कार्यकाल में आए। दूसरी लहर में तो उन्होंने सारे काम छोड़कर अपनी टीम के साथ बेहतर प्रबंधक की भूमिका निभाई। रात दिन एक कर कभी डॉक्टरों से बात की तो जिले में सक्रिय रहे समाज सेवियों से। जिले में कुछ न कुछ नवाचार भी कलेक्टर करते रहे। इन्हें भी प्रदेश स्तर पर सराहा गया। पिछले साल नगर निगम और पंचायत चुनाव भी शांति के साथ निपटा। कई बड़े नेताओं के दौरे के समय भी बेहतर व्यवस्थाएं कुछ दिनों में ही पूरी की गई। मुख्यमंत्री के तो अनगिनत कार्यक्रम शहर में हुए, सभी में उन्होंने शाबासी बटोरी। गुर्जर प्रतिहार के समय भी विवाद की स्थिति बनी पर इसे भी आपसी बातचीत के जरिए निपटा लिया। कलेक्टर ने कुछ मौकों पर ऐसी शालीनता भी पेश की कि उनके अपने साथी अफसर ही नाराज हो गए। फिर भले ही वह हवाई अड्डे पर भाजपा के एक युवा नेता के साथ हुआ विवाद हो या फिर कलेक्ट्रेट में आत्मदाह जैसी दो घटनाएं। वह बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से भी कुशलता से निपटे। उन्हीं के कार्यकाल में शहर को एलिवेटेड रोड, हवाई अड्डे के विस्तार के साथ एक हजार बिस्तर के अस्पताल जैसी बड़ी सौगातें भी हासिल हुईं।
ग्वालियर से बहुत कुछ सीखा
“ग्वालियर के लोगों ने मुझे बहुत प्यार दिया, बहुत सम्मान मिला और बहुत काम करने का मौका मिला। मैंने यहां के लोगों से काफी कुछ सीखा है। ग्वालियर में विकास की काफी संभावनाएं हैं।”
-कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर