भोपाल – पुलिस जवानों की कैदियों जैसी तलाशी …!

वर्दी उतार अंडरगारमेंट और प्राइवेट पार्ट कर रहे चैक; अधीक्षक बोले- मैं पहले भी ऐसे ही तलाशी कराता रहा …

भोपाल में प्रदेश की सबसे हाई सिक्योरिटी सेंट्रल जेल में ड्यूटी पर आने वाले जवानों की घटिया और शर्मनाक तरीके से हो रही तलाशी को लेकर शिकायत हुई हैं। जेल प्रहरियों की नियम विरुद्ध और अमर्यादित तरीके से सबके बीच जांच की जा रही है। जवानों का आरोप है कि यहां जेल मैनुअल का पालन नहीं हो रहा है। यहां जेल अधीक्षक राकेश भंगारे ने 4 फरवरी की रात 20 जवानों को एक साथ लाइन में खड़ा करके उनकी वर्दी उतरवाई।

वर्दी, जूते-मोजे के साथ-साथ उनके अंडरगारमेंट्स और प्राइवेट पार्ट्स तक की तलाशी ली गई। जवानों ने इसे लेकर विरोध भी दर्ज कराया है। इसे लेकर इसी महीने 4 और 8 फरवरी को विवाद की स्थिति भी बनी है। जवानों का ये भी कहना है कि तलाशी सिर्फ उनकी क्यों हो रही है? अफसरों की क्यों नहीं? जेल में आशंका होने पर महिला प्रहरियों की भी तलाशी ली जा रही है।

गौरतलब है कि अधीक्षक ने आरोप लगाया है कि सख्ती के बावजूद चरस गांजा जैसा नशा और ब्लेड जेल के भीतर पहुंचाई जा रही है।

पहली बार महिला प्रहरियों की जेल के सुनसान इलाके में ड्यूटी

यह पहली बार है जब सेंट्रल जेल के भीतर रात में सुनसान इलाके (आकब) में महिला प्रहरियों की ड्यूटी कैदियों पर निगरानी के लिए लगाई गई है। ये आकब सिमी कैदियों के बैरक से कुछ ही दूर बना है। एक महिला प्रहरी का आरोप है कि 8 फरवरी की रात 2 बजे जेल प्रहरी ईश्वरी राय ने उनसे बदसलूकी की। इसकी शिकायत उन्होंने जेल उप अधीक्षक से की है। जिसकी जांच तक शुरू नहीं हुई है।

तलाशी के तरीके पर, क्या कहते हैं जेल मैनुअल के नियम

पूर्व डीआईजी लालजी मिश्रा ने बताया कि जेल मैनुअल में दिए गए तलाशी नियमों के मुताबिक यदि किसी की तलाशी जरूरी है तो अलग कमरे में ले जाकर ली जाना चाहिए, ताकि व्यक्ति की मर्यादा भंग न हो। अलग कमरे में भी तलाशी मर्यादित तरीके से ही लेना चाहिए, लेकिन सार्वजनिक रूप से साथ में खड़ा करके इस तरह तलाशी ली जाना गलत है।

सूत्रों के अनुसार नियमानुसार तलाशी लेने का अधिकार हेड कांस्टेबल को है, जबकि यहां लंबे समय से सिपाही ईश्वरी राय प्रहरियों की तलाशी के काम में लगे हैं।

कैदियों को नशीले पदार्थ पहुंचाने की सूचना मिली थी

भोपाल सेंट्रल जेल अधीक्षक राकेश भांगरे का कहना है कि सख्ती जरूरी है, क्योंकि जेल के भीतर जवानों द्वारा चोरी-छिपे नशीले पदार्थ पहुंचाने की सूचना मिली थी। कुछ दिन पहले एक कैदी के पास ब्लेड मिली थी। जेल के भीतर यह सामान कहां से पहुंचा। इसका पता लगाने के लिए सख्ती की जा रही है। सागर जेल में भी ऐसे ही तलाशी कराता रहा हूं। इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए।

मेरी जानकारी में नहीं है, जेल अधीक्षक से बात करूंगा

डीजी जेल अरविंद कुमार का कहना है कि मेरी जानकारी में नहीं है कि भोपाल सेंट्रल जेल में जवानों की तलाशी किस तरीके से ली जा रही है। जेल अधीक्षक से बात करूंगा कि क्या चल रहा है और इसकी वजह क्या है?

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