पानी बचाने आगे आए व्यापारी, चैंबर कराएगा वाटर हार्वेस्टिंग
मानसून के दौरान भू-जल स्तर बढ़ाने और लाखों लीटर पानी की बचत करने के लिए अब शहर के व्यापारी आगे आएहैं।
ग्वालियर । शहर में आगामी मानसून के दौरान भू-जल स्तर बढ़ाने और लाखों लीटर पानी की बचत करने के लिए अब शहर के व्यापारी आगे आए हैं। शहर के व्यापारियों की शीर्ष संस्था चैंबर आफ कामर्स ने इसकी शुरुआत की है। इसके लिए चैंबर भवन में वाटर हीरो पंकज तिवारी के माध्यम से वाटर हार्वेस्टिंग कराने की तैयारी की जा रही है। इसके अलावा अन्य व्यापारियों से भी चैंबर पदाधिकारियों ने संपर्क कर वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति जागरूक होने की अपील की है। चैंबर भवन में की जाने वाली वाटर हार्वेस्टिंग से सालाना आठ लाख लीटर पानी की बचत होगी। चैंबर भवन में वाटर हार्वेस्टिंग होने के बाद व्यापारी प्रशासनिक अधिकारियों से मांग करेंगे कि वे सरकारी इमारतों में भी वाटर हार्वेस्टिंग कराएं, जिससे आम लोगों में भी इसके लिए जागरूकता फैले।
शहर में गर्मी का मौसम आते ही पानी की किल्लत शुरू हो जाती है। कई इलाकों में भू-जल स्तर गिरने के कारण बोरिंग सूख जाती हैं। इसके चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। नगर निगम द्वारा दी जाने वाली भवन निर्माण अनुमति में भी वाटर हार्वेस्टिंग की शर्त अनिवार्य रूप से लिखी होती है और इसका शुल्क भी वसूला जाता है। जब निर्माण पूरा हो जाता है, तो शुल्क वापसी का भी नियम है, लेकिन लोग न तो वाटर हार्वेस्टिंग कराते हैं न ही शुल्क वापस लेते हैं। यह क्रम वर्षों से चला आ रहा है। इसको देखते हुए अब चैंबर आफ कामर्स के व्यापारियों ने लोगों को जागरूक करने के लिए पहले स्वयं चैंबर भवन में वाटर हार्वेस्टिंग कराने का निर्णय लिया है। पिछले दिनों चैंबर अध्यक्ष डा. प्रवीण अग्रवाल ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा वाटर हीरो के अवार्ड से सम्मानित किए गए पंकज तिवारी से संपर्क कर चैंबर भवन में वर्षा जल संरक्षण के संबंध में बातचीत की। चैंबर भवन का कुल क्षेत्रफल 12 हजार वर्गफीट से अधिक है। इसमें से 10 हजार वर्गफीट क्षेत्र में वाटर हार्वेस्टिंग कराई जाएगी।
कलेक्टर से करेंगे मांग वर्तमान में कई सरकारी इमारतें ऐसी हैं, जिसमें वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में वर्षा जल ऐसे ही बहकर बर्बाद हो जाता है। चैंबर आफ कामर्स बिल्डिंग में वाटर हार्वेस्टिंग होने के बाद व्यापारी कलेक्टर से मांग करेंगे कि सभी सरकारी इमारतों में अनिवार्य रूप से वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की जाए। जो पुरानी इमारतें हैं, उनमें भी वाटर हार्वेस्टिंग कराई जाए, ताकि वर्षा का जल संरक्षण हो सके। व्यापारियों का मानना है कि इससे एक अभियान की शुरुआत होगी और आम लोगों से भी वाटर हार्वेस्टिंग कराने पर जोर दिया जाएगा।
65 से 70 करोड़ रुपये जमा वर्तमान में नगर निगम के पास वाटर हार्वेस्टिंग के बदले लिए जाने वाले शुल्क के रूप में 65 से 70 करोड़ रुपये की राशि जमा है। चूंकि यह राशि रिफंडेबल होती है, इस कारण निगम भी इसका उपयोग नहीं कर रहा है और न ही घरों में अपनी ओर से वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था कराई जा रही है। कुछ कंपनियों ने इस संबंध में नगर निगम के अधिकारियों से चर्चा भी की थी कि इस राशि से बड़े क्षेत्र में वाटर हार्वेस्टिंग के काम कराए जा सकते हैं, लेकिन अधिकारियों ने कोई रुचि नहीं ली।
हम वर्षा जल संरक्षण को एक अभियान बनाना चाहते हैं। इसकी शुरुआत स्वयं से कर रहे हैं। चैंबर भवन में वाटर हार्वेस्टिंग करा रहे हैं। व्यापारियों से भी हार्वेस्टिंग कराने की अपील कर रहे हैं। कलेक्टर से मुलाकात कर मांग करेंगे कि सभी सरकारी इमारतों में भी इसका प्रविधान किया जाए। फिर लोगों को भी जागरूक किया जाएगा।
-डा. प्रवीण अग्रवाल, अध्यक्ष, चैंबर आफ कामर्स
चैंबर भवन पर वाटर हार्वेस्टिंग कराने के लिए मुझसे बातचीत की गई थी। इसमें लगभग 10 हजार वर्गफीट क्षेत्र में हार्वेस्टिंग कराई जाएगी, जिससे एक सीजन में आठ लाख लीटर पानी की बचत हो सकेगी। इस हार्वेस्टिंग को सीधे बोरिंग से जोड़ा जाएगा, जिससे भू-जल स्तर में बढ़ोतरी होगी।
पंकज तिवारी, वाटर हीरो