ग्वालियर। उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग (उपभोक्ता फोरम) ने कोचिंग पर पढ़ाई के लिए अच्छा माहौल न दिया जाना सेवा में कमी मानी है। फोरम ने कोचिंग संचालक को आदेश दिया है कि विद्यार्थी ने जो एक लाख 80 हजार रुपये फीस के जमा किए थे, उसमें सीजीएसटी, एसजीएसटी के रुपये व कोचिंग का जो खर्च काटने के बाद एक लाख रुपये दो महीने में विद्यार्थी को वापस करें। विद्यार्थी को जो मानसिक क्षति पहुंचाई है, उसके लिए पांच हजार रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में दिए जाएं और तीन हजार रुपये केस लड़ने का खर्च अलग से दिया जाए।

आकाश यादव ने नई दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित विजन आइएएस में भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए प्रवेश लिया था। चार मार्च 2022 को कोचिंग में फीस जमा की। जब फीस जमा की गई तब आकाश को आश्वासन दिया कि एक बैच में 250 विद्यार्थी पढ़ेंगे। फीस जमा करने सात दिन तक ट्रायल के रूप में पढ़ सकते हैं। यदि पढाई पसंद न आए तो फीस वापस की जाएगी। पहले दिन कोचिंग में पहुंचा तो एक बैच में 500 विद्यार्थी बैठे हुए थे। शोरगुल काफी हो रहा था। कोचिंग में न पढाई का माहौल था और न कुछ समझ आ रहा था। तबियत खराब होने के बाद वह ग्वालियर लौट आया। स्वास्थ्य व आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए फीस के एक लाख 80 हजार रुपये वापस मांगे तो कोचिंग संचालक ने देने से मना कर दिया। उपभोक्ता फोरम के नोटिस पर विजन आइएएस ने भी जवाब दिया कि विद्यार्थी द्वारा जो आरोप लगाए है, उस तरह के वादे नहीं किए हैं। विद्यार्थी कोचिंग पर पढ़ने ही नहीं आया। फीस जमा होने के बाद रुपये लौटाने का उनके यहां नियम नहीं है। इसलिए परिवाद को खारिज किया जाए। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया और एक लाख 80 हजार रुपये में से विद्यार्थी को एक लाख रुपये वापस दिए जाने का आदेश दिया है। यदि दो महीने रुपये नहीं दिए तो सात फीसद ब्याज देना होगा।