आरबीआई के पूर्व गवर्नर बोले, पुराने पेंशन स्कीम को लागू करना है गलत फैसला, जनता के पैसे पर सरकारी कर्मचारियों की होगी मौज!

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा कि ओल्ड पेंशन योजना पर वापस लौटना एक पीछे जाने वाला कदम होगा, जिससे राजकोष पर दबाव बढ़ेगा.

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना के लागू होने से आम लोगों आमदनी का कुछ हिस्सा सरकारी कर्मचारियों को दे दी जाएगी, जबकि आम जनता में ज्यादातर के पास कोई विशेष सामाजिक सुरक्षा नहीं है. सरल भाषा टैक्स के पैसे से पुरानी पेंशन योजना का लाभ सरकारी कर्मचारियों को दिया जाएगा.

पुरानी पेंशन के तहत हर महीने मिलती है निश्चित राशि 

ओपीएस के तहत कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन दी जाती है. एक कर्मचारी पेंशन के रूप में अंतिम प्राप्त वेतन के मुकाबले 50 प्रतिशत राशि पाने का हकदार है. ओपीएस को एनडीए सरकार ने एक अप्रैल 2004 से बंद करने का फैसला किया था.

पुरानी पेंशन योजना से खजाने पर होगा दबाव 

सुब्बाराव ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना लागू करने से राज्य और देश के खजाने पर भी दबाव पड़ेगा. वहीं नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी अपनी सैलरी का 10 फीसदी हिस्सा कंट्रीब्यूट करते हैं, जबकि सरकार 14 फीसदी का योगदान देती है.

स्कूल से लेकर सड़कों तक के लिए कम मिलेगा बजट 

सुब्बाराव ने आगे कहा कि आम जनता के लिए कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है, लेकिन पुरानी पेंशन के तहत सरकारी कर्मचारियों को विशेषाधिकार ​मिलता है. सुब्बाराव ने कहा कि अगर राज्य सरकारें पुरानी पेंशन योजना पर वापस लौटती हैं, तो पेंशन का बोझ मौजूदा राजस्व पर पड़ेगा. ऐसे में स्कूलों, अस्पतालों, सड़कों और सिंचाई के लिए कम बजट मिलेगा.

इन राज्यों में ओपीएस शुरू करने का ऐलान 

राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए ओपीएस को फिर से शुरू करने का फैसला किया है. उन्होंने इस बारे में केंद्र सरकार और पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को जानकारी दी है. इसके अलावा पंजाब, झारखंड और हिमाचल प्रदेश ने भी ओपीएस पर लौटने के लिए कदम बढ़ाया है.

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