जिम्मेदारों ने छीन लिए खेल के मैदान …!
खेल मैदान के बिना कोई स्कूल नहीं हो सकता है, सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी उन तमाम स्कूलों को आइना दिखाती है ….
ग्वालियर . खेल मैदान के बिना कोई स्कूल नहीं हो सकता है, सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी उन तमाम स्कूलों को आइना दिखाती है, जिन्होंने देखते ही देखते खेल मैदान खत्म कर दिए। ग्वालियर में भी यही हुआ है। जिन बड़े सरकारी स्कूलों में खेल मैदान और खेल गतिविधियों के चर्चे होते थे, वहां अब सरकार के जिम्मेदार अफसरों ने ही कब्जा करा दिया है। कब्जा इसलिए कह रहे हैं कि किसी स्कूल के खेल मैदान को महत्वपूर्ण न समझ पानी की टंकी खड़ी करवा दी गई तो कहीं ढांचे बना दिए गए। वहीं सीएम राइज जैसे स्कूल भी बिना खेल मैदान के चल रहे हैं। सोमवार को नईदुनिया ने शहर के कुछ स्कूलों की पड़ताल की तो देखा कि इनके खेल मैदान कहां चले गए। सामने यही आया कि जिनके पास बड़े मैदान थे, वह अब नहीं रहे। स्कूलों में पढ़ने वाले देश के भविष्य के लिए जिम्मेदारों का ऐसा रवैया है।
यहां यह बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के यमुनानगर के स्कूल के खेल मैदान पर अनिधिकृत कब्जे के मामले में सुनवाई करते हुए टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि विद्यार्थी भी अच्छे पर्यावरण के हकदार हैं। खेल मैदान के बिना कोई स्कूल नहीं हो सकता है। कोर्ट ने अनधिकृत कब्जे को हटाने के आदेश जारी किए हैं। प्रदेश और ग्वालियर में भी स्कूलों के खेल मैदानों को लेकर स्थिति ठीक नहीं है।
सरकारी स्कूल: यह है स्थिति
1-थाटीपुर कन्या विद्यालय- यहां पुराने स्कूल के भवन के आगे स्कूल के लिए नया भवन बनाया जा रहा है। जहां नया भवन बन रहा है वह पहले स्कूल की छात्राएं खेलतीं थीं। अब खेल के लिए जगह नहीं बचेगी।
2-किला गेट सीएम राइज- किलागेट स्थित सीएम राइज स्कूल में खेलने के लिए कोई मैदान नहीं है।
3-गजराराजा स्कूल- गजराराजा जैसे बड़े स्कूल में बड़ा खेल का मैदान था लेकिन अब यहां खेल के मैदान की जगह पानी की बड़ी टंकी बना दी गई है। पानी की टंकी बनने के कारण पूरा मैदान अस्त-व्यस्त हो गया है। यहां पहले बड़े स्तर पर खेल होते थे।
4-शिंदे की छावनी स्कूल: इस सरकारी स्कूल में भी गजराराजा स्कूल की तरह पानी की टंकी सहित दूसरी सरकारी ईकाइयां बना दी गई हैं। खेल मैदान के लिए गतिविधियां अब नहीं हो पाती हैं।
…… अभियान: इसलिए नाम आठवीं घंटी
……ने स्कूलों के खेल मैदानों को लेकर पूरी स्थिति सामने लाने के लिए इस अभियान की शुरूआत की है। पहले स्कूलों में आठवां (अंतिम) पीरियड खेलकूद का होता था। इसीलिए अभियान की टैगलाइन आठवीं घंटी रखी गई है।
ग्वालियर में सरकारी और निजी स्कूल: स्थिति
कक्षा सरकारी स्कूल निजी स्कूल
कक्षा एक से पांच- 872 213
कक्षा एक से आठ- 277 877
कक्षा एक से एक से 12वीं 28 225
कक्षा छह से आठ- 174 7
कक्षा छह से 12- 9 12
कक्षा एक से 10- 26 204
कक्षा छह से 10- 25 3
कक्षा नौ से 10- 26 15
कक्षा नौ से 12- 24 25
नाैवीं से 12वी के सभी स्कूलों में मैदान
नौवीं से 12वीं के सभी सरकारी स्कूलों में खेल मैदान हैं। निजी स्कूलों की मान्यता देते समय निर्धारित मापदंड खेल मैदान, भवन व कमरे सभी जांचने के बाद ही मान्यता दी जाती है।
दीपक कुमार पांडेय, ज्वाइंट डायरेक्टर, स्कूल शिक्षा
कहीं-कहीं समस्या हो सकती है
ग्वालियर के सरकारी स्कूलों में खेल मैदान हैं, कहीं-कहीं समस्या हो सकती है। कुछ निजी स्कूल हो सकते हैं जहां मैदान की कमी हो या मैदान छोटा हो। अब डीईओ के पास स्कूलों की मान्यता देने के अधिकार नहीं हैं।
अजय कटियार, जिला शिक्षा अधिकारी, ग्वालियर