मध्य प्रदेश में स्कूल चला रहे निजी प्रकाशकों की पुस्तकें, सरकार हकीकत से अंजान
विभाग के मंत्री इंदरसिंह परमार ने जानकारी तो दे दी, पर उन्हें ही पता नहीं है कि वास्तविकता क्या है …
भोपाल । प्रदेश के निजी स्कूलों में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें चलाई जाती हैं, यह बात प्रत्येक अभिभावक को तो पता है, पर सरकार इससे अनजान है। स्कूल शिक्षा विभाग यह मानकर चल रहा है कि निजी स्कूलों में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें नहीं चलाई जा रही हैं। जबकि, वास्तविकता इससे हटकर है। जब अभिभावकों ने इसको लेकर प्रश्न उठाए तो भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी ने सरकार से जानकारी मांगी। उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग ने बताया कि निजी स्कूलों में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें नहीं चलाई जा रही हैं।
विभाग के मंत्री इंदरसिंह परमार ने जानकारी तो दे दी, पर उन्हें ही पता नहीं है कि वास्तविकता क्या है। प्रदेश में पहली कक्षा से हायर सेकंडरी तक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पुस्तकें पाठ्यक्रम में शामिल करने के आदेश हैं, पर इसका पालन निजी स्कूल नहीं कर रहे हैं।
वे लगभग प्रत्येक कक्षा के पाठ्यक्रम में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें शामिल कर रहे हैं। प्री-नर्सरी से आठवीं कक्षा तक पाठ्यक्रम में निजी प्रकाशकों की पुस्तकों की भरमार है। यह पुस्तकें एनसीईआरटी की पुस्तकों की तुलना में छह से आठ गुना महंगी आती हैं। इनसे स्कूल प्रबंधन और पुस्तक विक्रेताओं को अच्छा कमीशन मिलता है।
इसीलिए स्कूल पाठ्यक्रम में निजी प्रकाशकों की पुस्तकों को शामिल करते हैं। ऐसा न हो, इसकी जिम्मेदारी स्कूल शिक्षा विभाग की है, पर विभाग के अधिकारी मानते ही नहीं हैं कि प्रदेश में ऐसा भी कुछ हो रहा है। इसका ताजा उदाहरण विधायक जजपाल सिंह जज्जी को दी गई जानकारी है।
हर साल बदले जा रहे पाठ्यक्रम
पुस्तक विक्रेताओं के फेर में निजी स्कूल हर साल पाठ्यक्रम बदल रहे हैं। किसी कक्षा का पूरा पाठ्यक्रम न भी बदला जाए, तो पाठ्यक्रम की कुछ पुस्तकें बदल देते हैं, ताकि अभिभावक को किसी भी स्थिति में नई पुस्तकें खरीदनी ही पड़ें। इस साल भी राजधानी के लगभग सभी बड़े निजी स्कूलों ने विभिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रम में नई पुस्तकें शामिल की हैं।
मुझे पता करना पड़ेगा कि क्या जानकारी दी गई है। फिलहाल कोई स्कूल निजी प्रकाशकों की पुस्तकें पाठ्यक्रम में शामिल करता है या किसी दुकान विशेष से पुस्तकें खरीदने के लिए बाध्य करता है, तो अभिभावक कलेक्टर को शिकायत कर सकते हैं। ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी।
इंदरसिंह परमार, राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग
मंत्री को या तो जानकारी नहीं है या फिर वे इस परिस्थिति को लेकर गंभीर नहीं हैं। उन्हें कई बार शिकायत कर चुके हैं, पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, अधिकारी जो चाहते हैं, वे वही कहते हैं। बच्चों और पालकों से ज्यादा उन्हें निजी स्कूलों की चिंता है।
अध्यक्ष, मप्र पालक महासंघ