खत्म होगा स्कूल, पुस्तक प्रकाशक, विक्रेताओं का एकाधिकार ..!

खत्म होगा स्कूल, पुस्तक प्रकाशक, विक्रेताओं का एकाधिकार …

अभिभावकों को स्कूल मैनेजमेंट यूनिफार्म, किताबें, किसी विशेष दुकान से खरीदने नहीं कर सकेंगे बाध्य …

ग्वालियर कलेक्टर ने निजी स्कूल संचालकों, पुस्तक प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं के एकाधिकार खत्म करने के लिए धारा 144 के तहत आदेश जारी किए हैं। अब ग्वालियर शहर के निजी स्कूलों के संचालकों द्वारा छात्रों एवं पालकों को निर्धारित दुकानों से ही यूनीफार्म, जूते, टाई, किताबें, कापियां आदि खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। न ही किताबों के पूरे सेट खरीदने के लिए बाध्य किया जा सकेगा।

यदि किसी के पास कुछ पुरानी किताबें हैं तो वह शेष किताबों को पुस्तक विक्रेता से खरीद सकेगा। विक्रेता पूरा सेट खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेगा। इसी तरह किताबों के सेट का मूल्य बढ़ाने अनावश्यक सामग्री को नहीं जोड़ सकेंगे। यदि कोई ऐसा करता है और उसकी शिकायत आती है तो उस स्कूल मान्यता जा सकती है। पुस्तक प्रकाशक व विक्रेता का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।

ग्वालियर कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने बताया कि काफी समय से कुछ पेरेंट्स, सामाजिक संगठन व समाचार पत्रों के माध्यम से सूचनाएं मिली थीं कि स्कूल संचालकों व व्यवसायियों की सांठगांठ से बाजार में स्कूल ड्रेस, किताब, नोट बुक की मोनोपॉली चल रही है। स्कूल संचालकों व व्यवसायियों की सांठगांठ से इस प्रकार के कृत्य से विद्यार्थियों तथा उनके पालकों में रोष व्याप्त हो रहा है, साथ ही गरीब वर्ग के पालकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यह तथ्य भी संज्ञान में आया है कि निजी विद्यालयों के संचालक स्टेशनरी यूनिफार्म, आदि के विक्रेताओं से सांठगांठ कर पालकों का शोषण करते आ रहे हैं। विद्यालय के संचालक विक्रेताओं से छात्र संख्या के आधार कमीशन तय करते हैं, जो व्यापारी अधिक कमीशन देता है, उसे अधिकृत कर उसी दुकान से सामग्री कय करने हेतु बाध्य किया जाता है। इसके दुष्परिणामस्वरूप सामग्री एक तो मंहगी होती है तथा यदि कोई पालक कक्षा के पूरे सेट न खरीदते केवल कॉपी किताबें खरीदना चाहे तो उसे केवल उतनी कॉपी किताबें न देते हुए पूरा सेट हुए खरीदने हेतु इसलिये बाध्य किया जाता है, क्यों कि विक्रेता द्वारा पूरे सेट के आधार पर ही कुछ स्कूल संचालक को कथित रूप से कमीशन तय किया जाता है। कई बार सेट की कीमत बढ़ाने हेतु अनावश्यक सामग्री जो पाठ्यक्रम से सम्बन्धित ही नहीं है, जैसे डिक्शनरी, एटलस, आर्ट बुक, काफ्ट बुक, ड्राइंग बुक, वाटर कलर्स आदि का भी समावेश कर दिया जाता है। अब ऐसे एकाधिकार को रोकने के लिए ग्वालियर कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने जिला ग्वालियर दण्ड प्रकिया संहिता 1973 की धारा 144 (1) (2) के तहत स्कूल संचालकों, पुस्तक प्रकाशकों एवं विक्रेताओं के एकाधिकार को समाप्त के लिए आदेश जारी किए हैं।

आदेश के मुख्य बिन्दु:- स्कूल संचालक और प्राचार्य स्कूल में पुस्तकों की सूची परीक्षा परिणाम के पूर्व अपने स्कूल की वेबसाइड पर अपलोड करेंगे या सूचना पटल पर चस्पा करेंगे।
– अभिभावकों को सूची-बद्ध पुस्तकें परीक्षा परिणाम अथवा उसके पूर्व क्रय हेतु बाध्य नहीं करेंगे। अभिभावक 15 जून तक पुस्तके क्रय कर सकते हैं।

– अभिभावकों को अन्य विषयों की पुस्तकें जैसे नैतिक शिक्षा, सामान्य ज्ञान, कम्प्यूटर आदि की निजी निजी प्रकाशकों/मुद्रकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकें करने हेतु बाध्य नहीं किया जाएगा इसके साथ ही पुस्तकों के प्रचार-प्रसार हेतु निजी प्रकाशक स्कूलों में कतई प्रवेश नहीं करेंगे।वहीं गणवेश आदि खरीदने के लिए अभिभावकों को बाध्य नहीं किया जाएगा।

– अभिभावकों को पूरा सेट खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। अगर किसी के पास पुरानी किताबें हैं तो तो उन्हें केवल आवश्यकता की पुस्तकें ही उपलब्ध कराई जाएं।

– कॉपियों पर ग्रेड किस्म, साईज, मूल्य, प्रष्ठ संख्या स्पष्ट रूप से अंकित हो।कॉपी-किताब पर चढऩे वाले कवर पर स्कूल का नाम अंकित नहीं होना चाहिए।

– स्कूल की गणवेश कम से कम तीन वर्ष तक परीवर्तित नहीं की जाए।स्कूल वार्षिकोत्सव अन्यथा किसी अन्य आयोजन के लिए किसी प्रकार की वेशभूषा को विद्यार्थी और उनके अभिभावकों को क्रय करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

किताबों के सेट की कीमत:

कक्षा कीमत

नर्सरी 1249

एलकेजी 1305

यूकेजी 1675

एक 1683

दो 1748

तीन तीन 1818

चार 2053

पांच 1903

छह 1802

सात 1847

आठ 1872

(नोट: अलग-अलग स्कूलों में अलग-अलग कीमत के आधार आधार पर सेट बेचे जा रहे हैं )

अनिवार्य पुस्तकों की सूची पहले ही देनी होगी
– स्कूल संचालक / प्राचार्य स्कूल में संचालित प्रत्येक कक्षा के लिये अनिवार्य पुस्तकों की सूची विद्यालय के परीक्षा परिणाम के पूर्व ही अपने स्कूल की बेवसाइट पर अपलोड करेंगे एवं विद्यालयीन सार्वजिक सूचना पटल / स्थान पर चस्पा करेंगे। मान्यता नियमों के अन्तर्गत स्कूल की स्वयं की बेवसाइट होना अनिवार्य है। स्कूल के प्राचार्य / संचालक पुस्तकों की सूची की एक प्रति प्रवेशित अभिभावकों को प्रवेश के समय एवं परीक्षा परिणाम के समय आवश्यक रूप से उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे।

सूचीबध्द पुस्तकें परीक्षा परिणाम से पहले खरीदने विवश नहीं करेंगे
– स्कूल संचालक / प्राचार्य, विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकों को सूचीबध्द पुस्तकें परीक्षा परिणाम अथवा उसके पूर्व कय करने हेतु बाध्य नहीं करेंगे। अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 जून 2023 तक कय कर सकेंगे। ऐसी स्थिति में अप्रैल माह में प्रारंभ होने वाले शैक्षणिक सत्र में प्रथम तीस दिवस की अवधि 01 अप्रैल 2023 से 30 अप्रैल 2023 तक के मध्य का उपयोग विद्यार्थियों के ओरिएंटेशन, व्यवहारिक ज्ञान व मनोवैज्ञानिक पध्दति से शिक्षण में किया जावेगा।

स्कूल जिस नियामक बोर्ड से है उसके अतिरिक्त पुस्तक के लिए बाध्य नहीं करेंगे
– स्कूल जिस नियामक बोर्ड यथा सी.बी.एस.ई / आई.सी.एस.ई / एम.पी.बी.एस. ई / माध्यमिक शिक्षा मण्डल आदि से सम्बध्द है, उस संस्था के द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम व पाठ्यक्रम के अन्तर्गत नियामक संस्था अथवा उसके द्वारा विधिकरूप से अधिकृत ऐजेंसी यथा एन.सी.आर.टी.ई. म.प्र पाठ्य पुस्तक निगम आदि के द्वारा प्रकाशित एवं मुद्रित पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य प्रकाशकों / मुद्रकों द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकों को विद्यालय में अध्यापन हेतु प्रतिबंधित करेंगे।

निजी प्रकाशकों की अतिरिक्त पुस्तकें क्रय करने बाध्य नहीं करेंगे
-स्कूल संचालक / प्राचार्य सुनिश्चित करेंगे कि उक्त के अतिरिक्त अन्य विषयों जैसे नैतिक शिक्षा सामान्य ज्ञान, कम्प्यूटर आदि की निजी प्रकाशकों / मुद्रकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकें कय करने हेतु बाध्य नहीं किया जायेगा । स्कूल संचालक / प्राचार्य / पालक शिक्षक संघ (पी.टी.एम) सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी स्थिति में पुस्तकों के निजी प्रकाशक / मुद्रक / विक्रेता स्कूल परिसर में प्रचार प्रसार हेतु किसी भी स्थिति में प्रवेश नहीं करें।

किसी स्पेशल शॉप से सामग्री खरीदने बाध्य नहीं करेंगे
– सम्पूर्ण स्कूल संचालक / प्राचार्य द्वारा विद्यार्थियों / अभिभावकों को पुस्तकें, कापियां, यूनिफार्म आदि सम्बन्धि स्कूल / संस्था अथवा किसी भी दुकान / विक्रेता / संस्था विशेष से कय किये जाने हेतु बाध्य नहीं किया जाएगा।

सेट की कीमत बढ़ाने अनावश्यक सामग्री नहीं जोड़ेंगे
– स्कूल संचालक / प्राचार्य/विक्रेता द्वारा पुस्तकों के सेट की कीमत बढ़ाने हेतु अनावश्यक सामग्री जो निर्धारित पाठ्यकम से सम्बन्धित ही नहीं है का समावेश सेट में नहीं किया जावेगा। कोई भी विक्रेता किसी भी कक्षा पूरे सेट को कय करने की बाध्यता नहीं रखेगा, यदि किसी विद्यार्थी के पास पुरानी पुस्तकें उपलब्ध है तो उसके केवल उसकी आवश्यकता की पुस्तकें ही विक्रेता द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।

नोट बुक, कॉपी पर ग्रेड, साइज व मूल्य अंकित हो
– नोट बुक, कॉपी पर ग्रेड किस्म, साईज, मूल्य, पृष्ठ संख्या स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिये, किसी भी पुस्तक, नोट बुक, कॉपी अथवा इन पर चढ़ाये जाने वाले कवर पर विद्यालय का नाम मुद्रित नहीं किया जाना आवश्यक है।

अधिकतम दो यूनिफार्म ही निर्धारित करें
– कोई भी विद्यालय अधिकतम दो से अधिक यूनिफार्म निर्धारित नहीं कर सकेंगे ब्लेजर / स्वेटर इसके अतिरिक्त होगा। विद्यालय प्रशासन द्वारा यूनिफार्म का निर्धारण इस प्रकार किया जा सकेगा कि कम से कम 03 वर्ष तक इसमें परिवर्तन नहीं हो। विद्यालय प्रशासन द्वारा वार्षिकोत्सव अथवा अन्य किसी आयोजन पर किसी भी प्रकार की वेशभूषा को विद्यार्थियों / पालकों को कय करने हेतु बाध्य नहीं किया जाएगा। जिन विषयों के सम्बन्ध में नियमाक संस्था के द्वारा कोई पुस्तक प्रकाशित / मुद्रित नहीं की गई है उस विषय से सम्बन्धित किसी अन्य पुस्तक को अनुशंसित करने के पूर्व स्कूल संचालक सुनिश्चित करेंगे कि उक्त पुस्तक की पाठ्य सामग्री ऐसी आपत्तिजनक नहीं हो जिससे कि लोक प्रशांति भंग होने की संभावना हो ।

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