हिंदू स्कूलों और मंदिरों को तोड़ दिया जाए’ ..!
रंगजेब ने आज ही के दिन दिया था ये आदेश; क्या है पूरी कहानी
9 अप्रैल 1669, यही वो दिन था जब मुगल साम्राज्य के छठे बादशाह औरंगजेब ने हिंदुओं के मंदिरों को गिराने का आदेश दिया। ये आदेश उसके शासन वाले सभी 21 सूबों में लागू हुए। यहां हिंदुओं की धार्मिक प्रथाओं और त्योहारों को मनाने पर भी रोक लगा दी गई।
औरंगजेब के इस आदेश का जिक्र उनके दरबार से जुड़े लेखक साकी मुस्तैद खान ने अपनी किताब ‘मआसिर-ए-आलमगीरी’ के चैप्टर 12 में किया है। 1965 में प्रकाशित वाराणसी गजेटियर के पेज नंबर- 57 पर भी इस आदेश का जिक्र है। इतिहासकार मानते हैं कि इसी आदेश के बाद सोमनाथ, काशी विश्वनाथ समेत दर्जनों मंदिरों को गिराया गया।
औरंगजेब के इस आदेश को आज ठीक 354 साल हो चुके हैं।
जानेंगे कि औरंगजेब के आदेश के बाद कौन से बड़े मंदिर गिराए गए, एक्सपर्ट्स से ये भी जानेंगे कि औरंगजेब ने आखिर ऐसा आदेश क्यों दिया?
सबसे पहले जानते हैं कि कुछ बड़े मंदिरों के बारे में, जो औरंगजेब के आदेश पर गिराए गए। इनका जिक्र अलग-अलग किताबों में मिलता है। हालांकि, इतिहासकारों में इस पर आम सहमति नहीं है…
मलरीना मंदिर: आज जहां जयपुर शहर है, 350 साल पहले वह अजमेर प्रांत का हिस्सा था। यहां एक भव्य मलरीना मंदिर था। औरंगजेब ने सेना भेजकर इसे गिरवा दिया। मंदिर गिराने के 22 साल बाद 23 जून 1694 को दोबारा से औरंगजेब ने अजमेर के गवर्नर को मूर्ति पूजा पर रोक लगाने के आदेश दिए थे। ‘मुगल सम्राटों की धार्मिक नीति’ किताब के पेज नंबर-149 में श्री राम शर्मा ने इस घटना का जिक्र किया है।
चिंतामण मंदिर: अहमदाबाद के पास सरसपुर शहर में काफी मशहूर चिंतामण मंदिर था। इस मंदिर को सीतादास जौहरी ने बनवाया था। भगवान गणेश के इस मंदिर में पूरे इलाके के लोग पूजा करने के लिए आते थे। इस मंदिर को औरंगजेब के आदेश पर कुव्वत-इल-इस्लाम नाम की एक मस्जिद में बदल दिया गया। ‘मिरात-ए-अहमदी’ किताब के पेज- 232 पर इसका जिक्र है।
मूर्ति पूजा करने पर बैरागी की गिरफ्तारी: 3 अप्रैल 1694 में दिल्ली के एक अखबार से औरंगजेब को पता चला कि औरंगाबाद के जयसिंहपुरा में बैरागी मूर्तियों की पूजा करते हैं। इसके बाद औरंगजेब के आदेश पर श्रीकृष्ण बैरागी नाम के शख्स को गिरफ्तार करके उसके पास से 15 मूर्तियों को जब्त कर लिया। ‘औरंगजेब का इतिहास’ किताब के पेज- 285 पर इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने इस घटना के बारे में लिखा है।
बीजापुर में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई: 1678 में औरंगजेब के कहने पर हमीदुद्दीन खान बहादुर ने बीजापुर के मंदिर को तोड़कर उसे एक मस्जिद में बदल दिया। जब बहादुर इस आदेश को पूरा करने के बाद दरबार पहुंचा तो औरंगजेब ने उसकी प्रशंसा की थी। इस बात का जिक्र ‘मआसिर-ए-आलमगीरी’ किताब के पेज 249 पर मिलता है।
सोमनाथ मंदिर: ‘औरंगजेब का इतिहास’ किताब के पेज- 289 पर जदुनाथ सरकार लिखते हैं कि 17वींं सदी के अंत में औरंगजेब ने गुजरात प्रांत के गवर्नर को पत्र लिखकर कहा था कि,
‘सोमनाथ मंदिर को ध्वस्त करके वहां मूर्ति पूजा बंद करा दी गई थी। फिलहाल वहां की क्या स्थिति है, इसकी जानकारी नहीं है। अगर एक बार फिर से वहां मूर्ति पूजा होने लगी है तो मंदिर को इस तरह से बर्बाद कर दिया जाए कि इमारत का कोई निशान तक नहीं रहे। पूजा करने वाले लोगों को भी वहां से भगा दिया जाए।’
काशी विश्वनाथ मंदिर: 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब के आदेश के बाद सैकड़ों सैनिकों ने काशी विश्वनाथ मंदिर पर हमला कर दिया। मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया। इसका जिक्र जदुनाथ सरकार ने ‘हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब’ किताब के पेज नंबर- 282 पर किया है।
इसी तरह से 1693 में वडनगर के हथेश्वर मंदिर, उदयपुर में झीलों के किनारे बने 3 मंदिर, 7 अप्रैल 1670 को उज्जैन के आसपास के मंदिर, सवाई माधोपुर में मलारना मंदिर समेत दर्जनों बड़े मंदिरों को तोड़ने के दावे अलग-अलग किताबों में किया गया है।
अब 3 इतिहासकारों के जरिए औरंगजेब से जुड़े 4 अहम सवालों के जवाब जानते हैं…
सवाल 1: क्या औरंगजेब ने मंदिरों को तोड़ने के आदेश दिए और इसकी क्या वजह थी?
जवाब: इतिहासकार इरफान हबीब का कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि औरंगजेब ने मंदिरों को तोड़ने के आदेश जारी किए थे। उस वक्त के राजा-महाराजा मंदिर और मठ बनवाते थे। ऐसे में जब कोई दूसरा राजा उस साम्राज्य को जीतता था तो वह सबसे पहले उस साम्राज्य के प्रतीक को खत्म करना चाहता था। अकेला औरंगजेब नहीं, बल्कि कई दूसरे राजाओं ने ऐसा किया। मंदिर गिराने वालोंं मेंं हिंदू राजा भी थे।
- मौर्यों के बाद सत्ता संभालने वाले शुंग वंश के राजा पुष्यमित्र ने दर्जनों बौद्ध मठों को नष्ट किया था। इतना ही नहीं बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षुओं की हत्या भी की थी।
- सन 642 में पल्लव राजा नरसिंहवर्मन ने चालुक्यों की राजधानी वातापी में गणेश के मंदिर को लूटा और उसके बाद तोड़ दिया।
- 9वीं सदी में पांड्य राजा सरीमारा सरीवल्लभ ने भी दूसरे राज्यों पर हमला कर मंदिरों को नष्ट किया था। ये सारी घटना इतिहास के किताबों में दर्ज हैं।
इससे जाहिर होता है कि इतिहास में सभी धर्म के राजाओं के लिए मंदिर गिराना एक तरह से पावर दिखाने का माध्यम होता था।
सवाल 2: क्या औरंगजेब हिंदुओं से नफरत करता था?
जवाब: इतिहासकार इरफान हबीब का कहना है कि औरंगजेब ने पावर के लिए अपने पिता को बंदी बनाया था और भाई की हत्या कर दी थी। वह हिंदुओं से नफरत की वजह से नहीं बल्कि अपनी ताकत दिखाने के लिए मंदिर को तोड़ता था। उस समय हर राजा अपने साम्राज्य में मंदिर स्थापित कराते थे। ऐसे में दूसरा राजा इन मंदिरों को गिराकर अपनी ताकत का अहसास कराता था।
औरंगजेब के समय में सबसे ज्यादा हिंदू ही उसकी सेना में थे। वह चाहता तो इन सभी का धर्म बदलवा देता, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उसने सिर्फ अपने दुश्मनों को धर्म बदलने के लिए मजबूर किया था।
वहीं, इतिहासकार राम पुनियानी ने एक इंटरव्यू में कहा कि औरंगजेब को हिंदू विरोधी माने जाने की 2 वजह थी-
1. वह इस्लाम धर्म को मानने वाला कट्टर सुन्नी था।
2. वह मौलानाओं के प्रभाव में फैसला लेता था।
इसी कारण 3 वजहों से वह भारतीय लोगों की नजर में सबसे क्रूर और कट्टर मुगल शासक के तौर पर चर्चा में रहता है…
1. काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर।
2. मुस्लिम धर्म को नहीं मानने वाले लोगों से लिए जाने वाले जजिया टैक्स को लेकर।
3. सिख गुरू तेग बहादुर की हत्या को लेकर।
हालांकि, पुनियानी खुद औरंगजेब को हिंदुओं से नफरत करने वाला और कट्टर राजा नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने हिंदू से नफरत में नहीं, बल्कि राजाओं, जमींदारों और अपने विरोधियों को संदेश देने के लिए मंदिर गिरवाए थे।
सवाल 3: क्या जजिया और तलवार से औरंगजेब ने हिंदुओं को मुस्लिम बनाया?
जवाब: इरफान हबीब का कहना है कि भारत के मध्यकालीन इतिहास को हिंदू-मुस्लिम करके दिखाने का नतीजा है कि आज हम इस तरह से सोचते हैं। जजिया उस वक्त टैक्स लिए जाने का एक तरीका था, जो गलत या सही हो सकता है, लेकिन ये प्रैक्टिस अकेले औरंंगजेब नहीं करता था।
इरफान कहते हैं कि औरंगजेब से पहले के भी मुगल शासक अपने खजाने को भरने के लिए इस तरह के टैक्स लेते थे। उन्होंने कहा कि तलवार की ताकत पर धर्म बदलवाने की बात होती तो वो सबसे पहले अपने सैनिकों का धर्म बदलवाता। उसकी सेना और उसके अधिकारियों मे सबसे ज्यादा हिंदू थे।
वहीं, इतिहासकार राम पुनियानी का कहना है कि जजिया टैक्स औरंगजेब ने अपने शासन के शुरुआती 20 साल में नहीं लगाए थे। जब खजाना खाली हो गया तो उसने मौलानाओं के आदेश के बाद ये फैसला लिए।
औरंगजेब धर्म बदलने के लिए सिर्फ उसे मजबूर करता था जो उसके दुश्मन थे। मराठा सम्राट सांभा जी और गुरू तेग बहादुर की हत्या इसके उदाहरण हैं।
कश्मीर में हिंदुओं के इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर करने के आरोप पर पुनियानी ने नारायण कौल के ‘कश्मीर का इतिहास’ किताब के हवाले से कहा कि ऐसा करने के पीछे न तो औरंगजेब और न ही उसका गवर्नर सैफ खान था। सैफ खान की मौत के बाद उसके बेटे नए गवर्नर इफ्तिखार खान ने कश्मीरी हिंदुओं को इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया था।
सवाल 4: क्या बाद के दिनों में औरंगजेब बदल गया था और हिंदुओं के लिए अच्छे काम किए?
जवाब: इतिहासकार प्रदीप केसरवानी का कहना है कि औरंगजेब ने सिर्फ मंदिर तोड़े नहीं बल्कि बनवाए भी थे। उसके बनाए गए मंदिरों में बालाजी मंदिर चित्रकूट, उमानंद मंदिर गुवाहाटी शामिल हैं। इसी तरह कई मंदिरों जैसे महाकालेश्वर और सोमेश्वर मंदिर को उसने दान दिए थे। प्रदीप कहते हैं कि औरंगजेब और दूसरे मुगल शासकों ने हिंदू और मुस्लिम के बीच भाईचारा बढ़ाने की भी कोशिश की।
वहीं, इरफान हबीब का कहना है कि औरंगजेब कभी नहीं बदला। औरंगजेब को लगता था कि उसे खुदा ने चुना है। इसी वजह से वह अंत तक खुदा के प्रति हमेशा वफादार रहा। उसने अपने शासन के दौरान ही हिंदुओं के मंदिर तोड़े थे और बनवाए भी थे। इसलिए ये कहना कि बाद के दिनों में वह बदला सही नहीं है।
इरफान ने कहा कि उसके समय में पूरी दुनिया में एक चौथाई जीडीपी हिंदुस्तान की थी। ये सब अच्छा भी हो रहा था। औरंगजेब के फैसले को हिंदू-मुस्लिम से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उस वक्त हर धर्म के राजा शासन चलाने के लिए तलवार का इस्तेमाल करते थे। कोई ज्यादा कट्टर तो कोई कम कट्टर होता था।