अवैध हथियारों का धंधा छोड़, रोजगार से जोड़ने की पहल …!

अवैध हथियारों का धंधा छोड़, रोजगार से जोड़ने की पहल रोजगार से जोड़ने की कवायद सिर्फ कागजों पर हुई, जमीन पर अफसरों ने काम ही नहीं किया, सिकलीगर युवाओं को नहीं मिले विकल्प 
नि माड़ में अवैध हथियारों के कारोबार और उसकी सप्लाई अलग-अलग राज्यों में होने की खबरें आए दिन मिलती रहती हैं। पहली बार सरकार की खुफिया रिपोर्ट में खालिस्तान समर्थकों तक निमाड़ के हथियार पहुंचने की बात सामने आई है। पहले भी पंजाब के मूसेवाला हत्याकांडा में उपयोग किए गए हथियारों के लिंक बड़वानी से जुड़े थे। महाराष्ट्र पुलिस ने यहां छापेमारी भी की थी, लेकिन उसमें खालिस्तानी संगठनों का लिंक नहीं मिला था। मूसेवाला हत्याकांड मामले में लॉरेंस बिश्नोई गैंग के कुछ बदमाशों ने सेंधवा से हथियार खरीदने की बात कबूली थी जिसका खुलासा पुणे पुलिस ने किया था, इस खुलासे के बाद सेंधवा का उमर्टी गांव पूरे देश में चर्चा में आया था। अब यहां बन रहे हथियार का देश की सुरक्षा के लिए खतरा बने संगठनों तक पहुंचने लगे हैं। इससे एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। ये हथियार लंबे समय से बन रहे हैं, पुलिस इन पर कार्रवाई भी करती है, लेकिन अवैध हथियारों के निर्माण पर अंकुश नहीं लग पाया है। अवैध हथियार निर्माण के मामले में सिकलीगर समाज पर आरोप लगते रहे हैं। इस समाज को रोजगार से जोड़ने के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू कीं लेकिन ये कभी धरातल पर नहीं उतर पाई। प्रशासनिक अफसरों ने सिकलीगरों के गांवों में युवाओं के बीच कैंप भी लगाए लेकिन ये ज्यादा सफल नहीं हुए। समाज के लोगों की सक्रिय सहभागिता नहीं होने के चलते इनके विकल्पों पर काम नहीं हुआ। पुलिस पर भी आरोप लगते रहे हैं कि अवैध हथियारों पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ सिकलीगर समाज से जुड़े गांवों को निशाना बनाया जाता है, लेकिन शासकीय योजनाओं का लाभ देने के लिए अफसर उतनी तत्परता से आगे नहीं आते हैं। बड़वानी से लेकर, धार, खरगोन, बुरहानपुर के कई गांवों में अवैध हथियार बनाने का कुटीर उद्योग चल रहा है। इसके गांव भी चिन्हित हैं लेकिन इन गांवों में कभी कंप्लीट रिमूवल की कार्रवाई नहीं हो पाई है। जिस तरह से सिकलीगरों का नेटवर्क लगातार बढ़ता जा रहा है, पूरे देश में मप्र के अवैध हथियारों की खेप पहुंच रही है उसे रोकने के लिए अब सख्ती के साथ नए विकल्पों पर विचार करना होगा। दुगर्म गांवों के विकास का प्लान, युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए संकल्पित कार्य योजना तैयार करनी होगी। जिससे एक खास समाज की बड़ी आबादी खुद को मुख्य धारा से जोड़ सके। हथियार बनाने के बजाय वह रोजगार में आगे बढ़े, उसके लिए प्लेटफॉर्म उपल्ब्ध करवाना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *