इंदौर कलेक्टर ने तोड़ी प्राइवेट स्कूल-पब्लिशर की मोनोपॉली .?
इंदौर कलेक्टर ने तोड़ी प्राइवेट स्कूल-पब्लिशर की मोनोपॉली
एक ही दुकान से किताबें खरीदने का दबाव बनाया; केस दर्ज होने तक की पूरी कहानी…
इंदौर में चुनिंदा दुकानों से ही किताबें खरीदने के लिए बाध्य करने के मामले में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। लाला रामनगर स्थित सेंट अर्नाल्ड स्कूल के प्रिंसिपल ए. मुथु सेल्वम के खिलाफ पलासिया थाने में केस दर्ज किया गया है। इसकी शिकायत नायब तहसीलदार अरुण कुमार तिवारी ने की थी।
आरोप है कि स्कूल प्रबंधन प्रकाशकों से साठगांठ कर चुनिंदा स्टोर से ही नए सत्र की किताबें खरीदने के लिए पेरेंट्स पर दबाव बना रहा था। इसकी शिकायत कुछ पालकों ने प्रशासन से की। जांच में शिकायत सही पाई गई। प्रिंसिपल पर कलेक्टर ने आदेश का उल्लंघन करने पर धारा 188 (सरकार के निर्देशों का उल्लंघन) के अंतर्गत कार्रवाई की है।
कलेक्टर का वो आदेश, जिसका उल्लंघन करने पर कार्रवाई हुई
‘कोई भी स्कूल पेरेंट्स को एक निश्चित दुकान से किताबें, ड्रेस या अन्य सामग्री खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेगा। ऐसा करने पर स्कूल संचालकों, प्रकाशकों और विक्रेताओं पर धारा 144 के सेक्शन 2 के तहत कार्रवाई की जाएगी।’
अब मिलते हैं उस शख्स से जो कलेक्टर से मिला और उन्हें पूरी कहानी सुनाई…
प्रकाशकों ने किताबें देने से मना कर दिया
छावनी में सिंघल स्टोर्स को राज नारायण सिंघल अपने बेटे के साथ संचालित करते हैं। राजनारायण ने बताया कि स्कूल प्रशासन और प्रकाशकों की कमीशनखोरी के चक्कर में मोनोपॉली का असर उनके व्यापार पर भी पड़ा है। स्थिति ये हो गई कि साठगांठ के कारण प्रकाशक कैश पेमेंट देने पर भी किताबें देने को तैयार नहीं हैं। एक कर्मचारी को प्रकाशक के पास दिल्ली भी भेजा, लेकिन उन्होंने किताबें देने से मना कर दिया। प्रकाशक ने कहा कि इंदौर के लिए अन्य दुकानदार अधिकृत है, उन्हीं से खरीदें। इसके बाद दूसरे शहर और राज्यों के प्रकाशकों के पास ऑर्डर दिए, लेकिन मोनोपॉली के चक्कर में वे भी कैंसिल होते चले गए।
कलेक्टर ने सबूत के साथ आने का कहा
राजनारायण सिंघल कलेक्टर इलैयाराजा टी. से शिकायत करने जनसुनवाई में पहुंच गए। उन्होंने शिकायत में कहा कि प्रकाशक बुक मैजिक और रॉयल पब्लिशिंग की किताब हर क्लास में चलाई जा रही है। जो मोनोपॉली की वजह से नहीं मिल रही। कलेक्टर ने सारी बात सुनने के बाद सबूत के साथ दोबारा आने को कहा। इसके बाद वे फिर कलेक्टर से मिलने पहुंचे और सबूत के तौर पर पेरेंट्स के नंबरों की लिस्ट और अन्य दस्तावेज उन्हें सौंपे।
एनसीईआरटी की छोड़ स्कूल में महंगी किताबें पढ़ा रहे
कलेक्टर ने लिस्ट में से एक पेरेंट्स को फोन किया। पहले तो पेरेंट्स डर के कारण कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए, लेकिन जब पहचान गोपनीय रखने का भरोसा दिलाया गया तो पता चला कि सेंट अर्नाल्ड स्कूल की किताबें चुनिंदा दुकान पर ही उपलब्ध है। एनसीईआरटी की किताबों से इतर निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें स्कूल में पढ़ाई जा रही हैं। छोटी कक्षाओं में भी किताबों की लंबी-चौड़ी लिस्ट है, जबकि अन्य स्कूलों में कोर्स कम है। फिर कलेक्टर के निर्देश पर अधिकारियों ने पेरेंट्स के बयान लिए। जांच की तो सिंघल स्टोर्स के संचालक राजनारायण और पेरेंट्स की शिकायतें सही पाई गईं।
प्रशासन ने स्कूल को भेजा नोटिस
इसके बाद प्रशासन ने स्कूल प्रिंसिपल को 18 अप्रैल को एक लेटर भेजा, जिसमें कहा कि आवेदक राजनारायण सिंघल, सिंघल स्टोर्स छावनी ने आपके खिलाफ स्कूल में किताबों की मोनोपॉली संबंधी शिकायती आवेदन दिया है। 20 अप्रैल को दोपहर 3 बजे कलेक्टर कार्यालय में अनिवार्य रूप से उपस्थित हों। नहीं आने पर कार्रवाई की जाएगी।
प्रिंसिपल बोले- शिकायत में कोई सच्चाई नहीं है
सेंट अर्नाल्ड स्कूल के प्रिंसिपल फादर ए. मुथु सेल्वम ने कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी. को 20 अप्रैल को अपना लिखित जवाब भेजा। प्रिंसिपल की ओर से उनके प्रतिनिधि ने प्रशासन को पत्र सौंपा। लेटर में फादर ने लिखा कि ‘शिकायत में कोई सच्चाई नहीं है। शासन के नियमानुसार रिजल्ट के समय मार्च में ही किताबों की सूची नोटिस बोर्ड, स्कूल की एप्लिकेशन, स्कूल की वेबसाइट पर अपलोड कर दी थी। हमारे स्कूल की किताबें शहर में कम से कम 7-8 दुकान पर उपलब्ध रहती हैं। इस जवाब पत्र में कुछ दुकानदारों द्वारा दिया गया पत्र भी प्रेषित करते हैं। सिंघल स्टोर छावनी द्वारा हमारे स्कूल पर बार-बार दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। इस शिकायत के आवेदक राज नारायण सिंघल सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए स्कूल पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।’
लेकिन कलेक्टर प्रिंसिपल के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और उनके निर्देश पर 25 अप्रैल मंगलवार की शाम पलासिया थाने में प्रिंसिपल के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया गया।
स्कूल प्रशासन का दावा- इन दुकानों पर मिलती है हमारी किताबें
स्कूल प्रशासन ने अपने जवाब में ये भी बताया कि उनके स्कूल की किताबें 7-8 दुकानों पर उपलब्ध हैं। इसमें श्री इंदौर बुक डिपो एमजी रोड, श्री इंदौर बुक डिपो ओल्ड पलासिया, इंदौर बुक वाला बॉम्बे हॉस्पिटल, मदान बुक्स एचआईजी मेन रोड, गुरु बुक शॉप छावनी, नागर बुक्स एंड स्टेशनरी एमजी रोड, पंकज स्टेशनरी छावनी, कमल बुक डिपो मनोरमागंज शामिल है।
दैनिक भास्कर ने इसकी पड़ताल की तो बुक स्टोर्स संचालकों ने दावा किया कि इनमें से तीन दुकानें तो इंदौर बुक डिपो की हैं। गुरु बुक शॉप और मदान बुक्स भी एक ही है। पंकज स्टेशनरी का सिर्फ स्टेशनरी का काम है। अन्य दुकानों के पास भी किताबें नहीं हैं।
एक उदाहरण से पूरा खेल समझिए…
केंद्रीय विद्यालय का क्लास थर्ड की किताबों का सेट 435 रुपए का आता है। कॉपी भी लेने पर कुल 817 रुपए में सेट मिल जाता है। किताबों की संख्या भी 4-5 रहती हैं।
न्यू दिगंबर पब्लिक स्कूल का क्लास थर्ड की किताबों और कॉपी का सेट भी अधिकतम 2500 रुपए तक का आ जाता है। किताबों की संख्या भी अधिकतम 6 रहती हैं।
सेंट अर्नाल्ड स्कूल में क्लास थर्ड की किताबों का सेट 4269 रुपए के आसपास पड़ता है। इसमें कॉपी भी जोड़ी जाए तो आंकड़ा 5500 रुपए से ऊपर पहुंच जाता है। मोनोपॉली के कारण दुकान से कॉपी-किताब का सेट एक साथ ही पेरेंट्स को दिया जाता है। कमीशन के चक्कर में क्लास थर्ड में करीब 15 किताबें चलाई जाती हैं। कई किताबें महंगी भी हैं। प्रकाशकों से कमीशन के लालच में हर साल किताबों को भी बदल दिया जाता है, क्योंकि कुछ पेरेंट्स पुरानी किताबें भी खरीद लेते हैं।
जांच के बाद होगा खुलासा, कौन-कौन इस काम में शामिल
पलासिया थाना टीआई संजय सिंह बैस ने कहा कि तहसील कार्यालय में पदस्थ राजस्व निरीक्षक अरुण कुमार तिवारी ने एक जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इनके जांच प्रतिवेदन के आधार पर सेंट अर्नाल्ड स्कूल के प्रिंसिपल के खिलाफ कार्रवाई की गई है। शिकायत में ये पाया गया है कि अर्नाल्ड स्कूल के प्राचार्य दुकानों से साठगांठ करके उसी दुकान से किताबें लेने के लिए पेरेंट्स को बाध्य कर रहे थे। जांच में ये साफ होगा कि इसमें और कौन-कौन शामिल है।
आरोप झूठे, हमारी किताबें 7-8 दुकानों पर मिल रही
अर्नाल्ड स्कूल के पीआरओ भरत मीणा ने बताया कि स्कूल ने मोनोपॉली नहीं की है। हमारी किताबें करीब 7-8 दुकानों पर उपलब्ध है। जांच अधिकारी की तरफ से भी दुकानदारों से बात की गई, लेकिन ऐसा कुछ पाया नहीं गया। जो हमारी शिकायत दर्ज करवा रहे हैं वो खुद हमारे स्कूल की बुक्स बेच रहे हैं। पहली से आठवीं तक एनसीईआरटी की किताबें ही चलाना मेंडेटरी है। सब्जेक्ट वाली बुक्स ही लगाई हैं, कोई अतिरिक्त बुक्स नहीं हैं। हर साल बुक्स बदलने का चलन भी हमारे यहां नहीं है।