फेवरेट फूड आइटम खराब कर रहे दांत, आंखें, हड्डियां, आंत, 5 साल तक सावधानी जरूरी
1 साल तक बच्चों को नमक-चीनी से बचाएं
फेवरेट फूड आइटम खराब कर रहे दांत, आंखें, हड्डियां, आंत, 5 साल तक सावधानी जरूरी
घर में बच्चे का बर्थडे मनाने का मौका आया तो मम्मी-पापा उसके लिए केक काटते हैं या फिर बच्चे और उसके दोस्तों में चॉकलेट-टॉफी-चिप्स बांटकर बर्थडे सेलिब्रेट करते हैं।
लेकिन क्या कभी सोचा है कि ये चॉकलेट, टॉफी, केक, आइसक्रीम और जरूरत से ज्यादा चिप्स-नमकीन कहीं भविष्य में बच्चे को डायबिटीज या हायपरटेंशन का मरीज तो नहीं बना देंगे।
जी हां, बच्चे के शुगर और सॉल्ट के इनटेक पर बचपन से ही ध्यान देना जरूरी है। आजकल कंपनियां बच्चों को फोकस करके पैक्ड फूड बेच रही हैं जिनको लुभावने विज्ञापनों के जरिए उनके दिलो-दिमाग में बैठाया जाता है।
हाल ही में सोशल मीडिया पर बच्चों के एक हेल्थ ड्रिंक को लेकर एक बड़ा विवाद भी खड़ा हुआ। सोशल मीडिया पर एक इन्फ्लुएंसर ने इस ड्रिंक में शुगर की ज्यादा मात्रा होने और इसे बच्चों को न देने की सलाह दी। लीगल नोटिस मिलने के बाद इन्फ्लुएंसर को वीडियो हटाना पड़ा।
हालांकि अब ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ ने प्रति 100 ग्राम बॉर्नविटा में 37.4 ग्राम चीनी होने को लेकर नोटिस दिया है।
दरअसल, इतनी चीनी बच्चों की सेहत के लिए बहुत खतरनाक है।
जानिए बच्चों को कौन-कौन से आइटम्स सबसे ज्यादा अच्छे लगते हैं-
एक साल तक के बच्चे को नहीं देना चाहिए नमक या चीनी
दिल्ली एम्स में पीडियाट्रिशन डॉ. अंतरिक्ष कुमार कहते हैं कि एक साल तक बच्चों को नमक और चीनी नहीं दी जानी चाहिए। बच्चों की आंतें बेहद कोमल रहती हैं और नमक-चीनी से उनको अपच या आंतों में तकलीफ होने की समस्या हो सकती है।
कभी-कभी 1 साल तक के बच्चे को ज्यादा नमक खिलाना जानलेवा हो सकता है। बच्चों को फल दिए जा सकते हैं, जिनसे उनके शरीर को पर्याप्त मात्रा में शुगर मिल जाती है।
इसलिए उसे आर्टिफिशियल शुगर वाली चीजें नहीं देनी चाहिए।
बड़े बुजुर्ग बच्चों को सफेद मक्खन खिलाने को कहते हैं। क्योंकि पैकेट वाले येलो बटर में सॉल्ट होता है और बच्चों के लिए यह नुकसानदायक है।
यहां यह भी समझते चलिए कि नमक और चीनी की कितनी मात्रा एक दिन में लेनी चाहिए-
बच्चों को कम चीनी क्यों खानी चाहिए
एम्स दिल्ली में मेडिसिन विभाग के डॉ. … चतुर्वेदी बताते हैं कि चीनी की वजह से बच्चे की बॉडी में मौजूद प्रोटीन सही ढंग से पचता नहीं है। जिससे खून की नसों और स्किन के टिश्यूज का लचीलापन खत्म होने लगता है और बचपन से ही दांत गलने, हडि्डयां और आंखें कमजोर होने या मोटापे जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
बच्चों को चीनी से केवल एनर्जी मिलती है, पोषण नहीं
रांची स्थित मेडिका हॉस्पिटल में कार्यरत डायटीशियन डॉ. विजयश्री प्रसाद बताती हैं कि सफेद चीनी में ‘नेकेड कैलोरी’ होती है। इससे एनर्जी तो मिल जाती है लेकिन पोषण नहीं मिलता।
बच्चों के लिए इसका बेहतर विकल्प गुड़ या ब्राउन शुगर हो सकते हैं जिनमें एंटीऑक्सिडेंट गुण और पोषक तत्व होते हैं।
गुड़ में क्रोमियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज और जिंक जैसे खनिज होते हैं। जबकि ब्राउन शुगर में क्लोरीन, आयरन, पोटैशियम और सोडियम होता है। लेकिन ये भी बच्चे को एक साल से पहले और जरूरत से ज्यादा नहीं दिए जाने चाहिए।
संतुलित नमक-चीनी खाने की आदत डालने में पहले 5 साल बेहद अहम
दिल्ली-एनसीआर में प्रैक्टिस कर रहीं डायटिशियन ….चौहान के मुताबिक, 5 साल तक के बच्चे को पेरेंट्स अपनी निगरानी में संतुलित खान-पान के तरीके में ढाल सकते हैं। यही समय बेहद अहम रहता है, क्योंकि इसके बाद बच्चा घर से बाहर भी खाने लगता है। स्कूल में टिफिन शेयर करता है और पैक्ड फूड भी शुरू कर देता है। इसलिए इस उम्र से पहले उसकी कम चीनी और कम नमक खाने की आदत डाली जा सकती है।
बचपन को घेर रहीं बड़ों की बीमारियां
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर : जून 2022 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल साइंस (ICMR) ने देश में डायबिटीज को लेकर एक गाइडेंस डॉक्यूमेंट जारी किया जो कि भारत में डायबिटीज पर पहली डिटेल स्टडी रिपोर्ट है। इसके मुताबिक देश में बच्चों को सबसे ज्यादा टाइप-1 डायबिटीज हो रही है जबकि अडल्ट में टाइप-2 डायबिटीज बढ़ रही है।
रिपोर्ट कहती है कि देश में 14 साल से कम उम्र के बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज के करीब 95,600 केस हैं और हर साल इस तरह के करीब 15,900 नए डायबिटीज केस दर्ज किए जा रहे हैं।
डॉ. रविकांत चतुर्वेदी के मुताबिक लगातार चीनी खाने से हमारा ब्लड शुगर मैनेजमेंट प्रभावित होता है और इससे बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज का रिस्क बढ़ जाता है।
कैंडी, एनर्जी ड्रिंक जैसी मीठी चीजें ब्लड में शुगर के लेवल को तेजी से बढ़ाती हैं। ऐसे में एडेड शुगर से दूरी बनाने से ब्लड शुगर लेवल घटाने और इंसुलिन लेवल को मेंटेन करने में मदद मिलती है।
30 दिन तक चीनी पूरी तरह छोड़ दी जाए तो ब्लड शुगर कंट्रोल करने में काफी मदद मिलती है।
ज्यादा चीनी और नमक खाने से बच्चों की आंखों और पाचन पर असर : अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, 4 से 6 साल के बच्चों को एक दिन में 19 ग्राम से ज्यादा चीनी नहीं खानी चाहिए।
अगर बच्चा इससे ज्यादा चीनी या नमक खाता है तो उसकी आंखें खराब हो सकती हैं और किडनी पर भी असर पड़ता है।
इसके अलावा ज्यादा चीनी या नमक वाला फूड खाने से बच्चे को डाइजेशन और अस्थमा की समस्याएं होने लगती हैं।
2030 के बाद ज्यादा मीठा और नमकीन खाने से भारत का हर दसवां बच्चा होगा ओवरवेट
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, BMI 25 से ऊपर होने पर मोटापा माना जाता है। भारत में करीब 18 लाख बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन अधिक है और ये संख्या बढ़ती ही जा रही है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2019-21) के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में पांच साल से कम उम्र के 3.4 प्रतिशत बच्चों का वजन सामान्य से अधिक है।
यूनिसेफ की 2022 की ‘वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस’ रिपोर्ट भी बताती है कि अगले सात साल में भारत के 2.70 करोड़ से अधिक बच्चों का वजन मोटापे की श्रेणी में आ सकता है। यानी 2030 तक दुनियाभर के हर दस में से एक मोटा बच्चा भारत से होगा।
ये समस्या शहरी बच्चों में ज्यादा है जहां बच्चों को अधिक फैट, शुगर और नमक वाली डाइट मिलती है।
दुनिया के 4 देशों ने पैक्ड फूड पर लगाने शुरू कर दिए कलर मार्कर
2013 में इक्वाडोर सरकार ने बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए कार्बोनेटेड ड्रिंक में शुगर और सॉल्ट की मात्रा बताने को कहा।
इसके लिए फूड और ड्रिंक्स पर तीन रंगों का मार्कर लगाना शुरु कर दिया। जिसकी प्रेरणा उन्होंने ट्रैफिक लाइट सिस्टम से ली। जिन ड्रिंक में जरूरत से ज्यादा चीनी, नमक और फैट की मात्रा को मिलाया जाता है उन पर रेड कलर लगाते हैं। जिन प्रॉडक्ट में नमक और चीनी का लेवल मीडियम होता है उन्हें येलो मार्क किया जाता है। वहीं जिन ड्रिंक्स में नमक, चीनी और फैट की मात्रा कम पाई जाती है, उन पर ग्रीन कलर का मार्क लगता है।
2016 में चिली ने और 2019 में मेक्सिको ने कंज्यूमर को चेताने के लिए फूड प्रॉडक्ट पैकेट पर काले और सफेद अष्टभुजाकार (Octagonal) लेबल लगाने की शुरुआत की।
2020 से इजराइल ने फूड प्रॉडक्ट में फैट, शुगर और सोडियम की मात्रा ज्यादा होने पर रेड कलर से चेतावनी के वॉर्निंग लेबल लगाने शुरू कर दिए हैं।
अगले दो साल में ज्यादा चीनी-नमक खाने वाले 25 लाख लोगों पर मौत का साया
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, साल 2025 तक ज्यादा चीनी-नमक खाने से दुनिया में तकरीबन 25 लाख लोगों के जान गंवा देने की आशंका है। ज्यादा चीनी और नमक खाने से लोगों में हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा बढ़ रहा है।
अमेरिका भी बच्चों की खराब फूड हैबिट से परेशान
अमेरिका में फेडरल सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के शोधकर्ताओं ने बच्चों पर एक अध्ययन किया जिसके मुताबिक, अमेरिकी बच्चे रोज नमक और चीनी सामान्य से डेढ़ गुना ज्यादा ले रहे हैं।
स्टडी में पाया गया कि बच्चे जंक फूड, कैच अप, चीज, जैम सहित हाई कैलोरी वाला खाना खा रहे हैं। इससे हर रोज उनके शरीर में 2100 मिलीग्राम से ज्यादा चीनी और 1500 मिलीग्राम से ज्यादा नमक जा रहा है।
इससे उनमें मोटापा, ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन, डायबिटीज जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं।
स्किन के लिए नमक खतरनाक, ड्राइनेस और अर्ली एजिंग का खतरा
डायटिशियन अंशु चौहान के मुताबिक, नमक यानी अतिरिक्त सोडियम शरीर को डिहाइड्रेट करता है। इससे बॉडी के टिश्यूज पानी ज्यादा सोखने लगते हैं और शरीर में सूजन आती है।
इससे स्किन ड्राई होती जाती है और अर्ली एजिंग देखने को मिलती है। सोडियम की मात्रा बढ़ने से टिश्यूज में मौजूद कोलेजन लेवल भी बढ़ जाता है और स्किन लूज होने लगती है।
सर्दियों में बॉडी में खुश्की भी ज्यादा नमक खाने की वजह से हो सकती है।
नमक और चीनी का है दिल से कनेक्शन, एरिथ्रिटोल से होती ब्लड क्लॉटिंग
घर में खाने का स्वाद बढ़ाने वाले नमक और चीनी का कनेक्शन हमारे दिल से भी है। क्लीवलैंड क्लिनिक लर्नर रिसर्च इंस्टीट्यूट ने ब्रिटेन और यूरोप में लगभग 4 हजार लोगों पर स्वीटनर का असर देखा। स्वीटनर में होने वाला एरिथ्रिटोल तुंरत असर दिखाता है। ब्लड में इसका स्तर बढ़ने से ब्लड क्लॉटिंग और हार्ट प्रॉब्लम्स का जोखिम बढ़ता है।
एरिथ्रिटोल एक तरह का शुगर कंपाउंड है जो चीनी जैसा होता है। ये भारत में चॉकलेट, आइसक्रीम, बेकरी प्रॉडक्ट, चुइंगम और कन्फेक्शनरी में चीनी की जगह यूज होता है। इसलिए कम उम्र के बच्चों को इन प्रॉडक्ट्स से दूर रखें।