ग्वालियर  ग्वालियर सहित प्रदेश के सभी जिलों में पुलिस की मेजरमेंट कलेक्शन यूनिट शुरू होने जा रही हैं। अभी तक पुलिस के पास अपराधियों के फिंगरप्रिंट और फोटो का ही डाटाबेस होता था। यह यूनिट शुरू होने से आंख की पुतली का डाटाबेस भी तैयार होगा। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ने मध्यप्रदेश को इस यूनिट के पायलट प्रोजेक्ट के लिए चिन्हित किया है। इसको लेकर स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ने ग्वालियर सहित प्रदेश के सभी जिलों की फिंगरप्रिंट शाखा को तैयारी के निर्देश दिए हैं।

क्रिमिनल अमेंडमेंट एक्ट 2022 लागू होने के बाद से ही नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने मेजरमेंट कलेक्शन यूनिट की तैयारी शुरू कर दी थी। इस यूनिट में अपराधियों के फिंगरप्रिंट, पुतली का रंग, प्रकार और फोटो लिए जाएंगे। इस डाटा को नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के साफ्टवेयर पर अपलोड किया जाएगा। बाद में यह डाटा नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो से देशभर की पुलिस से साझा हो जाएगा। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य अपराधी की पहचान है। कई बार अपराधी भेष बदलकर विदेश भी भाग जाते हैं। ऐसे में जब पुतली का भी डाटाबेस पुलिस के पास होगा तो इस डाटा से अपराधी को पकड़ना आसान होगा।

सात साल से ज्यादा की सजायाफ्ता का स्कैन

जिन अपराधों में सात साल से अधिक सजा का प्रविधान है, ऐसे ही गंभीर मामलों में आरोपितों के पुतली और फिंगरप्रिंट स्कैन किए जाएंगे। इन्हें थानों के फोर्स द्वारा गिरफ्तार कर मेजरमेंट कलेक्शन यूनिट में लाया जाएगा। यह यूनिट डाटा कलेक्शन की मदर यूनिट रहेगी।

क्रिमिनल अमेंडमेंट एक्ट 2022 लागू होने के बाद मेजरमेंट कलेक्शन यूनिट एनसीआरबी द्वारा खोले जा रही हैं। मध्यप्रदेश को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चिन्हित किया गया है। इसके चलते सभी जिलों में मेजरमेंट कलेक्शन यूनिट खोली जाएंगी। इस संबंध में तैयारी करने के लिए सभी जिलों को पत्र जारी कर दिए गए हैं।

चंचल शेखर, एडीजी, स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो