मध्य प्रदेश की सीमाओं पर सरकार बनाएगी ई-चेक पोस्ट

मध्य प्रदेश की सीमाओं पर राज्य सरकार ई-चेक पोस्ट बनाएगी। रेत के अवैध परिवहन, भंडारण पर रोक लगाने के लिए ऐसे 150 ई पोस्ट स्थापित की जाएंगी। प्रथम चरण में उत्तर प्रदेश और राजस्थान से सटी मध्य प्रदेश की सीमाओं पर 50 ई-चेकपोस्ट बनाया जाना है। अंतरराज्यीय और अंतरजिला की सीमाओं पर बने यह ई चेक पोस्ट मानव रहित होंगे और कैमरे द्वारा आने-जाने वाले वाहनों पर नजर रखी जाएगी। इन चेक पोस्ट में रेत का परिवहन करने वाले वाहनों की नंबर प्लेट से उनकी पहचान की जाएगी और रेत परिवहन की मात्रा का पता लगाया जाएगा।

फास्टैग की तरह होगी स्कैनिंग

उत्तर प्रदेश के बाद अब राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र राज्य में चेक पोस्ट की व्यवस्था का भी अध्ययन कराया जाएगा। इसके आधार पर प्रारूप में बदलाव किए जाएंगे। चेक पोस्ट से गुजरने वाले वाहनों की स्कैनिंग फास्टैग की तरह हो, इसको लेकर सरकार प्रयास कर रही है। इसके लिए मेपआइटी की भी मदद ली जा रही है।

रेत के अवैध खनन को रोकने की तैयारी

प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों में रेत का अवैध खनन कारोबार रोकने के लिए उत्तर प्रदेश की तर्ज पिछले साल ई-चेक पोस्ट लगाने की योजना बनी थी। हालांकि महीनों की स्टडी के बाद भी चेक पोस्ट नहीं लगाए जा सके हैं। हाल ही में मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने इस योजना को स्वीकृति दे दी है, लेकिन अभी भी इसके लिए कंट्रोल रूम सहित काफी तकनीकी चीजें तय होनी हैं। खनिज साधन विभाग के अनुसार अभी आठ महीने से एक साल तक का समय और लग सकता है। बता दें कि प्रदेश के भीतर और पडोसी राज्य उत्तर प्रदेश-राजस्थान की सीमा में भी अवैध रूप से रेत का परिवहन बड़ी मात्रा में होता है।

वाहन पर नंबर प्लेट नहीं तो आरटीओ को दी जाएगी सूचना

वाहन पर नंबर प्लेट नहीं है तो कंट्रोल कमांड सेंटर से तत्काल इसकी सूचना संबंधित जिले के परिवहन कार्यालय को दी जाएगी और संबंधित वाहन की जांच कराई जाएगी। कंट्रोल कमांड सेंटर से प्रदेशभर की रेत खदानों पर भी नजर रखी जाएगी।

उत्तर प्रदेश का अध्ययन करने गया था अधिकारियों का दल

पिछले वर्ष 2022 में मध्य प्रदेश खनिज साधन विभाग के अधिकारियों का दल उत्तर प्रदेश की रेत नीति का अध्ययन करने गया था। उत्तर प्रदेश की रेत नीति का दो बार अध्ययन कराया जा चुका है और इसकी रिपोर्ट भी मंत्री समूह के समक्ष प्रस्तुत की गई है। प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव खुद भी उत्तर प्रदेश जा चुके हैं। अब मध्य प्रदेश में इस तरह का प्रयोग किया जाएगा।

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