टवारे और नामांतरण को लेकर कानूनी नियम कायदे ..?
क्यों होता है जमीन विवाद, कब होना चाहिए बंटवारा, ये हैं बंटवारे और नामांतरण को लेकर कानूनी नियम कायदे
जमीन विवाद को लेकर कई हत्याएं हो चुकी है, इनसे बचने के लिए कुछ जरूरी बातें हैं, जिनसे जमीन जायदाद आदि के विवाद को लेकर होने वाले झगड़े और हत्याओं को रोका जा सकता है।
भोपाल. जमीनी विवाद को लेकर मध्यप्रदेश में अब तक कई हत्याएं हो चुकी है, जिसमें ताजा मामला मुरैना जिले के लेपा भिड़ोसा गांव का है, छोटे से जमीन के टुकड़े को लेकर एक ही खानदान के लोगों ने एक दूसरे के मिलाकर 8 लोगों को मौत के घाट उतार दिया, हैरानी की बात तो यह है कि इसके बाद भी उस जमीन का लाभ किसी को नहीं मिला, अक्सर जमीन विवाद को लेकर हत्याएं होती रही है, ऐसे में अगर आप भी कुछ बातों पर ध्यान देंगे तो निश्चित ही भविष्य में जमीनी विवाद को लेकर होने वाली घटनाओं को रोका जा सकता है।
क्यों होता है जमीन विवाद
जमीन जायदाद को लेकर होने वाले विवाद का मुख्य कारण समय पर बंटवारा होना नहीं है, चूंकि पिता की हमेशा यही सोच रहती है कि उनके बच्चे हमेशा एक साथ रहेंगे, इसलिए वे भी जीते जी बंटवारा नहीं करते हैं, लेकिन उनकी मौत के बाद बच्चे उसी जमीन, मकान या जायदाद को लेकर झगड़े करते हैं, क्योंकि बंटवारे में हर व्यक्ति अधिक जमीन लेने, आगे की जमीन लेने या उसकी मर्जी मुताबिक बंटवारा कराना चाहता है, इससे दूसरे पक्ष सहमत नहीं होने के कारण विवाद होता है, कई बार ऐसा ही होता है कि बुजुर्ग लोग मौखिक रूप से बंटवारा कर जाते हैं, लेकिन कागजों में उनका बंटवारा नहीं होता है, इस कारण बाद में उस जमीन और जायदाद को लेकर बेटों में विवाद होता है, ऐसे में कई बार गुस्से में आकर लोग हत्या भी कर देते हैं। इससे बचने के लिए जरूरी है कि समय रहते ही माता-पिताको जमीन, मकान सहित अन्य संपत्ति का बंटवारा कर देना चाहिए, ताकि उनकी मौत के बाद बेटे-बेटियों में झगड़ा नहीं हो।
ये है कानूनी नियम
जमीन जायदाद के बंटवारे को लेकर कानून के नियम बड़े सख्त है, जिसके तहत अगर किसी व्यक्ति के चार बेटे हैं, तो चारों बेटों के नाम बराबर-बराबर जमीन होगी, अगर उनकी बेटी है तो जितनी बेटियां है, वह भी जमीन में बराबर की हिस्सेदार होगी, लेकिन अगर कोई बेटी अपना हिस्सा नहीं लेना चाहती है, तो वह लिखकर दे सकती है, फिर चारों बेटों में ही बंटवारा हो जाएगा। इस बंटवारे को अगर माता पिता स्वयं करते हैं तो वे अपनी इच्छा अनुसार बेटें बेटियों के नाम जमीन जायदाद ट्रांसफर कर सकते हैं, लेकिन उनकी मौत हो गई है, तो इसके बाद या तो सभी भार्ई बहन एकमत होकर जमीन जायदाद का बंटवारा कर लें, या फिर कानूनन उसे बराबर बराबर कर बांटा जाता है, अन्यथा बंटवारा नहीं होता है।
वकील …. ने बताया कि हर माता पिता की मंशा रहती है कि उनके बच्चे एक ही घर में एक साथ रहें, उनकी खेती भी मिलकर एक साथ करें, इस कारण वे बंटवारा नहीं कर पाते हैं, लेकिन जब उनकी मौत हो जाती है, तो इसके बाद बच्चों की आपसी सहमति नहीं बनने के कारण बंटवारे में दिक्कत आती है, इसलिए सबसे अच्छा यही होता है कि माता-पिता खुद समय रहते बंटवारा कर दें, ताकि भविष्य में झगड़े या विवाद की कोई समस्या सामने ही नहीं आए। क्योंकि उनकी मौत के बाद कानूनन सभी बेटे-बेटियां बराबर के हिस्सेदार होते हैं। इसलिए काननून किसी को भी कम या ज्यादा संपत्ति नहीं दी जा सकती है। हां अगर सभी भाई बहनों या हिस्सेदारों की सहमति है, तो उनके लिखकर देने पर बंटवारा हो जाता है।
जानिये क्या होता है नामांतरण
नगर निगम, नगर पालिका या नगर परिषद में भूमि, भवन का नामांतरण किया जाता है, जिसका अधिकार परिवार के मुखिया को होता है, वे स्वयं समय रहते अपने बच्चों के नाम नामांतरण कर सकते हैं, लेकिन उनकी मौत के बाद फिर सभी पक्षों की सहमति से ही नामांतरण किया जा सकता है, जिसके लिए शपथ पत्र के साथ ही नियमानुसार वकील द्वारा बंटवारा लेख लिखा जाता है, जिसमें सभी पक्षों के रजिस्टार कार्यालय में हस्ताक्षर होते हैं।
सहमति बंटवारा– इस बंटवारे में सभी की आपसी सहमति से बंटवारा होता है। जो नगर पालिका, नगर निगम, नगर पंचायत या रजिस्टार ऑफिस में पहुंचकर किया जा सकता है।