भोपाल देश की पहली बाघ पुनर्स्थापना परियोजना के लिए दुनियाभर में पहचान बनाने वाला पन्ना टाइगर रिजर्व अब हीरा भी उगलेगा। राज्य सरकार ने नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन (एनएमडीसी) को पार्क के किशनगढ़ बफर क्षेत्र में स्थित हथनीतोड़ पहाड़ क्षेत्र में हीरा खोजने की अनुमति दे दी है। हालांकि, अभी राष्ट्रीय वन्यप्राणी बोर्ड से अनुमति मिलने की औपचारिकता पूरी नहीं हुई है। इसलिए खोदाई शुरू होने में समय लगेगा।

यह प्रस्ताव राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में आया था, जिस पर सहमति बन गई है। इसे अब स्वीकृति के लिए राष्ट्रीय वन्यप्राणी बोर्ड भेजा गया है। कंपनी पार्क की 0.70 हेक्टेयर वनभूमि में चार इंच व्यास के सात बोर (गहरे गड्ढे) भी करेगी।
वन विभाग ने अपनी रिपोर्ट में इस क्षेत्र को 0.4 घनत्व का मिश्रित वन बताया है और कहा है कि बोर किए जाने से वृक्ष प्रभावित नहीं होंगे, सिर्फ झाड़‍ियां प्रभावित होंगी। बता दें कि पन्ना टाइगर रिजर्व के अंदर अब तक हीरों की खोज पर रोक लगी थी। प्रदेश में केवल पन्ना जिले में हीरा निकलता है, जिले में अब तक गैर वन क्षेत्रों की उथली खदानों में खोदाई की अनुमति थी। वैसे जिले में 25 हीरा खदानें हैं। इनमें सरकारी और निजी खदान शामिल हैं।

पन्ना अच्छे किस्म के हीरा के लिए प्रसिद्ध

अच्छे किस्म के हीरे के लिए पन्ना जिला पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यहां 17वीं शताब्दी से खोदाई की जा रही है। यह भारत में हीरा उत्पादन करने वाला एकमात्र खदान क्षेत्र बताया जाता है। पन्ना शहर के लगभग 80 किलोमीटर के क्षेत्र में हीरे की खदानें हैं। जिले के मझगवां में नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन एकमात्र यंत्रीकृत हीरे की खदान का संचालन कर रहा है। वर्ष 1958 से अब तक यहां से 81 हजार कैरेट हीरा निकाला जा चुका है। यहां की भूमि में तीन से 30 फीट तक की गहराई की खोदाई में निकलने वाली मिट्टी की धुलाई कर हीरा की तलाश की जाती है।