ग्वालियर : कब्जे वाली जमीन पर मालिकाना हक ..?
कब्जे वाली जमीन पर मालिकाना हक:सरकार ने अब दिसंबर 2020 तक दायरा बढ़ाया; 678 आवेदन मंजूर,10,696 रिजेक्ट
सरकारी जमीन पर कब्जा कर मकान-दुकान बना चुके लोगों को राहत देने 30 महीने पट्टा देने की प्रक्रिया चालू हुई जो अब फ्लॉप हो चुकी है। सरकार के निर्देश थे कि ऐसे कब्जेधारियों के पास भू-खंड का कोई अभिलेख न होने से बैंक लोन या आवास निर्माण में दिक्कत आती है। इसलिए 31 दिसंबर 2014 के पहले के कब्जेधारियों को तय राशि लेकर पट्टे बनाकर दे दिए जाएं। चुनावी साल के कारण पिछले महीने सरकार ने इस दायरे को अब दिसंबर 2020 तक बढ़ा दिया है। अन्य जिलों की तरह पट्टे देने की प्रक्रिया ग्वालियर में सफल नहीं हो सकी है। कारण, एक तो अफसरों में डर है कि कहीं कोई गलती न हो जाए, दूसरा-कब्जे वाली जमीन प्रतिबंधित श्रेणी के क्षेत्र में आती है।
प्रदेश के अन्य शहरों की तरह ग्वालियर में भी 24 सितंबर 2020 के बाद धारणाधिकार के तहत पट्टे के आवेदन लेने की प्रक्रिया चालू हुई जो आज तक जारी है। बात यदि जिले में अब तक की स्थिति को लेकर करें तो 10 मई तक 22 हजार 522 कब्जेधारी आवेदन कर चुके हैं। इनमें से 10 हजार 779 की जांच अभी होना बाकी है। अलग-अलग कारणों से 10 हजार 696 आवेदन राजस्व अमला रिजेक्ट कर चुका है।
सिर्फ 678 को पट्टे के लिए स्वीकृत किया गया है। इन्हें सरकारी गाइड लाइन के मुताबिक पैसा जमा करने के डिमांड लेटर जारी हो चुके हैं। जेसी मिल क्षेत्र के सर्वाधिक 244 आवेदकों ने प्रीमियम व भू-भाटक के रूप में 2 करोड़ 69 लाख 73 हजार 766 रुपए जमा कर दिए हैं। इसकी पुष्टि क्षेत्र के एसडीएम विनोद सिंह ने की। ऐसे ही मुरार और झांसी रोड के 60- 60 आवेदक भी पैसा जमा करा चुके हैं। इसकी पुष्टि यहां के एसडीएम अशोक सिंह चौहान व सीबी प्रसाद ने की। ग्वालियर सिटी में 47 प्रकरण में पैसा जमा होना बाकी है। पैसा जमा करा चुके आधे लोगों को पट्टे तैयार होने के बाद भी वितरित नहीं किए गए हैं। ऐसा जिले में किसी वीआईपी के दौरे के इंतजार में हो रहा है।
प्रशासनिक अधिकारी चाहते हैं कि बड़े राजनैतिक कार्यक्रम में एक साथ सभी को पट्टे वितरित कर दिए जाएं। कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने कहा कि जो पात्र हैं उनके पट्टे तैयार हैं, बहुत जल्द उनका वितरण कर दिया जाएगा। {दायरा बढ़ा पर उत्साह खत्म: 30 महीने से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे आवेदन अब परेशान हैं। इसी कारण छह साल का दायरा बढ़ने के बाद भी अब कलेक्ट्रेट में कतार नहीं है। अप्रैल अंत में जमा हुए आवेदनों की संख्या 22 हजार 394 थी जो 13 मई तक 22 हजार 522 तक ही पहुंची है।
आवेदन निरस्त होने के पांच बड़े कारण
- कब्जे वाली जमीन के पते पर बिजली-नल बिल, संपत्तिकर की रसीद न होना।
- सर्वाधिक कब्जे नाले किनारे पर हैं पर नाला और नदी पर पट्टे की मनाही है।
- सरकारी मंदिर-मस्जिद की जमीन घेरने वाले आवेदनों की संख्या अधिक है, यहां भी पट्टा देने की मनाही है।
- गली, खेल मैदान-पार्क और सड़क किनारे पर जो कब्जे हैं, उनके आवेदन भी निरस्त हो चुके हैं।
- ऐसी जमीन जो किसी स्कीम के लिए रिजर्व है, वहां भी पट्टे देने पर मनाही है। (इन्हीं पांच बड़े कारणों से 10696 आवेदन निरस्त हुए हैं, इनकी संख्या अभी और बढ़ेगी)