महिलाओं पर अत्याचार का सिलसिला कम नहीं हो रहा ..?
राजधानी की महिलाएं पतियों से सबसे ज्यादा प्रताड़ित, इंदौर दूसरे व ग्वालियर तीसरे नंबर पर
महिलाओं को पुरुषों के बराबर का दर्जा देने और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे नारों के बीच महिलाओं पर अत्याचार का सिलसिला कम नहीं हो पा रहा है। खास बात यह है कि शहरों की पढ़ी लिखी आबादी में यह समस्या ज्यादा है। राज्य क्राइम रिकार्ड ब्यूरों के साल की पहली तिमाही के आंकड़ों पर नजर डालें तो राजधानी की महिलाएं अपने ही घरों में सबसे ज्यादा प्रताड़ित हैं। सबसे स्वच्छ और समृद्ध शहर के रूप में पहचान रखने वाला इंदौर दूसरे नंबर पर है, लेकिन यहां ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों की संख्या भोपाल से ज्यादा है।
पतियों द्वारा महिलाओं पर किए जाने वाले अत्याचार के मामले में ग्वालियर तीसरे नंबर पर है। प्रदेश की संस्कारधानी के रूप में पहचान रखने वाला जबलपुर इस मामले में चारों महानगरों में चाैथे नंबर पर है। महिलाओं पर अत्याचार के प्रमुख कारण अहंं, बुजुर्गों के सम्मान के संस्कार कम होना और सोशल मीडिया बताया जा रहा है। छोटे-छोटे मामलों से बिगड़ते रिश्ते थाने तक पहुंच रहे हैं।
शहरी क्षेत्र में ज्यादा अपराध, देहात में कम
महिलाओं पर पतियों पर होने वाले अत्याचार का आंकड़ा ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले शहरी क्षेत्र में ज्यादा है। हालांकि शहरों में पढ़ी लिखी आबादी होने के कारण यहां ऐसे अपराधों की उम्मीद नहीं की जाती। भोपाल और इंदौर के शहरी और देहात के आंकड़ों पर नजर डालें तो बड़ा अंतर नजर आता है। भोपाल शहर में जहां तीन माह में 174 मामले दर्ज हुए तो देहात में यह आंकड़ा सिमटकर 12 रह गया। हालांकि इंदौर में इसका रेशो बढ़ा है। यहां शहरी क्षेत्र में पिछले तीन माह में 117 तो ग्रामीण क्षेत्र में 38 मामले दर्ज किए गए, जो भोपाल के ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में तीन गुना से भी अधिक हैं।
संस्कारधानी जबलपुर में सबसे कम अपराध
पतियों से प्रताड़ित महिलाओं के मामले में प्रदेश के चार महानगरों के आंकड़ों पर नजर मारें तो पता चलता है कि जहां सबसे ज्यादा अपराध प्रदेश की राजधानी भोपाल में तो सबसे कम अपराध प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर में हैं। भोपाल में पिछले तीन माह में 186 महिलाओं ने पतियों से प्रताड़ना के केस दर्ज कराए हैं, तो जबलपुर में इनकी संख्या 95 है।
अब महिलाएं अपने हक की लड़ाई लड़ रही हैं
“महिलाओं पर घर में होने वाले अत्याचारों के मामले महानगरों और शहरी क्षेत्रों में इसलिए ज्यादा दिखाई दे रहे हैं क्योंकि शिक्षा से आई जागरूकता के कारण अब महिलाएं अपने हक की लड़ाई लड़ रही हैं। यह आंकड़ा ग्रामीण क्षेत्रों में इसलिए कम है क्योंकि उन क्षेत्रों में अभी भी पति के खिलाफ खड़ा होना गलत माना जाता है।”
-डॉ. अयूब खान, समाजशास्त्री