ग्वालियर नगर : धूल में उड़ाए 79 करोड़ रुपए!
हवा साफ करने के नाम पर निगम ने 4 साल में 79 करोड़ रु. किए खर्च, प्रदूषण और बढ़ गया
ग्वालियर की सड़कों पर उड़ने वाली धूल की सफाई में लापरवाही बरतना ग्वालियर नगर निगम को भारी पड़ रहा है। 79 करोड़ रुपए खर्च कर खरीदी गईं आधुनिक मशीनों से सड़कों की सफाई, सीसी रोड का निर्माण, यहां तक की सड़कों को चौड़ा करने के बाद भी पीएम-10 (पर्टिकुलेट मैटर यानी धूल के कण) के स्तर में कमी की जगह बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों पर नजर डालें तो 2020-21 में पीएम-10 का स्तर 136.23 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर था।
वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा घटकर 121.09 पहुंच गया था। लेकिन वर्ष 2022-23 में पीएम-10 का स्तर बढ़कर 137 पर आ गया, जो कि वर्ष 2021-22 से भी ज्यादा रहा। यहां बता दें कि ग्वालियर में वायु प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण पीएम-10 को ही माना जाता है। इसके बढ़ने का प्रमुख कारण धूल है इसकी पुष्टि सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी (जो कि आईआईटी कानपुर द्वारा की गई) में भी हो चुकी है।
नगर निगम ने इन प्रमुख कार्यों पर खर्च की राशि


यह लापरवाही
शहर में बड़ी संख्या में ऐसे निजी व सवारी वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं, जो प्रदूषित धुआं उत्सर्जित करते हैं। उन पर आरटीओ द्वारा प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही।
5 सुझाव… अगर यह कार्य हों तो तेजी से सुधरेगी शहर की वायु गुणवत्ता
1. शहर के जिन मार्गों पर फुटपाथ नहीं हैं, वहां बनाए जाएं। जहां फुटपाथ हैं, वहां नियमित सफाई हो।
2. शहर के व्यस्ततम इलाकों में यातायात न बिगड़े क्योंकि जाम में फंसने से वाहन ज्यादा धुंआ छोड़ते हैं। इससे पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर बढ़ता है।
3. डिवाइडरों के आस-पास धूल की स्ट्रीट स्वीपिंग मशीन और सफाई कर्मियों द्वारा 100% सफाई हो।
4. बड़े प्रोजेक्ट से निकले सी एंड डी वेस्ट का सही निस्तारण हो। बड़ी साइट पर पर्दा लगाएं और दीवार खड़ी करें। ताकि धूल के कणों का फैलाव रुके।
5. पत्तों को एकत्रित कर चिन्हित स्थान पर डालें, ताकि उनसे खाद बनाने का काम किया जा सके।
-जैसा आरआर सेंगर, क्षेत्रीय अधिकारी, ग्वालियर मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया।