बाहुबली रमाकांत यादव की क्राइम कुंडली ..?
1977 में दर्ज हुआ था पहला मुकदमा, गेस्ट हाउस कांड के बाद चर्चा में आए थे रमाकांत …
आजमगढ़ की फूलपुर पवई से सपा के बाहुबली विधायक रमाकांत यादव को 46 साल में पहली बार सजा हुई है। जौनपुर की MP/ MLA कोर्ट की ACJM थर्ड श्वेतांश चंद्रा ने जान से मारने की धमकी और मारपीट के मामले में सजा चार माह की सजा के साथ 7 हजार का जुर्माना लगाया है।
इससे पहले लचर पैरवी और गवाहों के मुकरने से लगातार रमाकांत यादव सजा से बचते रहे हैं। साल 1977 में आजमगढ़ के जहानागंज में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। साल 2022 में जहानागंज थाने में दर्ज 54 वें मुकदमे के बाद खत्म हुआ।
जहरीली शराब कांड में आरोपी हैं रमाकांत यादव
पुलिस रिकार्ड के अनुसार, रमाकांत यादव पर हत्या, हत्या के प्रयास, गैंगेस्टर, अपहरण जैसे 54 आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। फरवरी 2022 में आजमगढ़ के माहुल में जहरीली शराब कांड में भी रमाकांत यादव आरोपी हैं। इस कांड में 13 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। जबकि 60 से अधिक लोग बीमार हो गए थे। जिस ठेके से यह शराब बिकी थी वह रमाकांत यादव के भांजे रंगेश यादव का ठेका था। साल 1995 में राजधानी के चर्चित गेस्ट हाउस कांड में भी रमाकांत यादव पर आरोप है।
गाड़ियों पर स्टीकर ही परमिट और कागज होते थे
पूर्वांचल के बाहुबलियों में गिने जाने वाले रमाकांत यादव का जिले के 80 प्रतिशत ठेकों और पट्टे पर कब्जा रहता था। सरकार चाहे किसी की भी हो, इन ठेकों पर हाथ डालने की हिम्मत किसी की नहीं होती थी। सूत्र बताते हैं कि रमाकांत यादव के जलजले का आलम यह था कि आजमगढ़ से सोनभद्र तक उनके 200 से अधिक ट्रक चलते थे। इन गाड़ियों पर लगे RKY (रमाकांत यादव) के स्टीकर ही इनकी परमिट और कागज थे। इन गाड़ियों को पुलिस से लेकर परिवहन विभाग के अधिकारी तक टच नहीं करते थे। RKY लिखे ट्रक पूरे प्रदेश में फर्राटा भरते थे। उन्हें रोकने की कुव्वत किसी में नहीं थी।
चार क्षत्रियों की जिंदा गाड़कर हत्या का आरोप
सपा के बाहुबली विधायक रमाकांत यादव और उनके भाई जिन्हें सिपाही मर्डर केस में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। सरांवा के चकगंजरी तिघरा गांव के चार क्षत्रियों को जिंदा जमीन में दफन करने का आरोप है। मामले में जिले के दीदारगंज थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था।
दीदारगंज थाना क्षेत्र के लोगों का कहना है कि चारों भाइयों को बुलाकर उन्हीं से गढ्ढे खुदवाए गए। जिसके बाद उन्हें गोली मारी गई थी। घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने शव बरामद कर रमाकांत यादव के भाई लल्लन यादव को गिरफ्तार कर अंबारी चौक पर घुमाया भी था। मगर, लचर पैरवी और गवाहों के मुकरने का फायदा दोनों भाइयों को मिला। यह चर्चित घटना तिघरा कांड के नाम से जानी जाती है।
जूनियर इंजीनियर जंगली प्रसाद की हत्या का आरोप
रमाकांत यादव पर नहर विभाग के जूनियर इंजीनियर जंगली प्रसाद भारती की पीट-पीटकर हत्या का आरोप लगा था। इस बारे में भी मुकदमा दर्ज किया गया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि रमाकांत यादव फूलपुर के पलिया माइनर की बिना खुदाई के ही पेमेंट लेना चाहते थे। जिसका विरोध जूनियर इंजीनियर जंगली प्रसाद ने किया। इसी विरोध के चलते जंगली प्रसाद भारती की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।
डा. राम बहादुर यादव हत्याकांड का आरोप
राजनैतिक प्रतिद्धंदिता के चलते पूर्व जिला पंचायत सदस्य रहे डा. राम बहादुर यादव की हत्या का भी आरोप रमाकांत यादव पर लगा। दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए राम बहादुर यादव के बेटे जन्मेजय यादव ने बताया कि पिता को रमाकांत यादव ने अपने घर पर 1999 में बुलवाया था। चार दिन के बाद पिता का शव कुंवर नदी से बरामद हुआ था। हाथ, पैर सिर के साथ शरीर पर जगह-जगह नुकीली चीज से चोट के निशान थे। इसके साथ ही जमीन संबंधी विवाद में रामबली की भी हत्या का आरोप रमाकांत यादव पर लगा।
उलेमा काउंसिल कार्यकर्ता की हत्या
साल 2009 में आजमगढ़ में ओलमा काउंसिल के कार्यकर्ता अब्दुल रहमान की हत्या का भी आरोप रमाकांत यादव पर लगा। यह हत्या 12 अगस्त 2009 को की गई थी। यह घटना उस समय घटी थी जब रमाकांत यादव अपने काफिले के साथ कहीं से लौट रहे थे। इसी बीच बाइक पर सवार बड़ी संख्या में उलमा काउंसिल के कार्यकर्ता बाइक से जा रहे थे। बाइक आगे पीछे करने समय किसी बात पर रमाकांत यादव नाराज हो गए और अब्दुल रहमान की गोली मारकर हत्या कर दी गई। ओलमा कांउसिल के पदाधिकारियों का कहना है कि इस मामले में चार गवाहों के बाद भी आजमगढ़ कोर्ट से रमाकांत यादव बरी हो गए। हालांकि यह मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। इस मामले में तत्कालीन एसपी रमित शर्मा की सक्रियता के कारण रमाकांत यादव को 11 माह जेल में रहना पड़ा और सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत करानी पड़ी।
जहरीली शराब कांड के आरोपी रमाकांत
फरवरी 2022 में जहरीली शराब कांड में सपा के बाहुबली विधायक रमाकांत यादव का नाम सामने आया। जिले के माहुल में जहरीली शराब पीने से 13 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 60 से अधिक लोग बीमार हो गए थे। जिस ठेके से बोलट नंबर वन नाम की जहरीली शराब बिकी थी वह रमाकांत यादव के भांजे रंगेश यादव का ठेका था। इस मामले में कठोर कार्रवाई करते हुए जिला प्रशासन ने इस कांड में जुड़ सभी आरोपियों पर प्रभावी कार्रवाई की।
2014 में फूलपुर थाने से उठवा ली पकड़ी शराब
साल 2014 में प्रदेश में सपा सरकार के दौरान रमाकांत यादव की दो शराब की दुकानों पर दूसरे जिलों से आई आबकारी की टीमों ने छापेमारी कर मिलावटी शराब की बिक्री करते पाया। बरामद इन शराब को फूलपुर थाने में रखकर टीम छापेमारी करने चली गई। इसके बाद रमाकांत यादव ने फूलपुर थाने से यह पकड़ी शराब मंगवा ली। साल 2014 में आजमगढ़ में हर्ष चौधरी उप आबकारी आयुक्त थे जबकि राम सिंह जिला आबकारी अधिकारी थे। रमाकांत यादव की धमक के आगे आबकारी अफसरों ने चुप्पी साधने में ही भलाई समझी।
विवादित बयान जो बने सुर्खियां
प्रदेश के सीएम योगी ने छह दिसंबर 2021 को सपा पर किया। उन्होंने कहा, “जिस गाड़ी में सपा का झंडा, उसमें बैठा है बड़ा गुंडा।” इस पर रमाकांत यादव ने पलटवार करते हुए कहा, “जिस गाड़ी में भाजपा की झंडी उसमें बैठा है पाखंडी।”
होली पर ही उन्होंने कहा था, ‘‘मैं खुद होली नहीं मनाता हूं। लोगों को भी होली मनाने से मना करता हूं। होली हम लोगों का त्योहार नहीं है।” इससे पहले रमाकांत यादव ने कलाई पर बंधा रक्षा सूत्र कटवा दिया था। कहा था कि हम लोग शूद्र हैं। दो साल पहले पूरे देश में कोरोना की आहट शुरू हुई थी। उस समय कहा था, “कहां है कोरोना? हमारे पास आ जाए, हम गले लगा लें।”
रमाकांत यादव का राजनीतिक सफर
- 1985 से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले रमाकांत यादव सपा, बसपा, भाजपा और कांग्रेस सहित सभी दलों में रह चुके हैं।
- 1985 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधानसभा का चुनाव जीते।
- 1989 में बसपा से चुनाव लड़े और चुनाव जीते।
- 1991 में समाजवादी जनता पार्टी से तीसरी बार विधानसभा का चुनाव जीते।
- 1993 में सपा के टिकट पर चौथी बार विधानसभा पहुंचे।
- 1996 में पहली बार सपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीते।
- 1999 में एक बार फिर सपा के सिंबल पर लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहे।
- 2004 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहे।
- 2009 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीते।
- 2014 का लोकसभा मुलायम सिंह यादव से हार गए।
- 2019 में भाजपा से टिकट न मिलने पर कांग्रेस के टिकट पर भदोही से लोकसभा से चुनाव लड़ने चले गए।
- 2022 के विधानसभा चुनाव में पांचवी बार विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे।