अवैध स्कूलों में ड्राइविंग का पाठ ..?
स्कूल संचालक ने कहा- ऑफिस की क्या जरूरत…आप पैसे जमा कर दो, गाड़ी सिखाने पहुंच जाएगी ..
अनाड़ियों को सीधे उतार रहे सड़क पर …
भोपाल. प्रदेश में अवैध ड्राइविंग स्कूलों की बाढ़ सी है। इनका संचालन करने वालों के पास न तो ऑफिस है और न ही क्लास लेने की व्यवस्था। बिना डिग्री-डिप्लोमा के ये किसी भी गली में स्कूल खोलकर फोन से ही इसे चलाने का दावा करते हैं। इनका कहना है कि हमारा पूरा ऑफिस गाड़ी में है, हमें ऑफिस खोलने की क्या जरूरत। पत्रिका ने जब राजधानी के कुछ ड्राइविंग स्कूल संचालकों से बात की तो अधिकतर के ऐसे ही हाल थे।
इंतजाम में फेल, पर रेटिंग फाइव स्टार की: अवैध रूप से संचालित ड्राइविंग स्कूलों ने लोगों की आंख में धूल झोंकने की व्यवस्था भी कर रखी है। अमूमन हर व्यक्ति गाड़ी चलाना सीखने से पहले इंटरनेट पर ड्राइविंग स्कूल खोजता है। उनके सर्च करते ही अवैध ड्राइविंग स्कूलों की सूची आ जाती है। अब हैरानी इस बात की है कि सूची में इनका ही नाम पहले क्यों आता है। दरअसल, इन अवैध स्कूलों को फर्जी तरीके से फाइव स्टार रेटिंग देकर इनका नाम पहले किया जाता है।
मप्र: ड्राइविंग स्कूल खोलने के नियम
ड्राइविंग स्कूल संचालक या ट्रेनर कम से कम 10वीं पास हो।
केंद्र या राज्य सरकार की मान्यता प्राप्त मोटर मैकेनिक्स या मैकेनिकल या ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की तकनीकी योग्यता (आइटीआइ डिप्लोमा) भी जरूरी।
ड्राइविंग स्कूल जिन श्रेणियों के वाहनों के प्रशिक्षण के लिए है, उन श्रेणियों का एक-एक वाहन होना चाहिए। इनका मालिक स्कूल संचालक हो।
ये वाहन टैक्सी के रूप में रजिस्टर्ड हों। रजिस्ट्रेशन, बीमा, फिटनेस और लाइफ टाइम टैक्स जमा हो।
स्कूल में ब्लैक बोर्ड, आवश्यक संकेतों के साथ रोड प्लान बोर्ड, यातायात चिह्न, ऑटोमैटिक सिग्नल्स और ट्रैफिक पुलिस का संकेत चार्ट, मोटरयान के सभी कम्पोनेंट विवरण प्रदर्शित करने वाला सर्विस चार्ट हो।
स्कूल में संचालक व कर्मचारियों के नाम, पते, योग्यता आदि की जानकारी स्पष्ट रूप से लगी हो।
केस-01
फोन पर ही बात होगी
भोपाल के गुलमोहर इलाके में संचालित एबीसी ड्राइविंग स्कूल के संचालक का कहना था कि 7 दिन के 1800 रुपए लगेंगे और दोपहिया व चारपहिया के लाइसेंस का 3000 अलग से देना होगा। ऑफिस आकर बात करने की बात पर कहा, हमारे पास न तो ऑफिस है और न बैठने का समय। जो बात करनी हो फोन पर कर लें।
हर काम के पैसे
…… ड्राइविंग स्कूल के संचालक से जब टीम ने संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि उनके पास कोई ऑफिस और स्कूल नहीं है। आप ₹1500 जमा करवा दें। गाड़ी आपको सिखाने के लिए पहुंच जाएगी। अगर लाइसेंस भी चाहिए तो ₹3500 देने होंगे। इस काम के लिए हमें ऑफिस की क्या जरूरत।
ड्राइविंग स्कूल संचालन के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाया है। अनुमति देने से पहले इसकी जांच की जाती है। कुछ वाहन चालक मनमाने तरीके से बोर्ड लगाकर ड्राइविंग सिखाने का दावा करते हैं, उन पर कार्रवाई की जाती है।
–एके सिंह, उपायुक्त, परिवहन