मप्र पुलिस की नई व्यवस्था : अब विदेश यात्रा … फिंगर प्रिंट्स की जांच रिपोर्ट लेना होगा अनिवार्य …

मप्र पुलिस की नई व्यवस्था : फिंगर प्रिंट्स की जांच रिपोर्ट लेना होगा अनिवार्य …

नेफिस सॉफ्टवेयर के जरिए जांचेंगे फिंगर प्रिंट, जिला मुख्यालयों पर हो सकेगी स्कैनिंग

अब एडवांस आइरिस स्कैनर की कवायद

भोपाल. अब विदेश यात्रा के लिए पासपोर्ट या शस्त्र लाइसेंस बनवाना आसान नहीं होगा। आप पुलिस की एनओसी और जांच रिपोर्ट में कोई भी तथ्य छुपा नहीं सकेंगे, क्योंकि इसमें फिंगर प्रिंट्स की जांच होगी। ऐसे में अगर आपने देश में कहीं भी अपराध किया है तो पासपोर्ट भूल ही जाओ। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय ने सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी कर दिए हैं। आवेदकों के फिंगर प्रिंट्स को नेफिस (नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर प्रिंट आइडेंटिफिकेशन) सॉफ्टेवयर में फीड करके जांचा जाएगा। बता दें कि नेफिस में प्रदेश ही नहीं देश भर के डेढ़ करोड़ से अधिक अपराधियों के फिंगर प्रिंट्स हैं।

फिंगर प्रिंट्स की तरह रेटिना भी पहचान का अहम हिस्सा है। जल्द ही आइरिस स्कैनर की व्यवस्था की जाएगी। अभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर आइरिस स्कैनर से यात्रियों की जांच होती है। जिनके फिंगर प्रिंट्स धुंधले होते हैं, उनके लिए आइरिस स्कैनिंग कारगर होगी।

आगर-मालवा के एक थाने से आए आइडिया ने बदली व्यवस्था

ने फिस से फिंगर प्रिंट्स की जांच कर शस्त्र लाइसेंस और पासपोर्ट के एनओसी जारी करने की शुरुआत छह महीने पहले आगर-मालवा से हुई थी। यहां शस्त्र लाइसेंस के लिए आए आवेदक के फिंगर प्रिंट्स लेकर इसकी जांच की गई तो पता चला कि आवेदक पर उप्र में एक प्रकरण दर्ज है। इसके बाद यहां अन्य आवेदनों की जांच की गई तो इनमें भी इस तरह के मामले सामने आए। इसकी जानकारी एससीआरबी के जरिए पीएचक्यू को दी गई तो सभी जिलों में शस्त्र और पासपोर्ट के आवेदनों की जांच नेफिस से कराने का निर्णय लिया गया।

अब लाइव स्कैनर की भी सुविधा

स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) की इकाई मप्र फिंगर प्रिंट रिकॉर्ड ब्यूरो ने जिला स्तर पर फिंगर प्रिंट अधिकारी की तैनाती के साथ ही लाइव स्कैनर मुहैया कराए हैं। अब इनकी जांच से गुजरने के बाद ही पासपोर्ट और शस्त्र लाइसेंस बन सकेगा। इसमें यदि किसी आवेदक का क्राइम रिकॉर्ड मिलता है तो उसे दिक्कत होगी। गौरतलब है कि एक साल या अधिक सजा वाले अपराधों में आरोपी के फिंगर प्रिंट्स थानों में लिए जाते हैं। सजायाफ्ता व विचाराधीन कैदियों के फिंगर प्रिंट्स भी नेफिस में सेव किए जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *