इंदौर,  मानसून शुरू होते ही शिक्षा विभाग को अचानक सरकारी स्कूलों के जर्जर भवन याद आए। बरसात को देखते हुए जिला शिक्षा कार्यालय से एक पत्र जारी हुआ है, जिसमें प्राचार्यों को सावधानी बरतने पर जोर दिया है। पत्र के माध्यम से खस्ता हाल हो चुके कमरों में विद्यार्थियों की कक्षा नहीं लगाने की बात कहीं। दिशा-निर्देश देते हुए अधिकारियों ने स्कूलों से उनके भवन की स्थिति के बारे में पूछा है। साथ ही परिसर में पानी निकासी की उचित व्यवस्था करने को बोला है।
पहली से बारहवीं कक्षा संचालित करने वाले विद्यालयों की संख्या पूरे जिले में करीब एक हजार से अधिक है। जहां एक से सवा लाख छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। प्रदेशभर के स्कूलों की स्थिति को लोक शिक्षण संचालनालय आयुक्त ने बीते दिनों वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि संस्थानों को सावधानी बरतते हुए विद्यालय भवन के जो कक्ष जीर्ण-शीर्ण व जर्जर अवस्था में हो चुके है। वहां किसी भी विद्यार्थियों की कक्षाएं नहीं लगाई जाए। यहां तक कि स्टाफ भी वहां न बैठक व्यवस्था रखे।
लय को लेकर जिला शिक्षा अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। इसके चलते प्रत्येक जिले में कार्यालय से पत्र जारी किया गया है। वहां से स्सभी संकुल प्राचार्य, शाला प्रभारी व समस्त प्रधानाध्यापक (शास. उमावि, हाईस्कूल जिला-इंदौर शासकीय मावि-प्राथमिक विद्यालय) को दिए गए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा है कि बारिश में छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के लिए आवश्यक सावधानियां बरतने के निर्देश का सख्ती से पालन करना है ताकि, किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना-दुर्घटना से बचा जा सके।
\यह भी देखना है कि विद्यालय में बिजली के तार खुले या अस्त-व्यस्त ना हों, परिसर या उसके पास में लगे हुए पेड़ की बड़ी-बड़ी टहनियां-डगाल गिरने जैसी स्थिति हो, तो नगर निगम आदि विभाग से संपर्क कर उनकी छंटनी करा लें ताकि तेज हवा चलने के दौरान दुर्घटना ना हो। ऐसे ही परिसर या खेल मैदान में गड्डे हों तो बारिश के दौरान उन्हें तुरंत भरने की व्यवस्था करें, जिससे छात्र-छात्राओं को चोट ना लगें।