डिजिटल-युग में सफलता के लिए एक पर्सनल ब्रांड बनाएं
रिचर्ड ब्रैंसन ने उचित ही कहा था कि आपका पर्सनल ब्रांड यही नहीं होता कि आप क्या करते हैं, बल्कि यह भी होता है कि आप जो करते हैं, उसको कैसे करते हैं। आपके कार्यों में आपके मूल्य और सिद्धांत झलकने चाहिए। एक ऐसे करियर की कल्पना करें, जिसमें आपको अपनी यूनीक स्किल्स, नॉलेज और मूल्यों के प्रदर्शन का मौका मिले।
जिसमें आप अपनी विशेषज्ञता दिखाते हुए खुद को एक थॉट-लीडर के रूप में स्थापित कर सकें और रेज्यूमे, कवर लेटर्स, इंटरव्यू के बिना भी नित-नए अवसरों को अपनी तरफ खींचते रहें। यह सब सम्भव है पर्सनल ब्रांडिंग से, जो कि डिजिटल-युग में पेशेवर सफलता पाने का सशक्त जरिया है।
पर्सनल ब्रांडिंग का मतलब है अपनी स्किल्स, नॉलेज और अनुभवों को प्रभावी तरीके से दूसरों तक सम्प्रेषित करना। यह अपनी इंडस्ट्री या किसी जॉब कम्युनिटी में किया जाता है। इससे न केवल आप स्वयं को बेहतर तरीके से परिभाषित कर पाते हैं, बल्कि अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए नेटवर्किंग सम्बंधी अवसरों में एक दीर्घकालीन छाप भी छोड़ते हैं। इससे आपकी एक प्रतिष्ठा बनती है और आप नियोक्ताओं की नजर में आते हैं।
वर्तमान समय में नियोक्ता सोशल मीडिया पर बहुत निर्भर करते हैं, विशेषकर लिंक्डइन और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्मों पर। इनकी मदद से वे योग्य उम्मीदवारों की खोज करते हैं। उनके द्वारा लिए जाने वाले 50 से 60 प्रतिशत निर्णय इन प्लेटफॉर्मों पर उनके द्वारा पाई जाने वाली सूचनाओं पर निर्भर करते हैं।
वर्तमान दौर में सभी के पास अपनी डिग्रियां और उपलब्धियां होती हैं। लेकिन जब नियोक्ता किसी उम्मीदवार की खोज करते हैं तो वो रेज्यूमे या डिग्री में लिखी गई बातों के अलावा आपके बारे में भी कुछ जानना चाहते हैं। वे यह जानना चाहते हैं कि आप अपने ज्ञान और अनुभवों से उनके द्वारा दिए काम में बदलाव कैसे ला सकते हैं।
यहीं पर पर्सनल ब्रांडिंग उनके काम आती है। इससे रिक्रूटर्स को आपके बारे में यह सूझबूझ मिलती है कि आप एक व्यक्ति के रूप में क्या हैं और भीड़ से कैसे अलग हैं। मिसाल के तौर पर, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर लिंक्डइन पर अपने निजी कोडिंग प्रोजेक्ट्स को प्रदर्शित कर सकता है, ताकि हेल्थकेयर सेक्टर के लिए अपना योगदान दे सके।
हम एक बेहद प्रतिस्पर्धी समय में जी रहे हैं, जिसमें हर उम्मीदवार सबसे बेहतर करना चाहता है। अपना एक पर्सनल ब्रांड बनाने से आपको दूसरों पर बढ़त मिल जाती है। इससे आपको नए अवसर भी मिलते हैं। लोग आपकी विशेषज्ञता को देखकर ही आपको नौकरियों के अवसर देते हैं।
जब आप अपनी पेशेवर प्रोफाइल में अपने को मिली पहचान और पुरस्कारों को शामिल करते हैं तो इससे आपके लिए बेहतर अवसरों के रास्ते खुलते हैं। इससे आपकी एक पहचान भी बनती है और आपके यूनीक मैसेज, लुक और ऑनलाइन-उपस्थिति के चलते लोग आप पर भरोसा कर पाते हैं।
इसके लिए आपको अपनी खास शख्सियत को प्रदर्शित करना होगा और ऐसे लोगों के साथ कनेक्ट करना होगा, जिनके मूल्य आपके मूल्यों के समान हैं। एक पर्सनल ब्रांड बनाने के लिए उस एक एरिया की खोज करना जरूरी है, जिसमें आपकी स्किल्स आपको औरों से अलग करती हैं और आपकी टारगेट-ऑडियंस को एक बेहतर वैल्यू प्रदान कर पाती हैं। इसके लिए आपको अपनी क्षमताओं के साथ ही अपने लक्षित-वर्ग को भी पहचानना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि आप जो भी करें, उसके साथ वो खुद को जोड़ सकें।
लिंक्डइन या ट्विटर पर इंडस्ट्री-प्रोफेशनल्स के साथ सक्रियतापूर्वक नेटवर्किंग करना इसके लिए जरूरी है। कॉन्फ्रेंस अटेंड करें, पेशेवर संस्थाओं और कॅरियर सर्कलों से जुड़ें और अपने कनेक्शंस का अधिक से अधिक फायदा उठाएं। ऑनलाइन कम्युनिटीज़ के साथ संवाद करें।
आप अपने अनुभवों का दायरा विस्तृत करने के लिए किन्हीं परियोजनाओं में भी सहभागिता कर सकते हैं या अन्य अधिकृत वेबसाइटों के लिए भी योगदान दे सकते हैं। पर्सनल ब्रांड बनाने के लिए एक अच्छा पोर्टफोलियो तैयार करना भी जरूरी है। एक एसईओ-फ्रेंडली सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाएं, जिसका यूजरनेम आपके ब्रांड या कीवर्ड्स को दर्शाता हो।
विजिबिलिटी बढ़ाने के लिए हैशटैग्स का इस्तेमाल करें। अपनी पोस्ट्स और विवरणों में लक्षित-कीवर्ड्स को सम्मिलित करें और पाठकों को जोड़ने के लिए बेहतरीन गुणवत्ता का कंटेंट प्रकाशित करें। मूल्यवान इंडस्ट्री-स्पेसिफिक कंटेंट रचकर या साझा करके भी आप अपनी विशेषज्ञता और अंतर्दृष्टियों को सबसे शेयर कर सकते हैं।
पर्सनल ब्रांडिंग यानी स्किल्स, नॉलेज और अनुभवों को इंडस्ट्री या जॉब कम्युनिटी में सम्प्रेषित करना। इससे आप अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए एक छाप छोड़ते हैं। आपकी प्रतिष्ठा बनती है और आप नियोक्ताओं की नजर में आते हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)