दिल्ली : 30 दिन में 5000 से ज्यादा कोचिंग सेंटर्स पर कार्रवाई मुश्किल ..!

Delhi : 30 दिन में 5000 से ज्यादा कोचिंग सेंटर्स पर कार्रवाई मुश्किल,…..

गेंद अब दिल्ली सरकार और MCD के पाले में….

विष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मंगलवार को हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और एमसीडी को आदेश दिया है कि दमकल विभाग की एनओसी के बिना चल रहे कोचिंग सेंटर को 30 दिनों के भीतर बंद करवा दिया जाए।

दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित कोचिंग सेंटर में आग लगने की घटना का हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मंगलवार को हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और एमसीडी को आदेश दिया है कि दमकल विभाग की एनओसी के बिना चल रहे कोचिंग सेंटर को 30 दिनों के भीतर बंद करवा दिया जाए।

कोर्ट के आदेश के बाद गेंद अब दिल्ली सरकार और एमसीडी के पाले में आ गई है। राजधानी के अलग-अलग इलाकों में छोटे-बड़े पांच हजार से अधिक कोचिंग सेंटर चल रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि 30 दिनों के भीतर इनकी जांच कर इनके खिलाफ कार्रवाई करना बहुत मुश्किल लग रहा है। लगभग पूरी दिल्ली में ही गली मोहल्लों में छोटे-बड़े कोचिंग सेंटर खुले हुए हैं।

दिल्ली सरकार, एमसीडी, पुलिस और दमकल विभाग आपस में तालमेल बिठाकर इनके खिलाफ कार्रवाई करने का प्रयास कर रहा है। 15 जून को मुखर्जी नगर के कोचिंग सेंटर में आग लगने के बाद दमकल विभाग ने छह टीमें बनाकर रैंडमली 583 कोचिंग सेंटर की जांच की थी। इनमें से महज 67 कोचिंग सेंटर के पास दमकल विभाग की एनओसी मिली। बाकी 516 कोचिंग सेंटर की हालत बहुत खराब थी। किसी हादसे के समय यहां जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता है। अदालत के समक्ष रिपोर्ट रखने पर कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए गए। बता दें कि दिल्ली का मास्टर प्लान 2021 शर्ताें पर कोचिंग सेंटर को संचालित करने की अनुमति को देता है। इन शर्तों में अग्नि सुरक्षा को जरूरी बताया गया है।

मास्टर प्लान 2021 से पूर्व दिल्ली फायर सेफ्टी एक्ट में कोचिंग सेंटरों को इससे बाहर रखा गया था। फायर सेफ्टी एक्ट में स्कूल, कॉलेज, डे-केयर सेंटर को शामिल किया गया। इसका फायदा उठाकर गली-मोहल्ले में लोगों ने छोटे-बड़े कोचिंग सेंटर खोल लिये। यहां तक रिहायशी इलाकों में भी धड़ल्ले से कोचिंग सेंटर चल रहे हैं। स्वेच्छा दान फाउंडेशन के फाउंडर बीएन झा ने बताया कि वह पिछले काफी समय से कोचिंग सेंटरों को नियम कानून के तहत संचालित करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। दिल्ली के कई इलाकों में लगभग 5000 कोचिंग सेंटर चल रहे हैं। यहां बड़ी संख्या में छात्रों को बिठाकर उनकी जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।

अकेले मुखर्जी नगर में ही 500 के आसपास कोचिंग सेंटर चल रहे हैं। बिना नियम कानून के चल रहे कोचिंग सेंटर के खिलाफ एक्शन होना चाहिए। वहीं मामले पर दिल्ली फायर सर्विस के अधिकारियों का कहना है कि किस इमारत में कॉमर्शियल गतिविधियां चल रही है, इसका पता लगाना नगर निगम का काम है। ऐसी इमारत की पहचान करने के बाद उसके पास दमकल विभाग की एनओसी है या नहीं, आगे उसे एनओसी दी जा सकती है या नहीं, यह तय करना दमकल विभाग का काम है। दिल्ली सरकार और नगर निगम के साथ मिलकर वह इसको जारी रखेगा।

900 इमारतों में मिला मास्टर प्लान का उल्लंघन
मुखर्जी नगर स्थित एक कोचिंग सेंटर में आग लगने की घटना के बाद एमसीडी ने बिल्डिंगों का सर्वे शुरू किया है। इस दौरान एमसीडी के अधिकारी कोचिंग सेंटर वाली बिल्डिंगों में मास्टर प्लान के उल्लंघन के बारे में मालूम कर रही है। वह काफी कोचिंग सेंटर वाली बिल्डिंगों का सर्वे कर चुके है। उन्हें करीब 900 बिल्डिंगों में मास्टर प्लान का उल्लंघन मिला।

एमसीडी के अनुसार, सर्वे के दौरान चार इमारतों को सील किया गया, जबकि 896 बिल्डिंगों को उल्लंघन करने या फिर कोचिंग सेंटर बंद करने का नोटिस जारी किया। इन बिल्डिंगों में से 98 बिल्डिंग वालों ने एमसीडी को सूचित किया कि नोटिस आने के बाद उन्होंने कोचिंग सेंटर बंद करा दिया है। उनकी बिल्डिंग में अब कोचिंग सेंटर नहीं है। लिहाजा उनको जारी किया गया नोटिस रद्द किया जाए। उधर, एमसीडी ने बताया कि नोटिस मिलने के बावजूद सजग नहीं होने पर बिल्डिंगों के खिलाफ जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। ऐसी बिल्डिंगों को भी सील करने की कार्रवाई आरंभ की जाएगी। वह किसी भी स्थिति में मास्टर प्लान का उल्लंघन नहीं करेंगे। 

कोचिंग संस्थान में पढ़ने वालों की बढ़ी चिंता
मुखर्जी नगर में अग्निशमन सेवा विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के बिना चल रहे कोचिंग संस्थानों को उच्च न्यायालय ने बंद करने के आदेश दिए हैं। ऐसे में इन कोचिंग संस्थानों के बंद होने के संशय से यहां प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी चिंतित हैं। यहां उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा व उत्तराखंड के अभ्यर्थी पढ़ते हैं। इनका कहना है कि लाखों की फीस का भुगतान करने के बाद अगर यह संस्थान बंद हो जाते हैं तो उन पर भविष्य को संवारने का खतरा पैदा हो सकता है। 

अभ्यर्थियों ने बताया कि कोचिंग संस्थान नियम नहीं पूरे करते हैं तो उसमें उनकी क्या गलती है। वह कहते हैं कि फीस लेते समय वह यह सब नहीं बताते हैं। अयोध्या से संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तैयारी करने आए आशुतोष मिश्रा बताया कि वह यहां तीन सालों से रह रहे हैं। दो अटेंप्ट दे चुके हैं जिसमें उनकी तीन लाख के करीब फीस ली जा चुकी है। 

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गुरुवार 15 जून को दिल्ली के मुखर्जी नगर के कोचिंग संस्थान में हुए हादसे जैसा खतरा प्रदेश के कई कोचिंग संस्थानों में है। नियमों के विरुद्ध और बिना अनुमति के मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाकर उनमें कोचिंग चलाई जा रही है। इन कोचिंग संस्थानों में जहां प्रदेशभर से लाखों बच्चे अपना भविष्य बनाने आते हैं वहीं संचालक उनके सुनहरे भविष्य के साथ खिलवाड़ करते दिखाई देते हैं। अपने कोचिंग संस्थानों में ना तो फायर फाइटिंग सिस्टम की सुविधा है और ना ही इस तरह की विपदा आने पर उनसे निपटने की।

जयपुर, सीकर और शैक्षणिक नगरी कोटा में बड़ी संख्या में कोचिंग सेंटर चल रहे है। इन सभी स्थानों पर यही हाल देखने को मिलता है। शहर में जगह-जगह कोचिंग सेंटर चल रहे हैं, इनमें से अधिकांश सेंटर तंग गलियों और बेसमेंट में स्थित है। ज्यादातर कोचिंग इंस्टीट्यूट आवासीय क्षेत्र में संचालित है। इनमें कमरे बहुत छोटे है और सीढियां भी बहुत संकरी होती है। फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं होने से कभी भी हादसा हो सकता है। दुर्भाग्य से अगर कभी हादसा भी हो जाए तो इन स्थानों पर ना तो फायर ब्रिगेड पहुंच सकती है और ना बिल्डिंग में आग बुझाने के पर्याप्त साधन है।

 

प्रशासन की अनदेखी छात्रों के लिए खतरा …

जब भी नई बिल्डिंग का निर्माण किया जाता है उससे पहले नगर निगम और नगर परिषद से एनओसी प्राप्त करनी होती है। इसमें मंजिल की संख्या, पार्किंग, आग बुझाने के उपकरण सहित सुरक्षा के तमाम उपकरणों के बारे में जानकारी दी जाती है। इसके बाद अधिकारियों का स्थल दौरा करके ही प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। लेकिन संबंधित अधिकारी इसके प्रति गंभीर नहीं होते। प्रशासन की लापरवाही छात्रों के लिए भारी पड़ जाती है। कई ऐसी बहुमंजिला इमारतें है, जिनमें न तो पार्किंग की व्यवस्था है और न ही सुरक्षा उपकरण। बावजूद प्रशासन आंख बंद कर बैठा है और कभी जांच तक नही करता है।

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