चार मई को महिलाओं से दरिंदगी …. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने तक कब क्या हुआ?

चार मई को महिलाओं से दरिंदगी, वीडियो वायरल होने से लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने तक कब क्या हुआ?
मणिपुर में दो महिलाओं के साथ हुई अभद्रता मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। इससे पहले इस मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर कराने का आग्रह किया है। साथ ही सरकार ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया है। आइये जानते हैं मणिपुर वीडियो मामले में अब तक क्या-क्या हुआ?
4 मई :

मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने की घटना राज्य की राजधानी इंफाल से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले के गांव बी. फीनोम में हुई। ग्राम प्रधान द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक, चार मई शाम लगभग तीन बजे 900-1000 की संख्या में कई संगठनों से जुड़े हथियारबंद लोग बी. फीनोम गांव में जबरदस्ती घुस आए। पहले तो हिंसक भीड़ ने सभी घरों में तोड़फोड़ की और कीमती सामान लूटने के बाद चल संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया।

शिकायत के मुताबिक भीड़ ने तीन महिलाओं को उनके कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया। महिलाओं को भीड़ के सामने निर्वस्त्र कर दिया गया। घटना से जुड़े वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुरुष असहाय महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं, जो रो रही हैं और उनसे छोड़ने की गुहार लगा रही हैं।

हैवानियत यहीं सीमित नहीं रही, एक 21 साल की लड़की का दिन दहाड़े बेरहमी से सामूहिक दुष्कर्म किया गया। जब 19 वर्षीय छोटे भाई ने अपनी बहन की अस्मिता और जान बचाने की कोशिश की, तो भीड़ में शामिल लोगों ने उसकी मौके पर ही हत्या कर दी। हालांकि, पीड़िता कुछ लोगों की मदद से मौके से भागने में सफल रहीं।

  • 18 मई :

    घटना के करीब आधे महीने बाद इससे जुड़ी जीरो एफआईआर दर्ज की गई। यह जीरो एफआईआर बी. फीनोम गांव के प्रधान की तहरीर पर कांगपोकपी जिले के सैकुल पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई।

  • 21 जून :

    जीरो एफआईआर के करीब एक महीने और घटना के करीब डेढ़ महीने बाद 21 जून को एफआईआर दर्ज की गई। यह एफआईआर थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई। मामला आईपीसी की धारा 153ए, 398, 427, 436, 448, 302, 354, 364, 326, 376 और 34 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25(1सी) के तहत दर्ज किया गया।

    पुलिस द्वारा दर्ज इस एफआईआर में भीड़ में शामिल करीब 1,000 लोगों पर कई आरोप लगाए गए। इसमें विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, घातक हथियार के साथ डकैती करना, आग लगाना, घर में जबरन घुसना, हत्या के लिए अपहरण करना, क्षति पहुंचाना, दुष्कर्म, हमला, गंभीर चोट पहुंचाना और आग्नेयास्त्र का उपयोग करके एक इरादे से हत्या करना।

  • 19 जुलाई :

    घटना से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया पर अचानक वायरल हुआ। इसके बाद से देशभर में आक्रोश फैल गया और इसकी निंदा हुई। अगले ही दिन संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला था लिहाजा विपक्षी दलों ने इसको लेकर संसद में सरकार को घेरना शुरू कर दिया।

  • 20 जुलाई :

    इस घटना से जुड़ा वीडियो सामने आने के बाद राज्य सरकार ने इसका स्वत: संज्ञान लिया और जांच के आदेश दिए। मुख्यमंत्री ने मणिपुर पुलिस द्वारा की गई पहली गिरफ्तारी की जानकारी दी। मुख्य आरोपी को एक पुलिस ऑपरेशन में गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी की पहचान 32 वर्षीय हुइरेम हेरोदास के रूप हुई है जो पेची अवांग लीकाई का रहने वाला है। अभी तक कुल मिलाकर घटना से जुड़े सात आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

    इसी दिन मानसून सत्र शुरू होने से पहले पीएम ने संसद के बाहर मीडिया से बात की थी। घटना पर पीएम ने कहा था कि ‘मेरा हृदय पीड़ा से भरा है, क्रोध से भरा है। मणिपुर की जो घटना सामने आई है, वह किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मसार करने वाली घटना है। पाप करने वाले, गुनाह करने वाले, कितने हैं-कौन हैं, यह अपनी जगह है, लेकिन बेइज्जती पूरे देश की हो रही है। 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है। सभी मुख्यमंत्रियों से आग्रह करता हूं कि वे माताओं-बहनों की रक्षा करने के लिए कठोर से कठोर कदम उठाएं।’

    20 जुलाई को ही मणिपुर में महिलाओं को नग्न कर घुमाने के मामले का सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लिया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि मणिपुर में महिलाओं के साथ जो हुआ वह पूरा तरह अस्वीकार्य है। सरकार इस पर तुरंत कार्रवाई करे। कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार इस पर कार्रवाई नहीं करती है तो हम करेंगे। कोर्ट ने केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार को निर्देश दिया कि इस घटना के जिम्मेदारों के खिलाफ जो भी कार्रवाई हो, उसके बारे में कोर्ट को पूरी जानकारी दी जाए।

  • 26 जुलाई :

    मणिपुर सरकार ने 26 जुलाई को इस केस को सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की। इसके आधार पर गृह मंत्रालय ने सीबीआई जांच का आदेश दिया।

  • 27 जुलाई :

    सुप्रीम कोर्ट में इस मामले से जुड़ी सुनवाई हुई। केंद्र सरकार ने शीर्ष कोर्ट से अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई मणिपुर के बाहर स्थानांतरित की जाए क्योंकि सिर्फ इसी अदालत के पास केस को राज्य के बाहर स्थानांतरित करने की शक्ति है।

  • 29 जुलाई :

    मणिपुर घटना से जुड़ा मामला आधिकारिक रूप से सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई ने अपनी प्रक्रिया के अनुसार अज्ञात लोगों के खिलाफ मणिपुर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को अपने कब्जे में ले लिया। सीबीआई ने धारा 153ए, 398, 427, 436, 448, 302, 354, 364, 326, 376, 34 आईपीसी और 25 (1-सी) ए एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की। इसमें आरोपियों के खिलाफ आईपीसी और आईटी अधिनियम के तहत हत्या, सामूहिक बलात्कार, गरिमा भंग करने और आपराधिक हमले के आरोप लगाए गए।

    अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने पहले से ही एक DIG-रैंक अधिकारी के अधीन अपनी विशेष जांच टीम (SIT) को पूर्वोत्तर राज्य में तैनात कर दिया था। सीबीआई मामले की जांच के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों के अलावा कुछ और महिला अधिकारियों को भेजेगी।

  • 31 जुलाई :

    मणिपुर में दो महिलाओं के साथ दरिंदगी से देश को शर्मसार करने वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। बता दें, शीर्ष अदालत दो महिलाओं पर भीड़ द्वारा किए गए हमले से संबंधित मामले की सुनवाई को स्थानांतरित करने के केंद्र सरकार के अनुरोध पर विचार कर रहा है। उसने इस दौरान कड़े शब्दों में कहा कि घटना को यह कहकर उचित नहीं ठहरा सकते कि ऐसा और भी कहीं हुआ है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कल दोपहर 2 बजे के लिए स्थगित कर दी है।

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