भोपाल । मध्य प्रदेश का पहला संरक्षित क्षेत्र कान्हा टाइगर रिजर्व बाघों की आबादी के मामले में उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से पिछड़ गया है। कान्हा में 105 व बांधवगढ़ में 135 बाघों की मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं। कान्हा में बाघों की आबादी घटने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने वामपंथी उग्रवाद को जिम्मेदार ठहराया है।

बालाघाट जिले में बाघों की बड़ी आबादी

पार्क और पार्क से सटे बालाघाट जिले में बाघों की बड़ी आबादी है, पर वर्ष 2018 से ही उनकी गिनती नहीं हो पा रही है, क्योंकि इस क्षेत्र में नक्सली कैंप चल रहे हैं।

वन कर्मचारी जंगल में जाने को तैयार नहीं

वन विभाग ने 2022 में जिले की लोकुर घाटी में बाघों की गिनती करने और ट्रैप कैमरे लगाने की कोशिश की, पर नक्सलियों के कारण वन कर्मचारी जंगल में जाने को तैयार नहीं हुए, जबकि इस क्षेत्र में 40 से 45 बाघ होने का अनुमान था। यदि इन बाघों को गिना जाता तो कान्हा के खाते में अधिक बाघ होते।

पार्क के प्रमुख खतरों में वामपंथी उग्रवाद
कान्हा टाइगर रिजर्व की स्थापना वर्ष 1955 में हुई है और बाघ आकलन 2006, 2010 और 2014 तक कान्हा में मध्य भारत की सबसे बड़ी बाघ आबादी थी। इसका उल्लेख एनटीसीए ने बाघ आकलन 2022 की रिपोर्ट में किया है। उसने 940 वर्ग किमी में फैले इस पार्क के प्रमुख खतरों में वामपंथी उग्रवाद को रखा है।
कान्हा क्षेत्र में बाघ आबादी घटी
असल बात यह नहीं है कि नक्सलवाद के कारण कान्हा या आसपास के क्षेत्र में बाघ आबादी घटी है। असल में नक्सलियों के डर से एनटीसीए पार्क और पार्क से सटे घने जंगलों में बाघों की वैज्ञानिक पद्धति से गिनती नहीं कर पा रहा है। लौकुर घाटी में ऐसा ही हुआ है।
लौकुर घाटी में बाघों की गिनती नहीं
वन विभाग के सूत्र बताते हैं कि इस घाटी में आसानी से बाघ देखे जाते थे। अभी भी घाटी की ओर जाते और उधर से आते बाघों की देखा जा सकता है, पर घाटी में नक्सलियों की उपस्थिति के डर से कोई अंदर जाने को तैयार नहीं है।
लौकुर घाटी में बाघों की गिनती नहीं होने का तथ्य ‘नईदुनिया’ ने पिछले साल प्रमुखता से प्रकाशित किया था
नक्सलियों ने अपनी अच्छी पैठ बना ली
यह भी बताया था कि छत्तीसगढ़ के नक्सली संगठन कान्हा टाइगर रिजर्व से अमरकंटक तक और महाराष्ट्र के नक्सली संगठन पेंच-कान्हा टाइगर रिजर्व के रास्ते अमरकंटक तक कारिडोर तैयार कर रहे हैं। नक्सलियों ने इस क्षेत्र में अपनी अच्छी पैठ बना ली है।
विस्थापित किए गए गांवों में कब्‍जा
कान्हा टाइगर रिजर्व से विस्थापित किए गए गांवों में नक्सली कब्जा करते रहे हैं। पिछले वर्ष उन्होंने पार्क में पर्चे भी लगा दिए थे। नवंबर 2022 में बालाघाट जिले के गढ़ी और मंडला जिले के मोतीनाला के सूपखार क्षेत्र और जून 2022 में बालाघाट जिले के लांजी क्षेत्र के बहेला थाना क्षेत्र में हाक फोर्स ने इनामी नक्सलियों को मुठभेड़ में मारा भी है।
सतपुड़ा में बाघ बढ़ने की संभावना, निगरानी की जरूरत
एनटीसीए ने माना है कि नर्मदापुरम जिले में स्थित सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघ आबादी बढ़ने की अधिक संभावना है, पर यहां निगरानी की भी आवश्यकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से महाराष्ट्र के मेलघाट, दक्षिण-पूर्व छिंदवाड़ा के सामान्य वनमंडल से होते हुए कान्हा टाइगर रिजर्व तक गलियारा बनता है, जिससे बाघ एक से दूसरे संरक्षित क्षेत्र तक जाते हैं। यह अच्छी स्थिति है, पर गलियारे की दोनों ओर कोयले की खदानें होने के कारण इसमें निगरानी की आवश्यकता है।