शिक्षा और स्वास्थ क्षेत्र संवेदनशीलता !
कई बार संवेदनशीलता कारोबारी सफलता की राह में रुकावट भी पैदा कर देती है। इसीलिए आमतौर पर कारोबार में निवेश करने वालों से संवेदनशील होने की अपेक्षा नहीं की जाती। इनके लिए सिर्फ मुनाफा और आर्थिक तरक्की ही मायने रखते हैं। लेकिन, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश भी यदि संवेदनहीनता लिए हो तो इसका खमियाजा पूरे देश को चुकाना पड़ता है। कोरोना महामारी का दौर खत्म होने के बाद ऐसे वाकये सामने आ रहे हैं, जिनसे पता चलता है कि स्वास्थ्य और शिक्षा के निजीकरण की हमें कितनी और किस तरह कीमत चुकानी पड़ी है।
व्यापक जागरूकता अभियानों की वजह से स्थिति थोड़ी बदलती नजर आ रही है, लेकिन आर्थिक अड़चनें अब भी कम नहीं हैं। जब भी परिवार आर्थिक मुसीबतों में फंसता है तो लड़कियों की पढ़ाई पहले छुड़वाई जाती है, क्योंकि परिवार और समाज की पुरुष सत्तात्मक मानसिकता यही उचित मानती है। बेटियों का संघर्ष गर्भ में ही शुरू हो जाता है और अंतिम सांस तक चलता रहता है।