UPSC कैंडिडेट को चेहरे नहीं…80 नोड्स से पहचानेगा AI कैमरा !

UPSC कैंडिडेट को चेहरे नहीं…80 नोड्स से पहचानेगा AI कैमरा
किसी भी सेंटर पर गड़बड़ी हुई तो दिल्ली हेडक्वार्टर जाएगा अलर्ट

UPSC अब एग्जाम लेने के तरीके में बड़े बदलाव करने की तैयारी में है। कैंडिडेट पर टेक्नोलॉजी के जरिए नजर रखी जाएगी। फिंगरप्रिंट, फेशियल रिकग्निशन और AI CCTV सर्विलांस कैमरे से मॉनिटरिंग होगी। UPSC के किसी भी एग्जाम में शामिल होने वाले कैंडिडेट की चेकिंग के लिए यही तरीका इस्तेमाल होगा।

16 जुलाई को UPSC ने ये नई टेक्नीक शुरू करने के लिए एक टेंडर निकाला है। इसके जरिए सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी को हायर किया जाएगा। ये सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ही कैंडिडेट की एंट्री से लेकर एग्जिट तक चेकिंग करेगी। इसके लिए टेक्नोलॉजी भी सेटअप करेगी।

इसमें फेशियल रिकग्निशन AI कैमरे से होगा। कैमरा कैंडिडेट्स को चेहरा देखकर नहीं पहचानेगा, बल्कि वो दो आंखों के बीच की दूरी, नाक से आंखों की दूरी, ठोड़ी से नाक और आंखों की दूरी को देखकर पहचान करेगा। हर फेस में 80 नोड्स होते हैं। AI इसी के आधार पर पहचान करेगा। साथ ही, एग्जाम हॉल में अगर किसी की एक्टिविटी जरा भी संदिग्ध लगती है, तो AI कैमरे के मेन सर्वर में अलर्ट मैसेज चला जाएगा।

मान लीजिए अगर कोई कैंडिडेट बिहार या तमिलनाडु के किसी सेंटर पर एग्जाम देते वक्त ताक-झांक कर रहा है, तो UPSC दिल्ली के कंट्रोल रूम में इसका अलर्ट रियल टाइम में मिल जाएगा। इसके साथ क्या-क्या बदलेगा? कैसे पूरा सिस्टम काम करेगा? इसे समझने के लिए दैनिक भास्कर ने UPSC के टेंडर की पूरी डिटेल निकाली।

इसे तकनीक को समझने के लिए दैनिक भास्कर ने प्रतियोगी परीक्षाओं में AI टेक्नोलॉजी पर काम करने वाली एक सॉफ्टवेयर कंपनी के CEO और फाउंडर से बात की।

सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी को हायर करने के लिए 16 जुलाई को UPSC ने ये नई टेक्नीक शुरू करने के लिए एक टेंडर निकाला है। एजेंसी कैंडिडेट्स की चेकिंग का जिम्मा संभालेगी।
सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी को हायर करने के लिए 16 जुलाई को UPSC ने ये नई टेक्नीक शुरू करने के लिए एक टेंडर निकाला है। एजेंसी कैंडिडेट्स की चेकिंग का जिम्मा संभालेगी।

पहले जानते हैं UPSC एग्जाम में होने वाले बदलाव को लेकर 3 अहम बातें, जो चर्चा में हैं:

1. UPSC के एग्जाम सेंटर पर एंट्री से पहले ही कैंडिडेट को फेस रिकग्निशन, फिंगरप्रिंट और एडमिट कार्ड के QR कोड स्कैनिंग से गुजरना होगा। ये काम एक सर्विस प्रोवाइडर कंपनी करेगी। UPSC ने इसके लिए टेंडर निकाला है। टेंडर में पूरी डिटेल के साथ कंपनी की जिम्मेदारी और जवाबदेही भी तय की गई है, लेकिन इस नई तकनीक का इस्तेमाल कब और किस एग्जाम से शुरू किया जाएगा? ये अभी साफ नहीं है। इस संबंध में UPSC की तरफ से कोई ऑफिशियल बयान नहीं आया है।

2. पूजा खेडकर के केस में जैसे अलग-अलग टाइम पर फॉर्म भरते समय अलग-अलग जानकारी दी गई और उसे ट्रेस नहीं किया जा सका, अब ऐसी गड़बड़ी करने वाले कैंडिडेट की पहचान आसानी से हो सकेगी। साथ ही अब कोई कैंडिडेट अपनी पहचान या कोई डीटेल छिपाकर या बदलकर एग्जाम सेंटर में एंट्री नहीं कर पाएगा।

3. UPSC एग्जाम के पेपर या पैटर्न में बदलाव नहीं कर रहा है। UPSC का ये बदलाव कैंडिडेट की जांच-पड़ताल से जुड़ा होगा। सब फाइनल होने के बाद एग्जाम में शामिल हुए एक-एक कैंडिडेट की लाइव मॉनिटरिंग की जा सकेगी। फेस रिकग्निशन से ये चेक किया जा सकेगा कि फॉर्म भरने वाला कैंडिडेट ही एग्जाम देने आया है या कोई और। चेकिंग की ये प्रक्रिया प्री, मेन्स और इंटरव्यू के दौरान भी फॉलो होगी।

14 मेन कॉम्पिटिटिव एग्जाम, देशभर में 80 सेंटर्स, 3000 वेन्यू
UPSC यानी संघ लोक सेवा आयोग प्रमुख तौर पर 14 एग्जाम कराता है। इन एग्जाम और इंटरव्यू के लिए देशभर में 80 सेंटर हैं। इन सेंटर्स में 1 से 3000 तक वेन्यू हैं। जिस एग्जाम के लिए जितने वेन्यू की जरूरत होती है, उतने में एग्जाम कराए जाते हैं। इन 80 सेंटर के 3000 वेन्यू में एक साथ 12 लाख तक कैंडिडेट्स को एग्जाम में बैठाने की क्षमता है।

UPSC ने जो टेंडर निकाला है, उसके स्कोप ऑफ वर्क (SoW) में कई अहम जानकारियां दी गई हैं। ये टेंडर एक सर्विस प्रोवाइडर के लिए निकाला गया है। ये सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ही कैंडिडेट की एंट्री से लेकर एग्जिट तक चेकिंग करेगी। इसके लिए टेक्नोलॉजी सेटअप करेगी। एग्जाम के पेपर या उसके ट्रांसपोर्टेशन से एजेंसी का लेना-देना नहीं होगा। UPSC जैसा पहले से काम करता आया है, उसी पैटर्न पर करेगा।

एग्जाम हॉल में एंट्री से पहले 3 स्टेप में होगी जांच
1. ई-एडमिट कार्ड का QR कोड स्कैन किया जाएगा। सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के ऑथराइज्ड लोग ही इसकी स्कैनिंग करेंगे। QR कोड स्कैन करते ही एग्जाम फॉर्म में भरी गई पूरी डिटेल डिवाइस की स्क्रीन पर होगी।

2. फॉर्म भरते वक्त दिए गए फिंगर प्रिंट और एग्जाम सेंटर पर पहुंचने के बाद दिए फिंगर प्रिंट का मिलान किया जाएगा। एडमिट कार्ड से रोल नंबर और नाम चेक करने के बाद फिंगर प्रिंट चेक होगा। ये जांच आधार बेस्ड फिंगर प्रिंट या डिजिटल फिंगर प्रिंट कैप्चर करके होगी। इसे कई बार एग्जाम हॉल में पहुंचने के बाद भी कराया जाता है, ताकि कैंडिडेंट्स की एंट्री में देरी न हो।

3. तीसरे स्टेप में चेहरे की पहचान की जाएगी। फेशियल रिकग्निशन को AI तकनीक से चेक किया जाएगा। तीनों चेकिंग में ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद एंट्री मिलेगी। इस प्रोसेस में थोड़ा वक्त लग सकता है। इसलिए सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को कैंडिडेट की संख्या के हिसाब से पहले से इसकी तैयारी करने के लिए बोला गया है।

अगर एडमिट कार्ड का QR Code स्कैन होने में दिक्कत आई तो क्या होगा?
UPSC की तैयारी है कि हर कैंडिडेट की एग्जाम हॉल में एंट्री से पहले डिजिटल जांच जरूर हो। फिंगर प्रिंट और फेशियल रिकग्निशन तो होंगे, लेकिन एडमिट कार्ड पर QR कोड स्कैन करने में कई बार दिक्कत आ सकती है। ऐसे में अगर QR कोड स्कैन नहीं होगा तो इसे तुरंत मैनुअली किया जाएगा। इस दौरान कैंडिडेट के रोल नंबर और उसके नाम के आधार पर चेक कर आगे का प्रोसेस किया जाएगा।

एजेंसी को एग्जाम से 2-3 हफ्ते पहले वेन्यू और कैंडिडेट की संख्या मिलेगी
कैंडिडेट की डिटेल्स और डेटा का मिसयूज ना हो, इसे लेकर UPSC ने टेंडर में सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी के लिए सख्त गाइडलाइंस दी हैं। सर्विस प्रोवाइड को एग्जाम के वेन्यू और वहां के कैंडिडेट्स की संख्या के बारे में 2 से 3 हफ्ते पहले ही जानकारी दी जाएगी।

हालांकि इसमें किसी कैंडिडेट की डीटेल नहीं होगी। उन्हें सिर्फ कैंडिडेट्स की संख्या और कितने कमरों में कितने स्टूडेंट एग्जाम देंगे, इसकी जानकारी दी जाएगी। ताकि कैंडिडेट्स की संख्या के हिसाब से सर्विस प्रोवाइडर कैमरे से लेकर फिंगर प्रिंट और फेस रिकग्निशन की जांच करने की तैयारी पूरी कर लें।

फेस रिकग्निशन की जांच AI कैमरे से की जाएगी, जिसमें नोडल पॉइंट के जरिए कैमरा व्यक्ति की पहचान करेगा।
फेस रिकग्निशन की जांच AI कैमरे से की जाएगी, जिसमें नोडल पॉइंट के जरिए कैमरा व्यक्ति की पहचान करेगा।

कैंडिडेट्स की डिटेल्स 7 दिन पहले, PwBD के लिए खास ख्याल
UPSC करीब 7 दिन पहले सर्विस प्रोवाइडर को कैंडिडेट्स की डिटेल्स देगा। कैंडिडेट्स के नाम, रोल नंबर, फोटो और अन्य डिटेल्स मुहैया कराएगा। इन डिटेल्स के जरिए सर्विस प्रोवाइडर आधार बेस्ड फिंगर प्रिंट या डिजिटल फिंगर प्रिंट का डेटा अपने सर्वर पर सेव करेगा। इसके साथ ही फेशियल रिकग्निशन, QR कोड आधारित एडमिट कार्ड की भी डिटेल मिलेगी। एग्जाम के दिन इसी के जरिए तीन स्टेप में जांच की जाएगी। सर्विस प्रोवाइडर को ये डेटा देश के दो अलग-अलग जोन में सेव करके रखना होगा।

दिव्यांग कैंडिडेट्स PwBD कोटे से एग्जाम देने आएंगे। उनके लिए सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी खास ख्याल रखेगी। जरूरत के हिसाब से उनके लिए अलग एंट्री गेट भी हो सकते हैं। जहां सिर्फ उनके लिए बॉयोमेट्रिक और फेस रिकग्निशन की व्यवस्था हो।

हर कैंडिडेट की एक्टिविटी पर कैमरे की नजर, 24 कैंडिडेट पर 1 कैमरा होगा
UPSC ने टेंडर में सर्विस प्रोवाइडर के लिए CCTV वीडियो सर्विलांस को लेकर भी जरूरी गाइडलाइंस दी है। एग्जाम के दौरान हर किसी पर कैमरे की नजर होगी। चाहे वो एग्जाम देने वाले कैंडिडेट्स हों या फिर एग्जाम कराने वाले कर्मचारी और अधिकारी। हर जगह कैमरे से लाइव मॉनिटरिंग की जाएगी। औसतन हर 24 कैंडिडेट पर एक कैमरा होगा।

एंट्री, एग्जिट गेट के साथ कंट्रोल रूम में भी कैमरे
किसी भी एग्जाम सेंटर में एंट्री और एग्जिट गेट से लेकर सभी क्लासरूम में CCTV कैमरे से निगरानी की जाएगी। एंट्री पॉइंट पर लगे AI कैमरे से कैंडिडेट की एक्टिविटी पर नजर रहेगी। अगर उसकी एक्टिविटी जरा भी संदिग्ध लगती है, तो AI कैमरे के मेन सर्वर में अलर्ट मैसेज आ जाएगा। ताकि उस पर निगरानी बढ़ाई जा सके। एग्जामिनेशन रूम में जीरो ब्लाइंड स्पॉट होगा। मतलब रूम में ऐसा कोई भी एरिया नहीं होगा, जहां कैमरे की निगरानी ना रहे।

ये कैमरे कंट्रोल रूम में भी लगाए जाएंगे, जहां एग्जाम से पहले पेपर रखे जाते थे। ताकि पेपर रखे जाने से लेकर बांटे जाने तक उन पर नजर रखी जा सके। इस दौरान कहीं से कोई गलत मूवमेंट हुआ तो AI कैमरे से अलर्ट जारी कर दिया जाएगा। इन कैमरों की मॉनिटरिंग के लिए हर एग्जाम सेंटर में कंट्रोल रूम होंगे।

इसका एक मेन कंट्रोल रूम दिल्ली स्थित UPSC मुख्यालय पर होगा। यहां 10 x 12 फुट बड़ा वीडियो स्क्रीन होगा। इस पर हर कैमरे की फुटेज दिखेगी। फुटेज के साथ एग्जाम सेंटर का नाम, लोकेशन, रूम नंबर की भी डिटेल डिस्प्ले बोर्ड पर होगी। इस तरह देश भर में होने वाले एग्जाम की लाइव निगरानी UPSC दिल्ली मुख्यालय से भी होगी।

अब बात AI बेस्ड फेस रिकग्निशन कैमरे की
कैमरे चेहरा देखकर नहीं पहचानते, 80 नोड्स से रीड करते हैं

हमने दिल्ली से सटे नोएडा के इंडसफ्लाई टेक्नोलॉजी के CEO फाउंडर मिर्जा आरिफ बेग से बात की। इनकी कंपनी भी कई सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए टेक्निकल सपोर्ट और सिक्योरिटी सिस्टम के लिए सॉफ्टवेयर तैयार करती है। इनसे हमने AI बेस्ड फेस रिकग्निशन सिस्टम का काम समझने की कोशिश की।

सवाल: आखिर AI बेस्ड फेस रिकग्निशन सिस्टम कैसे काम करता है?
ऑनलाइन फॉर्म भरने के दौरान कैंडिडेट अपनी फोटो अपलोड करते हैं। उस फोटो को एग्जाम कराने वाली एजेंसी पहले शॉर्टलिस्ट करती है। उसे फाइनल कर एग्जाम से कुछ दिन पहले सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी को देती है। उसका हम डेटाबेस बनाते हैं।

उन फोटो को हम AI टूल्स के जरिए रन कराते हैं। हर फेस में 80 नोड्स होते हैं। ये चेहरे को देखकर नहीं पहचानते। बल्कि दो आंखों के बीच की दूरी, नाक से आंखों की दूरी, ठोड़ी से नाक और आंखों की दूरी।

इस तरह अलग-अलग कुल 80 नोड्स पर AI मॉडल चेहरे की बनावट चेक करता है। कैंडिडेट के एग्जाम सेंटर पर आते ही, उसी टेक्नीक से जांच होती है। फिर 90% से ज्यादा अगर सब कुछ मैच होता है, तो उसे क्लियरेंस मिल जाती है।

सवाल: फेशियल रिकग्निशन के दौरान किसी कैंडिडेट को दिक्कत ना हो, क्या सावधानी रखनी चाहिए?
AI बेस्ड फेस रिकग्निशन सिस्टम अपने नोड्स पर काम करता है। ऐसे में आमतौर पर चेहरे पर थोड़ा बहुत बदलाव हो तो कोई दिक्कत नहीं आती है, लेकिन अगर कोई मेल (पुरुष) कैंडिडेट है और उसने क्लीन शेव लुक में फॉर्म भरते समय फोटो अपलोड की है। फिर एग्जाम सेंटर पर बहुत घनी और लंबी दाढ़ी में हैं, तो थोड़ी दिक्कत जरूर हो सकती है।

हालांकि हल्की दाढ़ी से कोई दिक्कत नहीं होगी। हेयर स्टाइल में कितना भी बदलाव हो, उससे भी कोई दिक्कत नहीं आती है।

सवाल: एडमिट कार्ड का QR कोड कैसे काम करता है?
कैंडिडेट जब ऑनलाइन फॉर्म भरते हैं तो उसकी पूरी डिटेल एक डिजिटल फॉर्मेट में सेव हो जाती है। वही QR कोड होता है। आजकल एग्जाम में दो तरीके के कोड का इस्तेमाल हो रहा है। QR कोड और बार कोड।

बार कोड में यूनीक नंबर भी होते हैं। अगर मान लीजिए किसी वजह से जब QR कोड स्कैन नहीं हो पा रहा है, तब उस यूनीक नंबर से ही डेटा चेक कर लिया जाता है। इसके बाद उस कैंडिडेट को एंट्री मिल जाती है।

सवाल: AI सर्विलांस कैमरे कैसे काम करते हैं, कब अलर्ट जारी करते हैं।
क्लास रूम में एक या दो हाई रिजोल्यूशन वाले AI कैमरे लगाते हैं। ये हर कैंडिडेट पर नजर रखते हैं। ये कैमरे कैंडिडेट की हरकत के साथ उनके फेस को भी रीड करते हैं। अगर किसी कैंडिडेट का ज्यादा मूवमेंट है, तो तुरंत अलर्ट जारी किया जाता है। इसमें अनफेयर मीन्स को शामिल किया जाता है।

कई बार किसी कैंडिडेट के चेहरे के एक्सप्रेशन को भी रीड कर अलर्ट जारी करने की क्षमता रखता है। जिस कंट्रोल रूम में इन कैमरों की मॉनिटरिंग होती हैं, वहीं पर अलर्ट मिलता है। इसके बाद वहां चेक किया जाता है।

कई बार कोई कैंडिडेट किसी वजह से परेशान होता है, तो भी उसकी एक्टिविटीज को लेकर अलर्ट मिल जाता है। इसलिए पहले जांच की जाती है, फिर उसके मुताबिक आगे का कदम उठाया जाता है।

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