भ्रष्टाचार का कारम डैम : सारथी कंस्ट्रक्शन ब्लैकलिस्टेड कंपनी दूसरे बांध बना रही
भ्रष्टाचार का कारम डैम खेत के खेत बहा ले गया….. ब्लैकलिस्टेड कंपनी दूसरे बांध बना रही
जहां पिछले साल तक खेतों में फसल लहलहाती थी। अब यहां मिट्टी की जगह चट्टानें और पत्थर हैं। ये वो ही जगह है, जहां आज के दिन केंद्र की मोदी और राज्य की शिवराज सरकार की सांसें फूल हुई थीं। शिवराज भोपाल में तो कई आला मंत्री और अफसर यहां संकट से बचने के लिए पूजा-पाठ कर रहे थे। जी हां, ये कारम डैम वाला कोठिदा गांव है। आज 13 अगस्त है…कारम डैम की बरसी है।
पिछले साल आज ही के दिन 300 करोड़ रुपए की सिंचाई परियोजना के लिए बने कारम डैम की दीवार से रिसाव शुरू हो गया था। रातोंरात 18 गांव खाली करा लिए गए थे। लोग अपने पशुओं के साथ जान बचाने के लिए ऊंची जगहों पर शरण लिए हुए थे। प्रार्थना कर रहे थे कि बारिश बंद हो जाए। 48 घंटे की कोशिश के बाद रिसती दीवार के एक हिस्से को काटकर पूरा पानी बहा दिया गया था। लोगों की जिंदगी तो बच गई, लेकिन डैम के पानी के साथ आई उस बाढ़ में इन गांवों के खेत भी बह गए।
जब पानी उतरा तो देखा कि जहां फसल लगी थी, वहां केवल पत्थर और चट्टानें हैं। सरकार ने इनके खेत बंजर करने का सौदा तीन से पांच हजार के मुआवजे देकर कर लिया। ये आज भी दस्तावेजों में खेतों के मालिक हैं, लेकिन पेट पालने के लिए दूसरे के वहां दिहाड़ी करने जाते हैं। कयामत की उस रात के बाद जो सवेरा हुआ, उसमें लोगों का पेट भरने वाला अन्नदाता, आज तक दाने-दाने को मोहताज हैं।
जानें क्या है एक साल बाद हालात।
हाईवे से 7 किलोमीटर भीतर कोठिदा गांव है। इसी गांव में कारम डैम बना है। हमने किताबों में पढ़ा है कि किसान पथरीली जमीन में हल जोत कर उसे उपजाऊ बना देता है। गांव में दाखिल होते हैं, तो यहां के किसान किताब की बात को सच करने की कोशिश में लगे दिखते हैं। सड़क किनारे रेत और पत्थरों के बीच किसान खेत जोत रहे थे। वो जानते हैं कि यहां अब फसल होनी मुश्किल है, लेकिन वो अपने हिस्से की ईमानदार कोशिश कर रहे हैं। ये लोग उन नेताओं और अफसरों की तरह चुप नहीं हैं, जो कारम डैम की जांच रिपोर्ट को दबाकर बैठ गए हैं।
लोग अपने घर तो लौट गए लेकिन उस डैम की ओर कभी किसी ने झांककर भी नहीं देखा। सरकार ने आनन फानन में एक जांच करवाई। जांच रिपोर्ट के आधार पर जल संसाधन विभाग के 8 इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया गया।
जांच रिपोर्ट में कहा गया कि इंजीनियरों ने अपने काम में लापरवाही बरती। न तो उन्होंने निरीक्षण किया, न ही गुणवत्ता का ध्यान रखा।
अफसरों पर चुपके से मेहरबानी
चीफ इंजीनियर घटोले और एसई पुरुषोत्तम जोशी तो रिटायर हो गए। सरकार ने इनके सुरक्षित रिटायरमेंट के लिए इनका निलंबन खत्म किया, ताकि इन्हें कोई दिक्कत न हो। बाकी इंजीनियरों को भोपाल और उज्जैन ऑफिस भेज दिया। सरकारी कागजों में ये अफसर निलंबित हैं, लेकिन अपना काम कर रहे हैं। खास बात ये है कि ये तमाम इंजीनियरों को बांध में धांधली की जानकारी पहले से थी, फिर भी ऊपर से मिले इशारे के बाद इन्होंने कंपनी को फ्री हैंड दे दिया था।
2018 से बांध का निर्माण शुरू हुआ था। अगस्त 2021 में एक स्थानीय लोकेश सोलंकी ने अफसरों को शिकायत की थी कि डैम के निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। बिना पिचिंग किए यहां मिट्टी भरी जा रही है। मिट्टी के साथ पत्थर भी हैं। यही बाद में लीकेज का कारण बनेंगे, लेकिन इंजीनियरों ने शिकायकर्ता सोलंकी से कह दिया कि डैम तुम बना रहे हो या हम। हम पता है कि डैम कैसे बनता है।
इंजीनियरों का जवाब- हमारी गलती नहीं, काॅन्ट्रेक्टर कंपनी जिम्मेदार
प्रारंभिक जांच के बाद विभागीय जांच शुरू हुई। सरकार ने इन तमाम इंजीनियरों को आरोप पत्र दिए। कहा कि आपकी लापरवाही की वजह से ये हालात बने। ज्यादातर इंजीनियरों ने सरकार को यही जवाब दिया कि इसमें उनकी गलती नहीं है। गलती तो काॅन्ट्रेक्टर कंपनी की है। वे तो बार-बार चिट्ठी लिखकर कंपनी से काम की गति बढ़ाने के लिए कह रहे थे, लेकिन कंपनी ने सुनवाई ही नहीं की। बारिश शुरू होने से पहले यदि काम पूरा हो जाता तो ऐसे हालात नहीं बनते।
एक इंजीनियर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मैंने सरकार को बताया कि वैसे भी टेंडर शर्तों के मुताबिक निर्माण के दौरान पूरी जिम्मेदारी कंपनी की होती है। यदि कोई नुकसान हुआ है तो कंपनी ही उसे अपने पैसों से दुरुस्त करके देगी। ये तो टेंडर शर्तों में ही लिखा हुआ था, लेकिन इन इंजीनियरों के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि हजारों किसान जो इस डैम के बन जाने के बाद अपनी फसलों को सींचने का सपना देख रहे थे, उनका कसूरवार कौन है? इस डैम के पानी से 20 हजार हैक्टेयर फसल की सिंचाई होनी थी। उन खेतों का क्या होगा, जो डैम के पानी के साथ बह गए? क्या ये इंजीनियर कभी अपनी इंजीनियरिंग से उन खेतों को पुराने हाल में लौटा पाएंगे?
अब समझिए कि कंपनी का क्या रोल….
कारम डैम का वर्कऑर्डर अगस्त 2018 में हुआ था। दिल्ली की एएनएस कंस्ट्रक्शन को 305 करोड़ का यह प्रोजेक्ट मिला था, लेकिन एएनएस ने ये काम ग्वालियर की सारथी कंस्ट्रक्शन को ठेके पर दे दिया। काम सारथी कंस्ट्रक्शन ने किया। जब इंजीनियरों काे सस्पेंड किया गया तभी 16 अगस्त 2022 को इन दोनों कंपनियों को भी सरकार ने ब्लैकलिस्ट कर दिया। सारथी कंस्ट्रक्शन ने हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में खुद को ब्लैकलिस्ट किए जाने के आदेश को चुनौती दी? तर्क दिया कि उनका इस डैम के निर्माण के लिए जल संसाधन विभाग के साथ कोई काॅन्ट्रेक्ट नहीं है, तो वो उन्हें कैसे ब्लैकलिस्ट कर सकते हैं।
काॅन्ट्रेक्ट तो एएनएस कंपनी के साथ है। फिर हम कसूरवार कैसे हुए?
हाईकोर्ट में सरकार और जलसंसाधन विभाग के इंजीनियर चुप रहे। नतीजा ये हुआ कि सारथी कंस्ट्रक्शन पहले की तरह पाक-साफ हो गई। इसी सारथी कंस्ट्रक्शन के पास मध्यप्रदेश के अन्य डैम बनाने का भी जिम्मा है। सोलंकी कहते हैं कि एएनएस और सारथी दोनों ही कंपनियां पहले भी ब्लैकलिस्ट थीं, लेकिन जानबूझकर इन्हें काम दिया गया। क्या सरकार को दूसरी ऐसी कंपनी नहीं मिलीं जो 300 करोड़ का काम कर सकती थीं? सरकार ने जानबूझकर एएनएस को काम दिया और जब एएनएस ने सारथी को पेटी काॅन्ट्रेक्ट में पूरे डैम का काम सौंप दिया तब भी सरकार चुप रही?
कोर्ट में क्या तर्क दिए कंपनी ने-
सारथी कंस्ट्रक्शन ने कोर्ट को बताया कि…
- जलसंसाधन विभाग के साथ एग्रीमेंट हमारी कंपनी का नहीं हुआ था, मूल एग्रीमेंट दिल्ली की एएनएस कंस्ट्रक्शन के साथ हुआ था।
- एएनएस कंस्ट्रक्शन ने हमें डैम के 50 फीसदी काम का पेटी काॅन्ट्रेक्ट दिया था।
- मिट्टी की दीवार बनाने का काम सारथी कंस्ट्रक्शन ने नहीं किया, जो दूसरे काम लिए थे, वो पूरे किए।
- सरकार ने हमारा पक्ष सुने बिना 16 अगस्त 2022 को हमें सीधे ब्लैकलिस्ट कर दिया।
- किसी का पक्ष सुने बिना उसके खिलाफ एक्शन लेना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरित है
कोर्ट ने फैसले में कहा-
फरवरी 2023 में हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के जस्टिस एसए धर्माधिकारी और जस्टिस प्रकाशचंद्र गुप्ता ने अपने आदेश में कहा कि ब्लैकलिस्टिंग अनिश्चित काल के लिए नहीं हो सकती। जल संसाधन विभाग का मूल अनुबंध सारथी कंस्ट्रक्शन के साथ न होकर एएनएस कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के साथ था।
याचिकाकर्ता सारथी कंस्ट्रक्शन उप-ठेकेदार है। एग्रीमेंट के मुताबिक सारथी कंस्ट्रक्शन ने जो काम किया, उसकी प्रकृति भी अलग है। बांध टूटने के कारण के लिए आवंटित कार्य को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता। किसी ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने के लिए कारण बताओ नोटिस दिया जाना जरूरी होता है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। ब्लैकलिस्ट करने से पहले उन्हें सुनवाई का कोई उचित अवसर नहीं मिला।
कंपनी ब्लैकलिस्ट क्यों नहीं रहना चाहती, इसके पीछे की वजह समझिए
सारथी कंस्ट्रशन एंड इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड एक प्राइवेट कंपनी है। 18-जून-2021 को ये कंपनी रजिस्टर हुई है। ग्वालियर में स्थित रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में पंजीकृत है। इसका मुख्यालय भी ग्वालियर में है। कंपनी के निदेशक अशोक भारद्वाज , गौरव भारद्वाज और राजश्री भारद्वाज हैं। इस कंपनी के पास प्रदेश में कई निर्माण कार्यों का काॅन्ट्रेक्ट है।
- 208 करोड़ के चंबल वाटर प्रोजेक्ट के तहत पाइपलाइन का काम सारथी कंस्ट्रक्शन को मिला है।
- पन्ना में अजयगढ़ डैम के निर्माण से जुड़े प्रोजेक्ट में भी सारथी कंस्ट्रक्शन के पास काम है।
- सतना में नहर निर्माण से जुड़े प्रोजेक्ट भी इसी कंपनी के पास है।
- महुअर डैम के निर्माण से जुड़े काम भी इस कंपनी के पास हैं। (विभाग के इंजीनियरों से मिली जानकारी। ये भी कहा गया है कि इसके अलावा भी कई अहम कार्य इस कंपनी के पास हैं।)
चूंकि ये कंपनी पहले ब्लैकलिस्ट थी, फिर हाईकोर्ट से कंपनी को राहत मिल गई, इसलिए इस कंपनी के बारे में विभाग के इंजीनियर खुलकर बोलने से बच रहे हैं। जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर कुशवाह कहते हैं कि हां ये सही है कि कारम डैम के निर्माण में ब्लैकलिस्ट हुई सारथी कंस्ट्रक्शन को हाईकोर्ट से राहत मिल चुकी है। हमने जब उनसे सवाल किया कि उनके पास प्रदेश के कितने निर्माण कार्य हैं, तो जवाब मिला कि वो कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, लेकिन ये बताना मुमकिन नहीं कि कितने करोड़ के प्रोजेक्ट इस कंपनी के पास हैं। हमने सारथी कंस्ट्रक्शन के डायरेक्टर अशोक भारद्वाज से भी संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।