सीनियर सिटीजन के लिए अब सुरक्षा ही सबसे बड़ा उपहार
सीनियर सिटीजन के लिए अब सुरक्षा ही सबसे बड़ा उपहार …
यकीन मानिए, अगर बुज़ुर्गों से पूछेंगे कि उन्हें क्या चाहिए तो वे हिंसा और ठगी से सुरक्षा की मांग करेंगे। इन दिनों उनके खिलाफ़ हिंसा और ऑनलाइन ठगी बढ़ रही है, जहां अपराधी बचत में सेंध लगा रहे हैं। मैं जिस शहर में रहता हूं वहां अपराध की मंशा वाले लोग, अकेले रह रहे अमीर बुजु़र्गों के घरों में नौकरी तलाशते हैं।
कमज़ोर शरीर, नज़र, याददाश्त समेत अन्य बीमारियां, बुज़ुर्गों को रोज़मर्रा के कामों के लिए देखभाल करने वालों यानी सपोर्ट स्टाफ़ पर निर्भर बना देती हैं। उनके बच्चे दूर रहते हैं तो बुज़ुर्ग कई बार संपत्ति सहित घर के गोपनीय मामलों की जानकारी, सपोर्ट स्टाफ को दे देते हैं या स्टाफ ये बातें कहीं से सुन लेता है।
कई बार सपोर्ट स्टाफ पर भरोसा भारी पड़ जाता है। मुंबई में तो मुझे अक्सर बुज़ुर्गों के साथ हुईं, हैरान करने वाली घटनाएं सुनने मिलती रहती हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने ऐसी कई घटनाएं दर्ज की हैं। रसोई के चाकू से हमला अब आम हो गया है। सुरक्षा विशेषज्ञ और स्थानीय पुलिस, वरिष्ठ नागरिकों को अपनी दौलत घर से दूर रखने, किसी पर भरोसा न करने और दोस्तों, रिश्तेदारों तथा पड़ोसियों से संपर्क में रहने की सलाह देते हैं।
साथ ही, जो बच्चे दूर रहते हैं, उन्हें सलाह दी जाती है कि वे मां-बाप को दिन में दो बार वीडियो कॉल करें, किसी स्थानीय दोस्त को घर भेजते रहें या बुजु़र्गों के लिए काम करने वाले किसी एनजीओ की मदद लेते रहें। साथ ही सुनिश्चित करें कि मां-बाप घर में बहुत ज़्यादा नकद या गहने न रखें और उनका प्रदर्शन न करें। विशेषज्ञ कहते हैं, ‘आप कहीं भी रहें, लेकिन पता होना चाहिए कि मां-बाप से मिलने कौन आया। उन्हें अनजान लोगों से मिलने से रोकें।’
लेकिन मेरा क्राइम रिपोर्टिंग वाला दिमाग कुछ अलग भी करता है। मैं दोस्तों को सलाह देता हूं कि वे सपोर्ट स्टाफ के साथ बैठकर उनसे बातें करें। इससे आपको उनके गृहनगर और पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में जानने मिलेगा। स्टाफ की गैस कनेक्शन लेने में या कोई सरकारी दस्तावेज़ बनवाने में मदद करें। इससे आपको उनके अधिकृत सरकारी दस्तावेज़ों से जुड़ी जानकारी मिल जाएगी। इनकी कॉपी अपने पास रखें या क्लाउड पर अपलोड कर लें।
मां-बाप के घर पर, सपोर्ट स्टाफ के नौकरी छोड़ने के बाद उसके द्वारा अपराध की आशंका बढ़ गई है, हालांकि सभी को एक नज़र से नहीं देखा जा सकता। हो सके तो स्टाफ को वीडियो कॉल करते रहें, ताकि पता चल सके कि कुछ संदेहास्पद तो नहीं है। अंततः अपनी वसीयत तैयार रखें और उसकी कॉपी बच्चों या वकील को दें।
….. जहां अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ रही है, वहां अमीरों के साथ लूटपाट आम हो रही है। इसलिए यह हमारी और हमारे बुज़ुर्गों की जिम्मेदारी है कि लूटने की मंशा रखने वाले खतरनाक लोगों से खुद को सुरक्षित रखें।