बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ नवाचार को दें बढ़ावा

बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ नवाचार को दें बढ़ावा …

वर्तमान समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने दुनिया के तमाम देशों के बुद्धिजीवियों और आइटी विशेषज्ञों को हैरान कर रखा है। सुंदर पिचाई से लेकर नारायण मूर्ति तक आइटी क्षेत्र से जुड़ी सभी नामचीन हस्तियां अचंभित हैं। यूं तो मानव जाति ने अपनी सभ्यता के सफर में आग और पहिए के आविष्कार से लेकर इंटरनेट-संचार क्रांति तक अनेक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन देखे हैं। किंतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसा महत्त्वपूर्ण बदलाव मानव सभ्यता के इतिहास में बेजोड़ साबित हो रहा है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्धारकों ने अनेक वर्षों तक प्रौद्योगिकी को ऊर्जा, वित्त, वाणिज्य और सामरिक और सुरक्षा संबंधी विभागों तक सीमित कर दिया था। लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्रांतिकारी और अपूर्व टूल्स ने टेक्नोलॉजिकल एडमिनिस्ट्रेशन के लिए एक व्यापक एवं वैश्विक नजरिया प्रस्तुत कर दिया है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का फायदा उठाने के लिए सामान्य अंग्रेजी की जानकारी होना ही पर्याप्त है। भारत इस तकनीक की बदौलत अपनी प्रौद्योगिकी प्रणाली को और अधिक मजबूत करके डिजिटलाइजेशन को और अधिक विशाल बनाने की तैयारी में है। सर्वविदित है कि भारत में विशेष तौर पर एआइ नए कलेवर में जेनरेटिव एआइ बनकर तीव्रता से उपयोग में आ गया है। तमाम आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हुए दिखाई देते हैं कि भारत ने इन 75 सालों में संचार के क्षेत्र में लंबा सफर तय किया है। पोस्टकार्ड जैसे संचार के साधनों से चैटजीपीटी तक का सफर इस क्षेत्र में क्रांति की कहानी खुद बयां करता है। वर्तमान समय में चैटजीपीटी का उपयोग बढ़ता जा रहा है। जीपीटी खासतौर पर भाषा समझने, शब्दावली बनाने और मानव के साथ बातचीत करने की क्षमता को विकसित करने के लिए तैयार किया गया है। इसका उपयोग अनेक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। चैटजीपीटी पर कुछ शब्द लिखकर यदि यह निर्देश दिया जाए कि उनके आधार पर कोई निबंध, कविता या लेख लिखा जाए तो वह यह भी कर सकता है। जैसे कि आप गूगल पर सर्च करके सामग्री जुटाते हैं और फिर उसे अपने परिश्रम से लिपिबद्ध करते हैं।

इसी तरह म्यूजिक के कुछ कोड बताने पर यह एक संपूर्ण गीत तैयार कर सकता है। चैटजीपीटी नामक यह चैटबॉट संवाद कर सकता है। यह न केवल सटीक प्रत्युत्तर दे सकता है, अपितु अपनी भूलों को स्वीकार कर सकता है। और अनुचित निर्देशों को मानने से मना कर सकता है। मतलब साफ है कि चैटजीपीटी ह्यूमन इंटेलिजेंस के एक सटीक विकल्प के रूप में सामने आ रहा है। वर्तमान में आत्मजागृति के लिए भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन तैयार करने की तैयारी हो रही है। ये मशीनें मनुष्यों के भीतर की भावनाओं की पहचान करने में सक्षम होंगी। जैसे-जैसे कंप्यूटर साइंस और तकनीक का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे एआइ के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। बहरहाल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता की बुनियाद को सुदृढ़ बनाने के लिए कुशल-प्रशिक्षण के साथ-साथ इसके अनुशासन पर भी विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। दूसरी ओर, नवाचार को फलने-फूलने देने के लिए हमें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इकोलॉजी सिस्टम के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की जरूरत है। भारत में सभी क्षेत्रों में एआइ को सुनियोजित और सुव्यवस्थित ढंग से अपनाया जाए, इसके लिए देश के बुद्धिजीवियों व तकनीकी विशेषज्ञों को नवाचार के मुताबिक नीति-निर्धारण की जरूरत है।

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