उच्च शिक्षा विभाग की ऐसी व्यवस्था ?
उच्च शिक्षा विभाग की ऐसी व्यवस्था
नई भर्ती की नहीं, अब सप्ताह में तीन दिन रोटेशन पर नए कॉलेज में पढ़ाएंगे प्रोफेसर, 22 किमी दूर जाना होगा
प्रदेश में नए खुले कॉलेजों में प्रोफेसर की भर्ती तो की नहीं, अब बच्चों को पढ़ाने के लिए कामचलाऊ व्यवस्था लागू की जा रही है। अब आसपास के कॉलेज से तीन-तीन दिन के लिए वहां पदस्थ प्रोफेसर पढ़ाने जाएंगे। भोपाल में ही एमवीएम के एक प्रोफेसर फंदा में खुले नए कॉलेज में जा रहे हैं। यह कॉलेज उनके मूल कॉलेज से 22 किमी दूर है।
उच्च शिक्षा विभाग ने रोटेशन व्यवस्था सभी संभागों में लागू कर दी है। प्रदेश में 29 नए सरकारी कॉलेज खोले गए हैं। इनमें छात्रों की संख्या और पाठ्यक्रमों को देखते हुए पास के सरकारी कॉलेज से प्रोफेसर, असि. प्रोफेसर को सप्ताह में कम से कम 3 दिन के लिए नए कॉलेज में पढ़ाने के लिए जाना होगा। नए कॉलेजों में खंडवा, निवाड़ी, खरगोन, रीवा, जबलपुर, दतिया, सागर, पन्ना, इंदौर, कटनी सहित अन्य जिलों के हैं।
500 यूजी-पीजी कॉलेजों में प्रिंसिपल नहीं
इस समय प्रदेश के अधिकांश कॉलेजों में प्रभारी प्रिंसिपल से काम चलाया जा रहा है। प्रदेश के यूजी-पीजी कॉलेजों में प्रिंसिपल के करीब 500 पद खाली हैं। इन कॉलेजों में किसी सीनियर प्रोफेसर को इंचार्ज बना दिया गया है। फैकल्टी की भी कमी है। प्रदेश में करीब 21 साल से प्रोफेसर के प्रमोशन नहीं हुए हैं। प्रदेशा में चार हजार से ज्यादा प्रोफेसर्स की कमी है।
इनका कहना है
छात्र और प्रोफसर, दोनों के साथ अन्याय राेटेशन व्यवस्था छात्र और प्रोफेसर दोनों के साथ अन्याय है। यह खानापूर्ति क्यों की जा रही है। न प्रोफेसर पढ़ा सकेंगे और न ही छात्रों का कोर्स पूरा हाेगा। अगर स्टाफ नहीं है तो रखा जाए। नए कॉलेज दूर-दूर खुले हैं यहां आने-जाने में ही बहुत समय लग जाता है। इसका कोई औचित्य ही नहीं है।
डॉ. कैलाश त्यागी, अध्यक्ष, प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ यह अस्थायी व्यवस्था चक्रीय प्रणाली व्यवस्था स्थायी नहीं है। यहां अतिथि विद्वान रखे जाएंगे। लेकिन जब तक यह व्यवस्था नहीं होती, तब तक तीन-तीन दिन के लिए नजदीकी कॉलेज से शिक्षक पढ़ाने जाएंगे।
ओएसडी, उच्च शिक्षा
प्रोफेसर का विरोध शुरू
रोटेशन व्यवस्था का प्रोफेसर्स ने विरोध किया है। उनका कहना है कि तीन-तीन दिन में वे दोनों जगह पढ़ाई नहीं करवा सकेंगे। दोनों जगह पढ़ाई पर असर पड़ेगा। चक्रीय व्यवस्था ही गलत है। नए कॉलेजों में तो छात्रों की संख्या ही बहुत कम है। भोपाल के फंदा में खुले कॉलेज में ही अभी 4 छात्र हैं।