भाजपा के धुआंधार प्रचार के बीच सहमा सा पंजा ?

 हाल ए चंबल: भाजपा के धुआंधार प्रचार के बीच सहमा सा पंजा …

MP Election 2023: से-जैसे सियासी पारा चढ़ रहा है कांग्रेस सक्रिय होने के बजाय उनींदी सी दिखाई दे रही है। यदि शिवपुरी में हालिया दलबदल को छोड़ दिया जाए तो अंचल में कांग्रेस की सक्रियता ढूंढने से भी नहीं मिलेगी।

  1. जैसे-जैसे सियासी पारा चढ़ रहा है कांग्रेस सक्रिय होने के बजाय उनींदी सी दिखाई दे रही है
  2. शिवपुरी में हालिया दलबदल को छोड़ दिया जाए तो अंचल में कांग्रेस की सक्रियता ढूंढने से भी नहीं मिलेगी
  3. कांग्रेस अंचल में एक अच्छे लीडर की कमी से जूझ रही है

ग्वालियर। जो न करे सो कांग्रेस..। फिलहाल यह बात ग्वालियर-चंबल अंचल में सटीक ही बैठ रही है। जैसे-जैसे सियासी पारा चढ़ रहा है कांग्रेस सक्रिय होने के बजाय उनींदी सी दिखाई दे रही है। यदि शिवपुरी में हालिया दलबदल को छोड़ दिया जाए तो अंचल में कांग्रेस की सक्रियता ढूंढने से भी नहीं मिलेगी। यह हाल एक जिले के नहीं बल्कि ग्वालियर, दतिया, भिंड, मुरैना और श्योपुर में दिखाई दे रहे हैं।

अपना-अपना कुआं खोदो और पानी पीओ

इसमें कोई दो राय नहीं कि कांग्रेस अंचल में एक अच्छे लीडर की कमी से जूझ रही है। राघौगढ़ (गुना) के “राजा” दिग्विजय सिंह पड़ोसी जिले शिवपुरी तक तो करिश्मा दिखा पा रहे हैं लेकिन चंबल में उनकी सक्रियता एकदम शून्य सी है। लहार से कांग्रेस के बड़े नेता और नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह अपने विधानसभा क्षेत्र तक सीमित हैं। उनके पास मौका है कि वे ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस के पायलट बन पार्टी को टेकआफ करवा सकते हैं लेकिन फिलहाल उनकी ओर से यह जिम्मेदारी उठाने का भाव दिखाई नहीं दिया। ग्वालियर से कांग्रेस के एक विधायक कहते हैं- हमारी पार्टी में यही दिक्कत है, यहां कोई संगठन नहीं होता। कोई प्लानिंग नहीं होती.अपना-अपना कुआं खोदो और पानी पीओ।

प्रियंका के बाद नहीं हुई किसी बड़े नेता की सभा

21 जुलाई को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा आई थीं, उस वक्त कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जोश आ गया था। माहौल भी पंजा के पक्ष में दिखाई देने लगा था। कांग्रेस को लगा चंबल फतह हो चुका है लेकिन उसके बाद जितनी तेजी से भाजपा ने लाड़ली बहना और जन आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से श्योपुर, मुरैना, भिंड और ग्वालियर में अपनी पकड़ मजबूत की उतनी ही तेजी से कांग्रेस खुद को पीछे खिसकाती दिखाई दे रही है। पिछले डेढ़ माह से राष्ट्रीय तो छोड़िए प्रादेशिक नेता भी चंबल की ओर पैर करके नहीं सोया। खुद कांग्रेसी कार्यकर्ता हैरान हैं कि जब बढ़िया मोमेंटम बनने लगा था तो हमें अपने हाल पर छोड़ दिया। कांग्रेस नेताओं को यहां सांप क्यों सूंघ गया। जनदर्शन यात्रा के दौरान मुरैना में कांग्रेसी विरोध के लिए उतरे लेकिन वह भी अधिक सुर्खियां नहीं बटोर सका।

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