बच्चों से बात करने से पहले वार्तालाप का होमवर्क करें ?

बच्चों से बात करने से पहले वार्तालाप का होमवर्क करें

आजकल हर दसवें घर का बच्चा या बच्ची बाहर पढ़ रहा है। शिक्षा भी अब एक युद्ध बन गई है। सफल होने का इतना दबाव कि बच्चे की जिंदगी दांव पर लगा देते हैं। बच्चों को असफलता में स्वीकृति की कला माता-पिता को सिखानी होगी। माता-पिता को बच्चों से बात करते समय वार्तालाप का होमवर्क करना होगा।

इस वार्ता को सीढ़ी-दर-सीढ़ी नीचे गहरे उतारना होगा। यानी बातचीत संतानों के मस्तिष्क से शुरू हो, हृदय से गुजरे और इसका समापन आत्मा पर होना चाहिए। चलिए पहले इन सीढ़ियों को समझते हैं। आरंभ लक्ष्य से करिए। बच्चों को बचपन से ही लक्ष्य की स्पष्टता का अर्थ समझाएं। लक्ष्य में संकल्प हो, दबाव नहीं।

उसके बाद परिश्रम के प्रति प्रेरित करें, फिर धैर्य पर बात करें और अंतिम पायदान पर चरित्र हो। यह बात उनके रोम-रोम में उतारी जाए कि चरित्र जीवन का आधार होना चाहिए। सफलता मजबूत चरित्र की दासी होती है। यह तो बातचीत का क्रम है। लेकिन तरीका भी मालूम होना चाहिए। सबसे पहले सुनें। इतना सुनें कि बोलने के मामले में वो खाली हो जाएं।

उसके बाद विचार-विमर्श करें, फिर प्रतिक्रिया करें। टिप्पणी और डांट को अंतिम हथियार के रूप में प्रयोग करें। बच्चों को ये अहसास जरूर कराएं कि उनकी खुशी में ही माता-पिता की खुशी है। वरना इस दौर में उन्हें राह पहले ही नहीं मिल रही है और माता-पिता की चूक उन्हें और भटका देगी।

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