रोड एक्सीडेंट्स से देश में हर वर्ष 3-4 लाख युवाओं की मृत्यु !

17 अक्टूबर: विश्व ट्रॉमा दिवस… रोड एक्सीडेंट्स से देश में हर वर्ष 3-4 लाख युवाओं की मृत्यु

सड़क दुर्घटना में 60% मृत्यु पहले एक घंटे में थोड़ी सी सावधानी, बचा सकती है जान

भारत को दुर्घटनाओं का देश कहा जा रहा है। इसकी वजह यहां सबसे अधिक दुर्घटनाएं होती हैं। हर वर्ष करीब 15 लाख लोगों की मृत्यु सड़क दुर्घटनाओं के कारण हो रही है। इनमें सबसे अधिक युवा होते हैं। सड़क दुर्घटना सबसे अधिक हो रही है। थोड़ी सी सावधानी बरतकर और नियमों का पालन कर न केवल इन दुर्घटनाओं को रोक सकते हैं बल्कि दुर्घटना में पीड़ित लोगों की मदद कर मौत के आंकड़ों को भी कम कर सकते हैं।

सड़क दुर्घटना से कैसे बचें व दुर्घटना में कैसे मदद दें

यातायात नियमों का पालन करें। सीट बेल्ट और हेलमेट लगाएं। बाइक कार की सर्विसिंग समय से करवाएं।

थकान या नशे में ड्राइव न करें। बच्चों को पीछे की सीट पर बैठाएं। फोन करते हुए ड्राइव न करें।

सड़क दुर्घटना होने पर सबसे पहले एम्बुलेंस के लिए 108 पर फोन करें। फोन करने वाला वहीं रहे क्योंकि उसी नंबर के लोकेशन पर एम्बुलेंस आती है।

फिर पीड़ित की स्थिति देखते हुए मदद करें। हड्डी टूटी है तो सावधानी से उठाएं। सांस नहीं चल रही है तो सीपीआर दें। ब्लीडिंग हो रही है तो ब्लड को बहने से रोकने के लिए कपड़ा आदि बांधें। मदद करते समय ध्यान रखें कि कहीं आपकी मदद से उसकी स्थिति और खराब तो नहीं हो रही है।

डॉ. नोडल अधिकारी, ट्रॉमा सेंटर, एसएमएस मेडिकल

क्या होता है ट्रॉमा

किसी भी प्रकार की अप्रत्याशित घटना से शारीरिक या मानसिक आघात होता है तो उसे ट्रॉमा में शामिल किया जाता है। इसमें न केवल अंगों को नुकसान पहुंचता है बल्कि मानसिक, सामाजिक और आर्थिक नुकसान भी होता है। देश, परिवार और समाज को भी इसका नुकसान उठाना पड़ता है। जैसे किसी परिवार के मुखिया को दुर्घटना से नुकसान पहुंचता है तो पूरा परिवार भी प्रभावित होता है। दुर्घटनाओं का सबसे अहम कारण नियमों की अनदेखी है। जब कोई काम करें तो नियमों का पालन करें। चोट केवल सड़कों पर ही नहीं, बल्कि घरों में, निर्माण स्थानों, कंपनियों या आग से भी लग सकती है।

अगर रोड एक्सीडेंट से पीड़ित को शुरू के 10 मिनट में मदद मिल जाती है तो उसके जीवित होने की संभावना 80% तक बढ़ जाती है क्योंकि रोड एक्सीडेंट्स से होने वाली कुल मृत्यु में पहले एक घंटे में 60% और उनमें से भी 60% मत्यु पहले 10 मिनट में होती है। इसलिए सड़क दुर्घटना में मदद में देरी न करें। मददगारों से न तो पुलिस और न ही डॉक्टर बिना उसकी मर्जी के सवाल पूछ सकते हैं।

..क्यों जरूरी है बीएलएस ट्रेनिंग

बीएलएस यानी बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग हर किसी को लेनी चाहिए। यह ट्रेनिंग लगभग हर मेडिकल कॉलेज में नि:शुल्क दी जाती है। इसे यूटॺूब से भी सीखा जा सकता है। कुछ लोगों को लगता है कि यह सीखने के बाद केवल रोड एक्सीडेंट्स वालों की मदद की जाती है। ऐसा नहीं है, घर में कोई गिरकर चोटिल हो गया या किसी को हार्ट अटैक आया है तो उसमें भी बीएलएस ट्रेनिंग काफी मददगार होती है। प्रशिक्षित व्यक्ति तात्कालिक राहत दे सकता है।

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