कैसे इजरायल-हमास की जंग में पिस रहे गाजा के लोग?

आसमान से बरसती आफत, सिर छिपाने को मुल्क नहीं… कैसे इजरायल-हमास की जंग में पिस रहे गाजा के लोग?
13 अक्टूबर को इजरायली रक्षा मंत्रालय और इजरायली सेना ने वाडी गाजा के उत्तर में रहने वाले फिलिस्तीनियों को अगले 24 घंटों के अंदर इस जगह को पूरी तरह खाली करने को भी कहा है.
इजरायल-हमास के बीच एक सप्ताह से लगातार जंग जारी है. पिछले 7 अक्टूबर की सुबह हमास ने इजरायल पर 20 मिनट के अंदर लगभग 5 हजार से ज्यादा मिसाइलें छोड़ दी थी. इस हमले में हजारों आम लोगों की जान चली गई थी. जिसके बाद से ही इजरायल की तरफ से जवाबी हमला जारी है और अब लग रहा है कि इजरायल ने हमास को पूरी तरह खत्म करने की ठान ली है. इजरायल चाहता है कि गाजा पट्टी में मौजूद फिलिस्तीनी नागरिक उस इलाके को खाली कर सुरक्षित क्षेत्र में चले जाएं. ताकि इजरायली सैनिक जमीनी जंग की आखिरी तैयारी कर सके.

यही कारण है कि 13 अक्टूबर को इजरायली रक्षा मंत्रालय और इजरायली सेना ने वाडी गाजा के उत्तर में रहने वाले फिलिस्तीनियों को अगले 24 घंटों के अंदर इस जगह को पूरी तरह खाली करने को भी कहा है. संयुक्त राष्ट्र की तरफ से भी बताया गया कि इजरायल ने उनसे भी उत्तरी गाजा से भी 24 घंटे के अंदर अपने स्टाफ और नागरिकों को हटाने के लिए कहा है. जिसके जवाब में संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि इस तरह का विस्थापन नामुमकिन है और इसके भयानक नतीजे हो सकते हैं. 

हालांकि इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र के इस बयान की पुष्टि नहीं की है, लेकिन इजरायली प्रवक्ता ने पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि हम 24 घंटे से ज्यादा का समय देने की कोशिश कर रहे हैं और समझते हैं कि ये काम इतने कम समय में नहीं हो सकता है.

इजरायल के आदेश पर हमास की प्रतिक्रिया

इजरायल के आदेश के कुछ घंटों बाद ही हमास ने फिलिस्तीनियों से अपने घरों में रहने का आह्वान किया है. उत्तरी गाजा में करीब 11 लाख लोग हैं. एपी की रिपोर्ट के अनुसार, हमास के अधिकारियों ने उत्तरी गाजा के लोगों से कहा है कि वे अपने घरों में स्थिर रहकर और इस घृणित मनोवैज्ञानिक युद्ध के सामने मजबूती से खड़े रहें.

ऐसे में इस रिपोर्ट में जानते हैं कि इजरायल के इस आदेश के बाद उत्तरी गाजा में रहने वाले लगभग 11 लाख लोग कहां जाएंगे और जब उनकी इमारतें ध्वस्त कर दी जाएगी तो वह वापस कैसे आ पाएंगे

गाजा को खाली करने के आदेश पर संयुक्त राष्ट्र ने क्या कहा 

संयुक्त राष्ट्र ने इजरायली सेना से अपील भी की ही है कि वह गाजा से लोगों के विस्थापन का आदेश वापस ले ले. संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि  इजरायल के इस आदेश से एक बहुत बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा. उसका कहना है कि संयुक्र राष्ट्र मानता है इस तरह से भारी संख्या में लोगों का हटना नामुमकिन है और इससे बहुत ही ज्यादा नुकसान होगा

फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र सहायता एजेंसी UNRWA ने भी इस मामले पर इजराइल सरकार से अपील करते हुए कहा कि वो, पूरे गाजा पट्टी क्षेत्र में, एजेंसी के आश्रय स्थलों में पनाह लिए हुए आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करे. UNRWA के अध्यक्ष फ़िलिपे लज़ारिनी ने शनिवार को ये भी कहा है कि फिलिस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा पट्टी में 20 लाख लोगों के लिए ज़िन्दगी और मौत का मामला बना हुआ है क्योंकि इस क्षेत्र में पानी खत्म हो रहा है.

पिछले शनिवार यानी 14 अक्टूबर पर UNRWA ने एक प्रेस रिलीज में जानकारी दी इजरायल ने गाजा के उत्तरी क्षेत्र के लगभग 11 लाख लोगों को, उस क्षेत्र को खाली कर दक्षिणी इलाके में जाने का आदेश जारी किया है.लेकिन बावजूद इसके कई ऐसे लोग हैं जो इस इलाके के छोड़ने में समर्थ नहीं है. इनमें से ज्यादातर संख्या गर्भवती महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और विकलांग लोगों की है. 

प्रेस रिलीज में UNRWA ने कहा कि इन लोगों के पास फिलहाल कोई विकल्प नहीं बचा है इसलिए इजरायली सेना की तरफ से इनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए.”

यूएन एजेंसी के अनुसार है, “युद्ध के भी कुछ नियम हैं. आम लोगों, अस्पतालों, स्कूलों, क्लीनिकों और संयुक्त राष्ट्र के ठिकानों को निशाना नहीं बनाया जा सकता है. इस एजेंसी के कहना है कि यह युद्ध भी कोई अपवाद नहीं हो सकता, आम लोगों और यूएन इमारतों सहित, तमाम नागरिक ढाँचे का संरक्षण, सुनिश्चित किया जाना, इस टकराव पर भी लागू होता है.

इजरायल की चेतावनी का लोगों पर कितना असर? 

गाजा पट्टी, इजरायल, मिस्र और भूमध्य सागर के बीच बसा एक छोटा सा क्षेत्र है जिसे दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भी जाना जाता है. इस क्षेत्र में फिलिस्तीनियों की 20 लाख आबादी रहती है. वहीं गाजा के जिस उत्तरी भाग को खाली करने को कहा गया है वहां कम से कम 11 लाख लोग रहते हैं. इनमें से महिलाएं और बच्चे बड़ी संख्या में शामिल है.

इजराइल और हमास के बीच चली रहे युद्ध में पिछले एक सप्ताह में हजारों लोगों की जान जा चुकी है. यही कारण है कि इजरायल की  चेतावनी के बाद उत्तरी गाजा से लगभग 4 लाख 23 हजार लोग पलायन कर चुके हैं. 

गाजा की भौगोलिक जटिलता को समझिए 

गाजा दुनिया का सबसे घनी आबादी वाला इलाका है. यह क्षेत्र एक पट्टी के तौर जाना जाता है. गाजा पट्टी इजरायल के दक्षिण पश्चिम में 45 किलोमीटर लंबा और 6-10 किलोमीटर चौड़ा  क्षेत्र है और इसके तीनों तरफ इजरायल का नियंत्रण है और दक्षिण में मिस्र है. जमीनी तौर पर इजराइल गाजा पट्टी के दो ही तरफ है, पश्चिम में भूमध्य सागर में इसकी जलीय सीमा भी इजरायल नियंत्रित करता है.

गाजा छोड़ने में परेशानी?

ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है कि आखिर गाजा पट्टी के 11 लाख नागरिक अपने इलाके को छोड़ कर कहां जाएंगे. जाहिर है कि इजरायल इन लोगों को अपने क्षेत्र में शरण नहीं देगा. ऐसे में अगर वो दक्षिण में मिस्र के तरफ जाएंगे भी तो वे वहां कब तक पहुंचेंगे और फिलहाल एक दिन में केवल सिर्फ 400 लोगों को सरहद पार करने की इजाजत है.

इजरायल गाजा तक मदद पहुंचाने नहीं दे रहा 

गाजा पट्टी में हो रहे इजरायल और हमास के बीच जंग पर न सिर्फ अरब देशों की बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें टिकी बनी हुई है. अन्य देशों की चिंता है कि इस युद्ध में बेकसूर आम नागरिकों को नुकसान न हो. अमेरिका भी इजरायल पर हुए हमले के बाद उसके साथ है, लेकिन वो उसको गाजा में नागरिकों के कत्लेआम से बचने की सलाह भी दे रहा है. 

हालांकि पड़ोसी देश जॉर्डन का कहना है कि इजरायल गाजा के लोगों तक मदद पहुंचाने नहीं दे रहा है और ऐसा करना अंतरराष्ट्रीय कानूनों को उल्लंघन है.

इजरायल पर सफेद फास्फोरस के इस्तेमाल का आरोप 

इस बीच ह्यूमन राइट्स वॉच ने इजरायल पर आरोप लगाया कि गाजा और लेबनान में सैन्य अभियानों के दौरान इजरायली डिफेंस फोर्स ने व्हाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल किया था. ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा, ‘यह नागरिकों को गंभीर और दीर्घकालिक चोटों के जोखिम में डालता है.’

संस्था ने कहा, ‘दुनिया की सबसे घनी आबादी वाले इलाकों से एक गाजा में नागरिकों के खिलाफ व्हाइट फास्फोरस का इस्तेमाल वहां रहने वाले नागरिकों के जीवन को जोखिम में डालता है, इसके साथ ही ये अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करता है.’ 

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इजरायली सेना ने लेबनान में व्हाइट फास्फोरस के इस्तेमाल पर कोई टिप्पणी नहीं की है. इसके अलावा सेना ने गाजा इलाके में व्हाइट फास्फोरस के इस्तेमाल को लेकर कहा है कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है.

क्या होता है सफेद फास्फोरस?

सफेद फास्फोरस एक ऐसा पदार्थ जो हवा के संपर्क में आते ही जल उठता है. जब यह पदार्थ हवा के संपर्क में आता है तब उसमें 800 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा का तापमान निकलता है. इसका इस्तेमाल जंगी कार्रवाईयों में किया जाता है, जब व्हाइट फास्फोरस इंसानों के संपर्क में आता है तो इससे शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचता है. इंसानी शरीर में इसके संपर्क में आने से असहनीय जलन होती है. 

इसके संपर्क में आने के बाद घायल व्यक्ति को सांस की समस्या हो सकती है, शरीर के कई अंग खराब हो सकते हैं. अगर शरीर का 10 फीसद हिस्सा इसके संपर्क में आता है तो इससे जान जाने का खतरा रहता है, लेकिन जो लोग व्हाइट फास्फोरस के घावों को झेल कर बच जाते हैं, उनकी बाकी की जिंदगी तबाह हो जाती है, सारी उम्र उन्हें दर्द झेलना पड़ता है. 

कब और क्यों हुई इस जंग की शुरुआत

7 अक्टूबर की सुबह इजरायल पर फिलिस्तीन संगठन हमास ने महज 20 मिनट में 5 हजार रॉकेट दागे. ये  रॉकेट इजरायल के रिहायशी इमारतों पर गिरे जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई. इस हमले को हमास ने ऑपरेशन ‘अल-अक्सा फ्लड’ का नाम दिया. 

इजरायल पर हुए हमले के तुरंत बाद ही इस देश ने ‘युद्ध’ की घोषणा कर दी और जवाबी कार्रवाई में इजरायल ने गाजा पट्टी में हमास के 17 सैन्य ठिकानों और 4 हेडक्वार्टर पर हवाई हमला किया. इस हमले में भी कई लोगों की मौत हुई .

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्ध की घोषणा करते हुए कहा कि फिलिस्तीन अपने दुश्मन से “अभूतपूर्व कीमत” वसूलेगा. इजरायल ने अपने दुश्मन के खिलाफ ‘ऑपरेशन आयरन स्वार्ड्स’ लॉन्च किया है.

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