ग्वालियर-चंबल में फंसा चुनाव ! ये बागी मैदान में…

 ग्वालियर-चंबल में फंसा चुनाव, 25 सीटों पर सीधा और नौ पर त्रिकोणीय मुकाबला
विधानसभा चुनाव-2023 में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के लिए ग्वालियर चंबल अंचल की 34 सीटों को जीतने के लिए होड़ मची है। अंचल की 9 सीटें ऐसी हैं जिन पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा, जबकि 25 सीटों पर सीधा मुकाबला होगा। त्रिकोणीय मुकाबले वाली सीटें भाजपा और कांग्रेस के समीकरण को बिगाड़ सकती हैं। कांग्रेस सरकार को इन 34 सीटों के कारण ही सत्ता से बाहर होना पड़ा था। इसलिए कांग्रेस और भाजपा इन सीटों को जीतने के लिए जोर लगा रही है। चंबल अंचल में भिण्ड और मुरैना जिले की विधानसभा में 3-3 सीटें ऐसी है जहां त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बन गई है। हालांकि पिछले चुनाव में भिंड से बसपा से संजीव कुशवाह खड़े हुए थे और जीत भी हासिल की थी। चंबल से एकमात्र सीट थी जो किसी तीसरी पार्टी ने जीती थी।
इन सीटों पर सीधा मुकाबला
मेहगांव, गोहद, सबलगढ़, जौरा, अंबाह, डबरा, भितरवार, श्योपुर, विजयपुर, बमौरी, गुना, राधौगढ़, शिवपुरी, पिछोर, करैरा, ग्वालियर, ग्वालियर दक्षिण, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर ग्रामीण, भांडेर, दतिया, कोलारस।
इन सीटों पर बन रहा त्रिकोणीय समीकरण
भिंड, अटेर, लहार, सुमावली, मुरैना, दिमनी, चाचौड़ा, पोहरी, सेवढ़ा।
साल 2018 में कांग्रेस ने जीती थी 27 सीटें
साल 2018 के चुनाव में इस क्षेत्र से कांग्रेस ने 34 में से 27 सीटें जीती थी, जबकि भाजपा 5 सीटों पर सिमट कर रह गई थी, इस जीत के शिल्पकार ज्योतिरादित्य सिंधिया थे। अब सिंधिया भाजपा में आ गए हैं, इसलिए अब पिछले रिकॉर्ड को दोहराना उनके चुनौती होगा। सिंधिया अपने करीबी उम्मीदवारों को जिताने को जी जान से जुटे हैं और लगातार सभाएं कर रहे हैं। इसके अलावा भाजपा के स्टार प्रचारकों को मैदान में ला रहे हैं।
ये बागी मैदान में…
ग्वालियर-चंबल अंचल की सीटों पर दिग्गज बागी बनकर चुनाव मैदान में हैं। भिंड जिले की लहार सीट से भाजपा के बागी रसाल सिंह बसपा, अटेर से मुन्ना सिंह भदौरिया सपा, भिंड सीट से संजीव सिंह कुशवाह बसपा, मुरैना विधानसभा सीट से भाजपा के बागी राकेश रुस्तम सिंह बसपा से, सुमावली से कांग्रेस के बागी कुलदीप सिकरवार और दिमनी से बलवीर डंडोतिया बसपा, शिवपुरी के पोहरी से कांग्रेस के बागी प्रद्युमन वर्मा बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं।
तोमरों के चक्रव्यू में फंसे नरेंद्र सिंह तोमर
चुनावी माहौल में यहां की फिजा थोड़ी बदली हुई दिख रही है, क्योंकि अंचल की राजनीति में ‘बास’ कहे जाने वाले पीएम मोदी के कैबिनेट के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को 15 साल बाद विधानसभा चुनाव के अखाड़े में रणनीति के तहत उतारा गया है। नरेंद्र खुद तोमर होते हुए भी तोमरों के चक्रव्यू में फंस गए हैं..। मुकाबला कड़ा है।

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