ग्वालियर … तीन महीने बाद भी फरार हैं अड़ीबाज पुलिसकर्मी ?

तीन महीने बाद भी फरार हैं अड़ीबाज पुलिसकर्मी:पकड़ना मुश्किल टास्क, जानते हैं पुलिस से बचने के पैंतरे
ग्वालियर में क्रिकेट सटोरियों से 23 लाख रुपए की अड़ीबाजी करने वाले क्राइम ब्रांच व गोला का मंदिर थाना के पुलिस कर्मियों को तीन महीने बाद भी पुलिस नहीं पकड़ पाई है। तीनों पुलिस कर्मियों पर दस-दस हजार रुपए का इनाम घोषित करने के बाद पुलिस के सामने इनको गिरफ्तार करना चुनौती साबित हो रहा है।

क्योंकि सभी आरोपी पुलिसकर्मी हैं और लंबे समय से क्राइम ब्रांच में रहे हैं। इसका मतलब तेज तर्रार भी हैं। ऐसे में उनको पुलिस के आरोपियों पकड़ने के सारे पैंतरे भी पता हैं। यही कारण है कि वह तीन महीने से अपने ही विभाग को चकमा दे रहे हैं। पुलिस इनको पकड़ने में पूरी तरह फेल है।

ऐसे समझिए पूरा मामला
18 सितंबर 2023 की रात को गोला का मंदिर थाने में पदस्थ उप निरीक्षक मुकुल यादव को थाना सिरोल के अंतर्गत आने वाली एमके सिटी टाउनशिप के फ्लैट नंबर-105 में क्रिकेट पर सट्टा लगवाने की खबर मिली थी। एसआई ने इसकी सूचना क्राइम ब्रांच के प्रधान आरक्षक विकास तोमर और आरक्षक राहुल यादव को दी। इसके बाद तीनों एमके सिटी के फ्लैट नंबर 105 में पहुंचे। बताया जाता है कि इनके साथ एक निजी व्यक्ति भी था। इन लोगों ने फ्लैट में घुसकर 15 सट्टेबाजों को पकड़ा था, तीनों पुलिसकर्मियों ने इन सटोरियों के पास से 10 हजार रुपए नकद व दो मोबाइल छीन लिए थे।

जब पुलिस ने इनके मोबाइल देखे तो उसमें लाखों रुपये का हिसाब-किताब मिलते ही पुलिसकर्मियों की नीयत बदल गई। यहां एसआई मुकुल यादव ने अपनी पिस्टल दिखाकर सटोरियों को धमकाया और उनसे बैंक खातों की जानकारी मांगी। इसके बाद नेट बैंकिंग का पासवर्ड पूछा और दो खातों से 23 लाख 25 हजार रुपए दूसरे खातों में ट्रांसफर कर लिए। इसके बाद सिरोल थाना पुलिस को कार्रवाई के लिए सुपुर्द कर दिया था।

क्रिकेट सटोरियों से अड़ीबाजी कर 23 लाख रुपए ऐंठने वाले पुलिसकर्मी अभी तक फरार हैं। - Dainik Bhaskar

क्रिकेट सटोरियों से अड़ीबाजी कर 23 लाख रुपए ऐंठने वाले पुलिसकर्मी अभी तक फरार हैं।

सटोरियों के बयान व एक मंत्री के हस्तक्षेप के बाद हुआ खुलासा
तीनों पुलिसकर्मियों के द्वारा रात में हुई कार्रवाई की खबर तो पुलिस तक पहुंची लेकिन इसमें हुए खेल की जानकारी पुलिस को नहीं मिली, लेकिन सुबह होते ही यह खबर पुलिस के आला अफसरों तक पहुंच गई थी। जब सटोरियों के बयान लिए तो उन्होंने अड़ीबाजी की पूरी कहानी का खुलासा किया। यहां बता दें कि सभी आरोपी दतिया जिले के रहने वाले थे। इसी बीच प्रदेश की भाजपा सरकार में एक मंत्री ने मामले में हस्तक्षेप किया और उसके बाद अड़ीबाज पुलिस कर्मियों पर FIR दर्ज कर उन्हें निलंबित कर 10-10 हजार का इनाम घोषित किया गया था। तभी से यह तीनों पुलिसकर्मी फरार हैं।

पुलिस के पकड़ना पुलिस के लिए चुनौती
बता दें कि पुलिसकर्मियों की इस करतूत से नाराज एसएसपी राजेश सिंह चंदेल ने क्राइम ब्रांच के डीएसपी शियाज केएम को इस मामले की जांच सौंपी थी। डीएसपी ने जांच की और तीन सटोरियों के दोबारा बयान लिए गए थे। बयान में तीनों पुलिसकर्मियों द्वारा उनसे 23.25 लाख रुपए हथियार की दम पर डरा धमकाकर वसूलने की पुष्टि हुई थी। तभी से तीनों पुलिसकर्मी फरार हैं।

पुलिस के लिए पुलिस वाले आरोपियों को पकड़ना ही चुनौती बना हुआ है। तीन महीने बाद भी एक भी आरोपी पुलिस के हाथ नहीं लगा है। तीनों फरार आरोपी क्राइम ब्रांच से जुड़े रहे हैं इसलिए वह पुलिस से बचने के पैंतरे अच्छी तरह जानते हैं।

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