जिंदगी के 17 साल छीन रहा प्रदूषण !

जिंदगी के 17 साल छीन रहा प्रदूषण: एक अध्ययन से खुलासा, दिल्ली में गैस चैंबर से बढ़ रहे सांस के मरीज
दिल्ली एम्स डॉ. विजय हड्डा ने बताया कि एक अध्ययन से पता चला है कि प्रदूषण के कारण लोगों की 17 साल उम्र कम हो रही है। लोगों में सीओपीडी व अन्य तरह की समस्याएं बढ़ रही हैं। प्रदूषण के कारण सामान्य लोग भी सांस के मरीज बन रहे हैं।
गैस चैंबर से कमजोर होते फेफड़े  …

प्रदूषण हमारी जिंदगी के 17 साल छीन रहा है। प्रदूषण के कारण सामान्य लोग भी सांस के मरीज बन रहे हैं। इसके अलावा उनमें कई तरह की परेशानी हो रही है। हाल ही में हुए अध्ययन ने इसका खुलासा हुआ है। ऐसे में दिल्ली-एनसीआर में हर साल बढ़ने वाले प्रदूषण स्तर को देखकर विशेषज्ञों परेशान हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली-एनसीआर में यदि इसी तरह हर साल गैस चैंबर जैसी स्थिति बनती है तो हर व्यक्ति इसकी चपेट में आ सकता है।

एक अध्ययन से खुलासा
इस बारे में एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ समय से प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बाद आपातकालीन विभाग में मरीजों की समस्या बढ़ी है। इसमें बच्चे, बुजुर्ग व गंभीर रोगी शामिल हैं। प्रदूषण के कारण इनकी स्थिति गंभीर हुई हैं। एम्स के पल्मोनरी विभाग के डॉ. विजय हड्डा का कहना है कि शिकागो के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि प्रदूषण के कारण लोगों की 17 साल उम्र कम हो रही है। यह एक मॉडलिंग अध्ययन था। इसमें प्रदूषण के अधिक और ज्यादा क्षेत्र में तुलना किया गया। ऐसे में दिल्ली में इसे गंभीरता से लेना होगा। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति काफी गंभीर होती है। यह समस्या पूरे उत्तर भारत में देखी जाती है।
ओपीडी में बढ़ गए 30 फीसदी मरीज
प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण ओपीडी में 30 फीसदी तक मरीज बढ़ गए हैं। साथ ही आपातकालीन विभाग में आने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। एम्स के पल्मोनरी विभाग के प्रमुख डॉ. अनंत मोहन ने कहा कि अस्थमा, सीओपीडी के पुराने मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। इसके अलावा यह भी देखा गया है कि जिन्हें पहले सांस की परेशानी नहीं थी, वो भी इसके रोगी बन रहे हैं। मरीजों मे लंबे समय तक खांसी की परेशानी हो रही है। ऐसे मरीजों को इनहेलर, स्टेरॉयड देना पड़ रहा है। अभी तक यह अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों को देना पड़ता था। जो लोग सामान्य थे उनमें प्रदूषण का प्रभाव ज्यादा बढ़ा है।
नॉन स्मोकर में लंग्स कैंसर
डॉ. करण मदान का कहना है कि जो लोग ध्यान धूम्रपान करते हैं उनमें सीओपीडी और लंग्स कैंसर मिल जाता था, लेकिन अब नॉन स्मोकर में भी लंग्स कैंसर मिल रहा है। यह चिंता का विषय है। इसमें प्रदूषण बढ़ा कारण हो सकता है। पिछले कुछ सालों से दिल्ली में सर्दियों में स्थिति खराब हो रही है। आईसीएमआर की पहल पर हमने एक स्टडी की थी, जिसमें हमने यह पाया कि दिल्ली के जिस इलाके में पीएम 2.5 का लेवल बढ़ा हुआ था, उस इलाके के लोग इलाज के लिए ज्यादा संख्या में इमरजेंसी में पहुंचे। जहां-जहां प्रदूषण का स्तर ज्यादा था।

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