ग्वालियर : राजस्व न्यायालयों में 31133 आवेदन लंबित, कलेक्टर के यहां भी 9923 फाइलें पेंडिंग ?
अधिकारियों की सुस्त रफ्तार… राजस्व न्यायालयों में 31133 आवेदन लंबित, कलेक्टर के यहां भी 9923 फाइलें पेंडिंग
ऐसे टूटी कड़ी, जिससे जनता के काम थमे …
ग्वालियर. प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शपथ ग्रहण के बाद राजस्व मामलों पर एक बाद एक आदेश जारी किए। नामांतरण को ले़कर सख्ती के आदेश दिए हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों में ऊपर से नीचे तक सुस्ती दिख रही है। सुस्ती का असर राजस्व न्यायालयों में देखा जा सकता है। 248 मदों में 31 हजार 133 केस लंबित हैं।
लंबित केसों में देखा जाए तो जिले के मुखिया कलेक्टर सबसे ऊपर हैं। इनके यहां 9 हजार 923 केस लंबित हैं। कलेक्टर ने अपने न्यायालय में ही तेजी नहीं दिखाई है। नीचे के अधिकारियों की भी यही स्थिति है। कई अधिकारी अपने न्यायालय में बैठ ही नहीं रहे हैं। कार्यालय बाबुओं के भरोसे हो गए हैं। लोगों के मामले लाल फीता लगी फाइलों में दब गए हैं। मुख्यमंत्री की नामांतरण के प्रकरणों को लेकर चेतावनी जारी हुई थी। इसके बाद कलेक्टर ने प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक बुलाई। इसमें 37 राजस्व न्यायालयों का रिकॉर्ड रखा गया। एक भी न्यायालय ऐसा नहीं था, जहां आसानी से राजस्व सेवाओं के काम हो रहे हों। हर जगह केसों की भरमार मिली। महीनों से लोग काम कराने के लिए चक्कर काट रहे हैं। बैठक में 25 दिसंबर तक राजस्व न्यायालय के प्रकरणों में कमी लाने के निर्देश दिए गए हैं।
नामांतरण – 45 दिन
बटांकन – 60 दिन
सीमांकन – 30 दिन
फौती का नामांतरण- -45 दिन
राजस्व न्यायालयों में 246 मदों में लंबित केसों की स्थिति
माह केस
3 महीने से अधिक 10050
3 से 6 महीना 9037
6 महीना से एक साल 4084
1 से 2 वर्ष 7349
2 से 5 वर्ष 545
5 वर्ष से अधिक 49
निराकरण की स्थिति 62 %
लंबित की स्थिति 38 %
नामांतरण में पटवारी की ज्यादा भूमिका नहीं रही है। कोई व्यक्ति नामांतरण का आवेदन करता है तो पटवारी को तीन बिंदुओं पर रिपोर्ट देनी होती है। पहला विक्रेता के नाम भूमि है या नहीं, मौके पर पजेशन है या नहीं, किसी न्यायालय में जमीन का केस लंबित नहीं है। नामांतरण राजस्व न्यायालय को करना होता है।
ज्ञान सिंह राजपूत, पूर्व अध्यक्ष पटवारी संघ
अधिकारी बैठक, वीआइपी मूवमेंट में व्यस्त रहते हैं। उनके न्यायालय में केस लगते हैं तो अधिकारी की गैर मौजूदगी के चलते तारीख बढ़ जाती है। जिन फाइलों में हित होता है, उन्हें दिलचस्पी लेकर सुनते हैं। आम लोगों को तारीख परतारीख मिल रही है। इस कारण पेंडेंसी बढ़ी है। पटवारी की रिपोर्ट में देर होती है।
कमल जैन, सचिव जिला अभिभाषक संघ कलेक्ट्रेट
● तहसीलदार न्यायालय में जमीन के मामले दायर होते हैं, जिनमें नामांतरण, बंटाकन, सीमांकन के साथ रास्ता विवाद सहित अन्य मामले होते हैं। एसडीएम तहसीलदार के कार्यालयों का निरीक्षण नहीं करते हैं। उनके दायरा रजिस्टर नहीं देखे जाते हैं।
● तहसीलदार पटवारी हल्के को नहीं देख रहे हैं। जो रिपोर्ट मांगी गई, वह नियत समय पर क्यों नहीं आई।
● कोई शिकायत आए तो मैदानी अधिकारी उसकी जांच नहीं करते। लोगों की परेशानियों को अनदेखा किया गया।
● पटवारी ने कितनी देरी से रिपोर्ट दी और तहसीलदार ने कितने दिन फाइल रोकी, इसकी निगरानी नहीं है।
● अधिकारियों का जनता से संवाद कम हो गया है। ऑफिस में लोगों के आवेदनों को अनदेखा किया जा रहा है। इससे लोग परेशान हो रहे हैं।
25 दिसंबर तक राजस्व के लंबित प्रकरणों को निराकरण का आदेश दिया गया है। लेकिन अधिकारी ऑफिसों में नहीं बैठ रहे हैं, जिसके चलते इतनी बड़ी संख्या में लंबित केसों के निराकरण की संभावना नहीं है। नामांतरण के लिए रिपोर्ट भी नहीं आई है। जिसके चलते ये लेट होंगे।