अकेलापन महसूस करने में शर्मिंदगी कैसी, मिलने-जुलने से खुलेंगे संबंधों के बंद द्वार

समाज: अकेलापन महसूस करने में शर्मिंदगी कैसी, मिलने-जुलने से खुलेंगे संबंधों के बंद द्वार
सोशल मीडिया पर लाइक कर देना काफी नहीं। लोगों से मिलना-जुलना शुरू करें, संबंधों के बंद द्वार खुद-ब-खुद खुल जाएंगे।

भावसंशुद्धिरित्येतत्तपो मानसमुच्यते।।
अर्थात् मन में संतुष्टि का भाव, सभी प्राणियों के प्रति आदर का भाव, केवल ईश्वरीय चिन्तन का भाव, मन को आत्मा में स्थिर करने का भाव और सभी प्रकार से मन को शुद्ध करना, मन सम्बन्धी तप कहा जाता है।
भीष्म पर्व, गीता 17/16
(अर्जुन के प्रति साक्षात् भगवान श्रीकृष्ण का गीतोपदेश )

छप्पन साल की रेनेट बेलो इस क्रिसमस पर अपने पड़ोसी के कुत्तों की देखभाल करते हुए अकेले ही छुट्टियां बिताएंगी। वह मानती हैं कि जिंदगी में उन्हें संतुलन खोजने की जरूरत है। सर्जन और टुगेदर: द हीलिंग पावर ऑफ ह्यूमन कनेक्शन इन  ए समटाइम्स लोनली वर्ल्ड के लेखक डॉ विवेक एच मूर्ति कहते हैं कि अकेलापन शर्मिंदगी की वजह बन सकता है और इससे आत्मसम्मान की भावना में भी कमी आ सकती है। हालांकि वह यह भी मानते हैं कि अकेलापन एक मौलिक मानवीय अनुभव है। उनके अनुसार जैसे हम भूख व प्यास का अनुभव करते हैं, ठीक वैसे ही सभी कभी-कभी अकेलेपन का भी अनुभव करते हैं। समाज में जो संबंध हम बनाते हैं, वे जब टूटते हैं, तो पूरे शरीर पर असर डालते हैं।

एक सर्वे के मुताबिक आज आधे से ज्यादा अमेरिकी अकेलेपन के शिकार हैं। 400 फ्रैंड्स एंड नो वन टु कॉल के लेखक 69 साल के वाल वॉकर अपना एक सामाजिक नेटवर्क तैयार करने के लिए काफी मेहनत की। लेकिन उन्हें अकेलेपन का एहसास तब हुआ, जब जरूरत होने पर भी उनका साथ देने के लिए कोई भी मौजूद नहीं था। संबंधों से जो आपकी अपेक्षा है, वह अगर पूरी न हो रही हो, तो भी आप अकेलापन महसूस कर सकते हैं।

डॉ मूर्ति के अनुसार संबंधों को बनाए रखने के लिए आपको लगातार कोशिश करते रहनी होती है और ईमानदारी भी बरतनी होती है। आज के युवा मोबाइल की छोटी-सी स्क्रीन पर जिसे कनेक्शन मानते हैं, उसका लोगों से कनेक्ट होने से कोई लेना-देना नहीं होता। महज सोशल मीडिया पर लाइक करने या मैसेज भेज देने भर से आप लोगों से कनेक्ट नहीं हो जाते। इसके बजाय आपको लोगों से मिलने की कोशिश करनी चाहिए। इससे संबंधों के बंद द्वार फिर से खुल सकते हैं।

शिकागो यूनिवर्सिटी के शोध वैज्ञानिक लुइस हॉकले के अनुसार अगर आप किताबी कीड़े हैं, तो आप यह न सोचें लोग आपके दोस्त बनना पसंद करेंगे। साझा मूल्य व साझा हित ही दोस्ती की नींव रखते हैं। रिश्ते बनने में समय लगता है, शुरुआत में ही ज्यादा अपेक्षाएं न रखें। सामाजिक नेटवर्क को व्यापक बनाने का एक तरीका स्वयंसेवा भी है।

ब्रिटेन में दस हजार स्वयंसेवकों पर किए गए एक अध्ययन में करीब दो-तिहाई स्वयंसेवक इस बात पर सहमत थे कि स्वयंसेवा से उन्हें कम अलग-थलग महसूस होता है। ज्यादा से ज्यादा लोगों से बात करने की कोशिश करने से आपको खुलने का मौका मिलेगा। लोगो को तौलते रहने के बजाय, उन्हें समझने की कोशिश आपको ज्यादा लोकप्रिय बनाएगी। डॉ हॉकले के अनुसार, अकेलेपन से ग्रस्त लोगों का खुद पर जितना वह सोचते हैं, उससे ज्यादा नियंत्रण होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *