इनकम के मुकाबले कांग्रेस का खर्च सबसे ज्यादा…!

राहुल से ज्यादा ममता की पार्टी की कमाई ….

नकम के मुकाबले कांग्रेस का खर्च सबसे ज्यादा…नतीजा चुनाव में दिखेगा क्या?

राजनीति करना सस्ता नहीं है…बहुत पैसे लगते हैं। ये हम सिर्फ कहने के लिए नहीं कह रहे, राजनीतिक दलों के इनकम टैक्स रिटर्न्स भी यही कहते हैं।

देश के 6 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के ITR डिक्लेयरेशन का एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने विश्लेषण किया है।

चुनाव आयोग के पास जमा कराए गए 2021-22 के ये डिक्लेयरेशन बताते हैं कि 6 राजनीतिक दलों ने एक साल में 3289.34 करोड़ रुपए कमाए।

मगर इस कुल राशि में से 1725.61 करोड़ रुपए यानी करीब 48% पैसा ही खर्च हुआ। बाकी 1500 करोड़ रुपए से ज्यादा राजनीतिक दलों की बचत है।

कमाई के मामले में सत्तारूढ़ भाजपा आगे है तो खर्च के मामले में कांग्रेस। कांग्रेस ने अपनी कमाई का करीब 74% हिस्सा खर्च कर दिया, जो बाकी किसी भी राजनीतिक दल से ज्यादा है। बाकी किसी भी पार्टी ने अपनी कमाई का 52% से ज्यादा खर्च नहीं किया।

मगर सबसे ज्यादा चौंकाने वाले हैं तृणमूल कांग्रेस की कमाई में ग्रोथ के आंकड़े। ममता बनर्जी की पार्टी की कमाई एक ही साल में 600% से ज्यादा बढ़ गई है। 545 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाई के साथ तृणमूल आय के मामले में भाजपा के बाद देश की दूसरी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी है।

कमाई और खर्च के इन आंकड़ों के बीच एक परेशान करने वाली बात ये भी है कि राष्ट्रीय पार्टियों की इस अथाह कमाई का 66% से ज्यादा हिस्सा कहां से आया इसका खुलासा पार्टियां नहीं करती हैं। तृणमूल कांग्रेस की कमाई का ही करीब 97% अनडिक्लेयर्ड सोर्स से है।

जानिए, कहां से हो रही पार्टियों की कमाई और कौन सी पार्टी कितना खर्च कहां कर रही है…

 किस पार्टी की कमाई कितनी और कमाई में बढ़ोतरी कितनी

भाजपा कमाई में सबसे आगे…मगर ममता की पार्टी कमाई में सबसे तेज

2021-22 के कमाई के आंकड़े बताते हैं कि भाजपा ने इस साल 1917.12 करोड़ रुपए कमाए। ये राजनीतिक दलों में सबसे ज्यादा इनकम है।

2020-21 के मुकाबले भाजपा की इनकम 154% से ज्यादा बढ़ी भी है। लेकिन कमाई के सबसे ज्यादा चौंकाने वाले आंकड़े तृणमूल कांग्रेस के हैं।

2021-22 में तृणमूल कांग्रेस ने 545.75 करोड़ रुपए की इनकम डिक्लेयर की। लेकिन 2020-21 में पार्टी की इनकम सिर्फ 74.5 करोड़ रुपए ही थी। यानी एक ही साल में पार्टी की कमाई 633.36% बढ़ गई।

कमाई के मामले में तृणमूल कांग्रेस 6 राष्ट्रीय दलों में दूसरे स्थान पर है, यानी कांग्रेस से भी आगे। कांग्रेस ने 2021-22 में करीब 542 करोड़ रुपए की कमाई डिक्लेयर की है। ये पिछले साल के मुकाबले 89.4% की बढ़त है।

कांग्रेस को छोड़ कोई भी पार्टी कमाई का 52% से ज्यादा खर्च नहीं करती

राजनीतिक दल जितना कमाते हैं उतना खर्च नहीं करते। सिर्फ कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जिसके डिक्लेयरेशन के मुताबिक उसने अपनी कमाई का 74% खर्च कर दिया।

भाजपा ने अपनी कमाई का करीब 45% और तृणमूल कांग्रेस ने कमाई का 49% ही खर्च किया। CPI (M) ने कमाई का करीब 52% खर्च किया, जबकि NCP ने 42% ही खर्च किया।

बसपा ऐसी पार्टी है जिसके डिक्लेयरेशन के मुताबिक उसने कमाई से भी ज्यादा खर्च किया है।

अब जानिए, पार्टियां अपनी कमाई खर्च कहां करती हैं …..

पार्टियों का सबसे ज्यादा खर्च चुनाव में…कांग्रेस में एडमिनिस्ट्रेशन पर खर्च भाजपा के बाद सबसे ज्यादा

भाजपा हो या कांग्रेस या तृणमूल कांग्रेस, कमाई में सबसे बड़ी तीनों ही पार्टियों के खर्च का पैटर्न एक जैसा है।

सबसे ज्यादा पैसा चुनावों पर खर्च किया जाता है। इसके बाद सबसे ज्यादा खर्च एडमिनिस्ट्रेशन पर होता है। और तीसरा सबसे बड़ा खर्च कर्मचारियों की तनख्वाह पर होता है।

कुछ पार्टियों के खर्च का ब्यौरा चौंकाने वाला भी है। सीपीआई अपनी कमाई का 50% से ज्यादा हिस्सा पार्टी मुख्यालय के कामरेड्स के अलाउंस पर खर्च करती है।

वहीं, एनसीपी की कमाई का करीब 75% एडमिनिस्ट्रेशन पर ही खर्च हो जाता है। चुनाव पर सिर्फ 19% हिस्सा खर्च किया जाता है।

चुनाव पर खर्च कम करने का सीधा अर्थ ये है कि इन पार्टियों के प्रत्याशियों को चुनाव का पूरा खर्च अपनी ही जेब से निकालना पड़ता है।

अब इन ग्राफिक्स में देखिए, 2021-22 में किस पार्टी का खर्च कहां ज्यादा हुआ…

अब, सबसे ज्यादा चिंता की बात…

पार्टियों की कमाई का 66% हिस्सा कहां से आया…ये वो नहीं बतातीं

2021-22 में 6 राष्ट्रीय दलों की कुल कमाई 3289.34 करोड़ रुपए थी। इसमें से 2172.23 करोड़ रुपए यानी 66% से भी ज्यादा कमाई का सोर्स डिक्लेयर नहीं किया गया।

हर पार्टी ने अपनी कमाई का सबसे बड़ा जरिया दान बताया है। 20 हजार रुपए से कम के दान का सोर्स डिक्लेयर करना पार्टियों के लिए जरूरी नहीं है। साथ ही इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिये मिलने वाले दान का सोर्स भी डिक्लेयर करना जरूरी नहीं है।

इसी नियम का फायदा उठाकर पार्टियां अपनी कमाई के सबसे बड़े हिस्से का सोर्स डिक्लेयर ही नहीं करती हैं।

जो दान डिक्लेयर किया गया…उसमें भाजपा सबसे आगे

20 हजार रुपए से ज्यादा के दान का सोर्स पार्टियों को डिक्लेयर करना पड़ता है। 2021-22 के आंकड़े बताते हैं कि इसमें भाजपा सबसे आगे है।

भाजपा को डिक्लेयर्ड दान के जरिये 614 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई हुई। इसमें प्रति दानदाता औसत दान 12 लाख रुपए से ज्यादा का था।

कमाई में सबसे ज्यादा उछाल दर्ज करने वाली तृणमूल कांग्रेस को 20 हजार से ज्यादा का दान सिर्फ 7 लोगों ने दिया। पार्टी को डिक्लेयर्ड दान के जरिए सिर्फ 43 लाख रुपए की कमाई ही हुई।

इलेक्टोरल बॉन्ड्स हैं अनडिक्लेयर्ड सोर्स का सबसे बड़ा हिस्सा

राजनीतिक दलों ने जिस कमाई के सोर्स का खुलासा नहीं किया उसका सबसे बड़ा हिस्सा इलेक्टोरल बॉन्ड्स से आता है।

2172.23 करोड़ की कुल अनडिक्लेयर्ड सोर्स से हुई कमाई में से 83.4% यानी 1811.94 करोड़ रुपए इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिये आया है

समझिए, क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड

  • इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत केंद्र सरकार ने 2017-18 के बजट में पहली बार की थी।
  • इस योजना की अधिसूचना 2 जनवरी, 2018 को जारी हुई थी।
  • इलेक्टोरल बॉन्ड एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है। हर साल एसबीआई की 29 शाखाओं से ये बॉन्ड बेचे जाते हैं।
  • करंसी नोट्स की तरह ये बॉन्ड 1000, 10 हजार, 1 लाख और 1 करोड़ के डिनॉमिनेशन में जारी होते हैं।
  • कोई भी भारतीय नागरिक या ऑर्गनाइजेशन/कंपनी ये बॉन्ड खरीद सकता है। एक व्यक्ति कितने बॉन्ड खरीद सकता है, इसकी कोई सीमा नहीं रखी गई है।
  • बॉन्ड खरीदने वाले का कोई भी रिकॉर्ड या फिर ये बॉन्ड उसने खरीदने के बाद किसे दिया, इसका कोई भी रिकॉर्ड सार्वजनिक नहीं किया जाता है।
  • बॉन्ड खरीदे जाने के 15 दिन के अंदर उसे इनकैश किया जाना अनिवार्य है।
  • यानी बॉन्ड खरीदने वाला इसे राजनीतिक दल को दान में देता है और वो दल 15 दिन के अंदर बैंक से ये बॉन्ड कैश करवा लेता है।
  • अगर बॉन्ड को कैश न करवाया जाए तो बैंक इसे प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करवा देता है।
  • 2018 से लेकर जनवरी, 2023 तक कुल 25 बार इलेक्टोरल बॉन्ड्स की बिक्री हुई है।
  • इस दौरान 21171 बॉन्ड्स बिके जिनकी वैल्यू 12 हजार करोड़ से ज्यादा है।
  • इतने सालों में सिर्फ 168 बॉन्ड ही कैश न किए जाने पर प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा किए गए। इनकी वैल्यू 23.68 करोड़ रुपए थी।
  • यानी आज तक जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड्स में से 99.8% राजनीतिक दलों ने कैश करवा लिए हैं।

कमाई का सोर्स न बताने की छूट देती है भ्रष्टाचार को बढ़ावा

भारत में हर नागरिक को अपनी कमाई का हर जरिया इनकम टैक्स रिटर्न में डिक्लेयर करना पड़ता है। मगर राजनीतिक दलों को ये छूट मिली हुई है कि उन्हें अपनी आय का हर जरिया बताने की जरूरत नहीं है।

नतीजा ये है कि ज्यादातर पार्टियों की कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा अनडिक्लेयर्ड दान की कैटेगरी में ही आता है।

तृणमूल कांग्रेस ने सिर्फ एक साल में कमाई 600% से ज्यादा बढ़ा ली। करीब 75 करोड़ से सीधे 545 करोड़ रुपए तक पहुंची इनकम में डिक्लेयर्ड दान सिर्फ 43 लाख रुपए का था।

तृणमूल की 545 करोड़ की कमाई में से 528 करोड़ रुपए से ज्यादा उसे इलेक्टोरल बॉन्ड्स से मिले थे। ये बॉन्ड्स किसने दिए ये खुलासा करना पार्टी के लिए बाध्यकारी नहीं है।

पार्टियों को मिली ये छूट भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। ADR के विश्लेषक ये कहते आए हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग का रास्ता खुला हुआ है। पार्टियों को अगर इलेक्टोरल बॉन्ड्स देने वालों के नाम डिक्लेयर करने पड़े तो इस भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकती है।

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