खो गई ग्रेनो प्राधिकरण 500 करोड़ रुपये की भूमि ?
UP: खो गई ग्रेनो प्राधिकरण 500 करोड़ रुपये की भूमि, अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ काम; किसानों ने ढूंढ निकाला
अधिकारियों ने मिलीभगत से किसानों को मूल गांव की जगह दूसरे गांवों में यह भूखंड आवंटित किए थे। इन अपात्र किसानों को हाईकोर्ट से आई सूची में शामिल कर दिया था और इससे किसी को संदेह भी नहीं हुआ।
इसके बाद प्राधिकरण अधिकारियों ने उन्हीं गांवों के कुछ किसानों के साथ मिलकर जमीन पर कब्जा कराना शुरू कर दिया। कुछ दिन पहले ही किसान आंदोलन के दौर चार्ज संभालने आए नए सीईओ रवि कुमार एनजी ने अधिकारियों से प्राधिकरण की गांवों में जमीन तलाशने की जिम्मेदारी दी। अधिकारी और कर्मचारियों ने जमीन नहीं होने की बात कही। तीन माह बाद भी सीईओ को गांवों में जमीन नहीं होने की बात बताई गई। इसके बाद सीईओ ने किसानों को ही प्राधिकरण की खोई जमीन तलाशने की जिम्मेदारी दे दी। पिछले सप्ताह ही प्राधिकरण को इटैड़ा-हैबतपुर और पतवाड़ी गांव में करीब 48 हजार वर्गमीटर जमीन किसानों ने तलाश कर दी। इसके बाद प्राधिकरण सीईओ ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। अब इस जमीन पर किसानों के छह फीसदी भूखंड नियोजित करने की तैयारी है।
397 हेक्टेयर भूमि देकर प्राधिकरण निपटा सकता है पुराना विवाद
तीन दशक पहले प्राधिकरण और किसानों के बीच हुए विवाद को दूर करने के 397 हेक्टेयर भूमि देनी होगी। इतनी जमीन देने के बाद किसानों के पुराने सभी विवाद दूर हो सकेंगे। इससे न सिर्फ किसानों की समस्या दूर होगी, बल्कि प्राधिकरण की रुकी परियोजनाएं भी गति पकड़ सकेंगी। इस समस्या को दूर करने के लिए प्राधिकरण किसानों के लिए जमीन तलाश रहा है। अब प्राधिकरण बोर्ड के नए फैसले को देखें तो 17 हजार से अधिक किसानों को चार फीसदी या अन्य को 10 फीसदी प्लॉट देने के लिए करीब 221 हेक्टेयर जमीन की जरूरत पड़ेगी।
ग्रेनो प्राधिकरण सीईओ रवि कुमार एनजी ने बताया कि अधिकारियों से जब भी गांवों में जमीन तलाश करने की बात कही जाती तो वह भूखंड का पता नहीं चलने की बात कह रहे थे। अब किसानों से गांवों में जमीन की तलाश कराई जा रही है। अब तक 48 हजार वर्गमीटर जमीन का पता चल गया है। जिसकी कीमत करीब 225 करोड़ है। इस पर अगले सप्ताह से किसानों के भूखंड नियोजित कराए जाएंगे।