सिर्फ पैसे से लग्जरी नहीं खरीद सकते, अनुशासन भी चाहिए !
सिर्फ पैसे से लग्जरी नहीं खरीद सकते, अनुशासन भी चाहिए
इस शुक्रवार की बात है। मैं दुबई जा रहा था और विमान के दुबई एयरपोर्ट पर उतरने से 15 मिनट पहले मैंने पासपोर्ट, पर्स और मोबाइल लैपटॉप बैग से निकालकर पेंट की जेब में रख लिए। मेरे बाजू में बैठे सहयात्री ने पूछा कि मैंने ऐसा क्यों किया? मैं सिर्फ मुस्कराया और याद किया कि ठीक तीन दिन पहले जापान में क्या हुआ।
बीते मंगलवार को जापान एयरलाइंस प्लेन (जेएएल) 516 शाम को 17ः43ः02 पर टोक्यो के हनेडा एयरपोर्ट की ओर आता दिखा। कॉकपिट में बैठे कैप्टन एयर ट्राफिक कंट्रोल टॉवर से अनुमित लेने में व्यस्त थे। टॉवर अधिकारी उसी समय संपर्क में आए और कहा कि ‘जेएएल 516, टोक्यो टॉवर, गुड ईवनिंग, रनवे 34आर की ओर जारी रखें, विंड 320/7, (विमान की गति) हमारा एक डिपार्चर भी है।’
10 सेकंड चले कम्युनिकेशन में साफ तौर पर कहा गया कि जिस रनवे पर लैंड करने के लिए वह बढ़ रहे हैं, ठीक उसी पर एक डिपार्चर भी है, फिर भी उन्हें रनवे की तरफ आते रहने के लिए कहा। इसलिए विमान बढ़ता रहा और अगले 114 सेकंड में 310/8 की विंड स्पीड के साथ वह लैंड करने के लिए तैयार था।
अगले पांच सेकंड में टॉवर ने कैप्टन से कहा, ‘जेएएल516, लैंड करने के लिए रनवे 34आर साफ है।’ यह 17:45:01 पर हुआ। ठीक दस सेकंड बाद 17:45:11 पर, टॉवर ने उसी 34आर रनवे से उड़ने के लिए तैयार दूसरे समुद्र तटीय विमान जेए722 (यह भूकंप प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाने के लिए तैयार था)को कहा, ‘जेएस722, टोक्यो टॉवर, गुड ईवनिंग, नंबर 1, टैक्सी टु होल्डिंग पॉइंट सी5।’
जिसका मतलब था कि इसने कोस्ट गार्ड विमान के कैप्टन को कहा कि वह विमान आगे बढ़ा सकते हैं लेकिन जबतक टेकऑफ के लिए चालू रनवे पर आने को ना कहा जाए, सी5 पॉइंट पर पहुंचकर रुकें। यहां से आठ सेकंड बाद 17:45:19 पर वही मैसेज दोहराया।
कंट्रोल टॉवर और दोनों विमानों के कैप्टन से हुई बातचीत, कोस्टगार्ड विमान के कैप्टन के स्टेटमेंट से उलट है, जो कि विमान में सवार छह लोगों में से इकलौते जिंदा बचे हैं, कैप्टन ने जांचकर्ताओं को बताया कि उन्हें रनवे पर आने की अनुमति दी गई थी, जिस पर 379 यात्रियों, तीन पायलट, 12 क्रू के साथ जेएएल 516 उतर रहा था।
कोस्ट गार्ड विमान के कैप्टन के एक्टिव रनवे पर जाने का नतीजा ये हुआ कि दोनों विमान टकरा गए और झटके के साथ आग लग गई, हालांकि पायलट को ये तब तक पता नहीं चला जब क्रू ने उन्हें अलर्ट नहीं किया। अगले 18 मिनट बेहद महत्वपूर्ण थे।
यात्रियों को भी विमान में आग लगी दिखी और अफरा-तफरी मच गई। लेकिन उन्होंने क्रू के निर्देशों पर ध्यान दिया। ज्यों ही विमान रुका, एक मिनट से भी कम में पूरा केबिन धुंए से भर गया और विमान का उद्घोषणा सिस्टम क्षतिग्रस्त हो गया, क्रू ने निर्देश देने के लिए मेगाफोन इस्तेमाल किए और मुंह से चिल्लाकर बताया।
वे कहते रहे, “खड़े मत हों, सामान छोड़ दें, हाई हील्स उतार दें, सिर नीचे झुकाएं।’ और हर किसी ने ड्रिल की तरह निर्देशों का पालन किया। उनकी जिंदगियां बच गईं क्योंकि यात्रियों ने निर्देश माने। उन्होंने अपने किसी भी सामान को हाथ तक नहीं लगाया। यह बिल्कुल किसी पुस्तिका में लिखे बचावकार्य की तरह साबित हुआ।
सभी जिंदगियां सुरक्षित बचाने के ठीक दस मिनट बाद विमान धू-धू करके जल गया। अब आप समझ गए होंगे कि क्यों मैंने सारी जरूरी चीजें अपनी पेंट की जेब में रख लीं क्योंकि मुझे मालूम है कि विमान में होने वाले ज्यादातर हादसे लैंड करने के दौरान ही होते हैं।
लग्जरी का आनंद उठाने के लिए पैसा ही सबकुछ नहीं होता, भविष्य की तैयारी के साथ आत्म अनुशासन और आज्ञा का पालन करने का भी अभ्यास होना चाहिए।