गाजा-इजरायल युद्ध : 24 हजार मौत, लाखों घायल, 19 लाख बेघर, दुनिया जंग रोकने में नाकाम
गाजा-इजरायल युद्ध के 100 दिन: 24 हजार मौत, लाखों घायल, 19 लाख बेघर, दुनिया जंग रोकने में नाकाम
इजरायल और हमास के बीच तनाव लंबे समय से चला आ रहा है. हमास की मिलिट्री विंग को इजरायल, अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, ब्रिटेन और कई दूसरे देशों ने आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है.
गाजा-इजरायल युद्ध के 100 दिन …
एक दिन पहले शनिवार को जारी हमलों में 135 लोगों की मौत हो गई और 312 लोग घायल हुए. 100 दिन से चल रहे युद्ध के दौरान मरने वाले लोगों का कुल आंकड़ा 24000 के पार जा चुका है. इनमें 8000 लड़ाके मारे गए, जबकि 16000 आम लोग की मौत हुई है. इन आम लोगों में भी 80 फीसदी महिलाएं और बच्चे हैं.
करीब 10 हजार लोग लापता हैं. इनके बमबारी के दौरान ध्वस्त हुई बिल्डिंग के मलबे में दबे होने की आशंका है. गाजा की 23 लाख की आबादी है, बताया जा रहा है इनमें से करीब 19 लाख लोग बेघर हो चुके हैं.
गाजा में जीत तक जारी रहेगी लड़ाई!
इजरायल-गाजा युद्ध पर फिलहाल अभी विराम लगने की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है. हाल ही में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘हम हमास को नष्ट कर देंगे. गाजा पट्टी में हमास आतंकवादियों के खिलाफ जीत हासिल करने तक युद्ध जारी रहेगा. इजरायल को जीत हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता.’
इजरायली पीएम नेतन्याहू का कहना है कि मिस्र और गाजा के बीच 14 किमी लंबा बॉर्डर हमेशा के लिए बंद कर देना चाहिए. हमास के तमाम लड़ाके यहीं से एंट्री और एक्जिट करते हैं. ये पट्टी दूसरे देश की सीमा से जुड़ी होने के कारण इजरायल का यहां पर सीधा हमला करना मुश्किल है.
गाजा के ऐतिहासिक स्थल तबाह
इजरायली बमबारी में लगभग पूरा गाजा नष्ट हो चुका है. इंसानों के साथ वहां के ऐतिहासिल स्थल भी नष्ट हो गए. हेरिटेज फॉर पीस ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट की मानें तो गाजा में अबतक 325 ऐतिहासिक स्थल पूरी तरह से तवाब हो चुके हैं. वहीं फलस्तीनी संस्कृति मंत्री अतेफ अबू सैफ का कहना है कि गाजा पर लगातार बमबारी जारी है. सैकड़ों और हजारों साल पुरानी ऐतिहासिक बिल्डिंग धराशाही हो गई.
इनमें दुनिया की सबसे पुरानी चर्चों में से सेंट पोर्फिरियस चर्च भी है. ये 1800 साल पुरानी है. जहां पैगंबर मोहम्मद के दादा की कब्र है वो सैय्यद हशम मस्जिद भी नष्ट हो गई. शहर का हर मार्केट, थिएटर, संग्रहालय, लाइब्रेरी और तमाम पवित्र स्थान नष्ट हो गए. सोशल मीडिया पर हजारों लोग इसका दुख जाहिर कर रहे हैं. लोगों को अपने घर तबाह होने से ज्यादा दुख ओमारी मस्जिद के नष्ट होने का है क्योंकि ये पुराने गाजा का प्रतीक थी.
इजरायल पर आरोप लग रहा है कि इस तरह से गाजा की संस्कृति को नष्ट किए जाना मानव नरसंहार के साथ-साथ सांस्कृतिक नरसंहार भी है. वहीं इजरायली सेना का कहना है कि ये जगह हमास की सुरंग से जुड़ी हुई हैं और यहां लड़ाकों के छिपे होने की संभावना है.
इंटरनेशनल कोर्ट में इजरायल ने दी ये दलीलें
हाल ही में दक्षिण अफ्रीका ने इंटरनेशनल कोर्ट से गुजारिश की है कि वो इजरायल को अपना सैन्य अभियान बंद करने का आदेश दिया जाए. दक्षिण अफ्रीका ने कहा कि इजरायल जो कर रहा है वो जनसंहार है. ये इंटरनेशनल कानून का उल्लंघन है. लेकिन इजरायल सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें बेबुनियाद बताया.
नीदरलैंड्स के हेग में मौजूद इंटरनेशनल कोर्ट में इजरायल ने अपनी दलील देते हुए कहा, दक्षिण अफ्रीका तथ्य को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है. असल में हम आतंकवाद से लड़ रहे हैं, हम झूठ से लड़ रहे हैं. हम जनसंहार नहीं कर रहे, हम जनसंहार के खिलाफ लड़ रहे हैं. हमलों में आम नागरिक को कम से कम नुकसान हो, इसकी पूरी कोशिश की जा रही है. हमला किए जाने से पहले आम नागरिकों को जगह खाली कर देने चेतावनी दी जाती है.
इजरायल और दक्षिण अफ्रीका दोनों ही देश आईसीजे के सदस्य हैं. इस कारण इंटरनेशनल कोर्ट भले ही इजरायल के खिलाफ अपना फैसला सुना सकता है मगर इसे सिर्फ एक राय की तरह माना जाएगा. कोर्ट के पास फैसला लागू कराने की कोई शक्ति नहीं है.
क्यों गाजा को नष्ट करना चाहता है इजरायल
इजरायल और गाजा के बीच इस जंग की शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 से हुई जब सबसे पहले हमास ने दक्षिणी इजरायल पर बड़ा हमला बोल दिया. इजरायल पर एक साथ सैकड़ों रॉकेट दागे गए जिसमें 1200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. इनमें से ज्यादातर इजरायल के नागरिक थे. इसके अलावा हमास के हमलावर 240 लोगों को अपने साथ बंधक बनाकर भी ले गए.
इस हमले के बाद ही इजरायल ने जवाबी कार्रवाई के नाम पर युद्ध छेड़ दिया जिसे चलते हुए 100 दिन हो गए. इजरायली पीएम ने बदला लेने की ठान ली और हमास संगठन के पूरी तरह से खात्मा करने की कसम खा ली. इजरायल ने शुरुआत में हवाई हमले ही किए, फिर बाद में जमीनी स्तर पर भी कार्रवाई शुरू कर दी. हालांकि इस जंग में हमले दोनों तरफ किए जा रहे हैं. हमास भी इजरायल पर लगातार हवाई हमले कर रहा है.
गाजा पट्टी में हमास की सरकार है, जिसे चरमपंथी संगठन माना जाता है. कई देश इसे आतंकवादी संगठन तक मान चुके हैं. ये लोग खुद को फिलिस्तीनी मानते हैं और इजरायल का कड़ा विरोध करते हैं.
कैसे अस्तित्व में आया इजरायल
इजरायल और गाजा के बीच विवाद कोई नया नहीं है. सबसे पहले इसकी भूगोलीय स्थिति समझिए. इजरायल के पूर्व में वेस्ट बैंक और दक्षिण-पश्चिम हिस्से में एक पट्टी है जिसे गाजा पट्टी कहा जाता है. वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी को ही फलस्तीन कहा जाता है. हालांकि दोनों जगह अलग-अलग सरकार है. वेस्ट बैंक में फलस्तीन नेशनल अथॉरिटी सरकार है. वहीं गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा है जो इजरायल विरोधी एक चरमपंथी संगठन कहा जाता है.
100 साल पहले गाजा, वेस्ट बैंक, इजरायल सब एक ही था. इजरायल नाम से कोई देश था ही नहीं. प्रथम विश्व युद्ध में जीत के बाद ब्रिटेन ने पश्चिम एशिया के इस हिस्से पर कब्जा कर लिया था जिसे तब फलस्तीन के नाम से जाना जाता था. यहां पर अल्पसंख्यक यहूदी और बहुसंख्यक अरबी लोग रहा करते थे. धीरे-धीरे यहूदियों और अरब लोगों के बीच अपने अलग देश की मांग उठने लगी. विवाद की शुरुआत तब हुई जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ब्रिटेन से यहूदी लोगों के लिए फलस्तीन को स्थापित करने की बात कही.
क्या है गाजा और इजरायल के बीच विवाद
1947 में संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा कि यहूदियों के लिए यरुशलम एक अंतरराष्ट्रीय शहर बनाया जाएगा. ये बात अरब लोगों को स्वीकार नहीं हुई. जब अग्रेंज भी ये विवाद नहीं सुलझा पाए तो 1948 में फलस्तीन को उसी के हाल पर छोड़कर चले गए. अंग्रेजों के जाने के बाद यहूदी नेताओं ने मिलकर इजरायल नाम से एक देश बनाने का ऐलान कर दिया. इसके बाद दोनों समुदायों के बीच भयंकर जंग छिड़ गई. जब तक संघर्षविराम लागू हुआ फलस्तीन के ज्यादातर हिस्से पर इजरायल ने कब्जा कर लिया था.
इस युद्ध में जॉर्डन और मिस्र जैसे अरब देशों ने फिलस्तीनी लोगों का साथ दिया. उनके लिए लड़ाई लड़ी मगर हार का सामना करना पड़ा. फिलस्तीनियों के पास एक छोटा हिस्सा ही रह गया था. जॉर्डन ने अपने कब्जे वाली जमीन को वेस्ट बैंक का नाम दे दिया और मिस्र के कब्जे वाले एरिया को गाजा स्ट्रिप कहा गया.
साल 1967 में फिर सीरिया और मिस्र ने इजरायल पर हमला कर दिया. इजरायल ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया और उनकी सेना ऐसी मात दी कि गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक, सिनाई प्रायद्वीप और पूर्वी यरूशलम पर कब्जा कर लिया. 1973 में मिस्र और सीरिया ने फिर इजरायल पर अचानक हमला कर दिया. शुरुआत में इजरायली सेना नुकसान हुआ, लेकिन आखिरकार अरब सेनाओं को पीछे धकेल दिया.
1979 में मिस्र और इजरायल के बीच में एक शांति समझौता हुआ. इसके तहत इजरायल ने सिनाई प्रायद्वीप को मुक्त कर मिस्त्र को दे दिया और बदले में मिस्त्र ने इजरायल को एक देश की मान्यता दी. हालांकि इसके बाद भी इजरायल के कई युद्ध लड़े.
अब ये हमास से क्या है विवाद
2006 में हमास नाम के संगठन ने गाजा पट्टी पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया था. हमास की स्थापना सेख अहमद यासीन ने साल 1987 में की थी. इस संगठन का मकसद इजरायल का खात्मा और फिलिस्तीन में इस्लामिक शासन स्थापित करना है. हमास के कब्जे के बाद 2007 से इजरायल ने गाजा पट्टी पर कई तरह के प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिए. यहीं से हमास और इजरायल के बीच संघर्ष का शुरू हो जाता है.
गाजा से हमास इजरायल के ठिकानों पर कई बार रॉकेट हमले करते आ रहा है. जवाब में इजरायल भी हवाई हमले और बमबारी करता रहा. इजरायल हमास को मान्यता देने से इनकार करता रहा है. अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा और जापान जैसे देश हमास को एक आतंकवादी संगठन मानते हैं. वहीं चीन, मिस्त्र, ईरान, नॉर्वे, कतर, ब्राजील, रूस, तुर्की, सीरिया इसे आतंकी संगठन नहीं मानते हैं.
इजरायल-फलस्तीनी विवाद दुनिया के सबसे संवेदनशील मुद्दों में एक है. दुनिया भी इस जंग को रोकने में नाकाम साबित हुई है. इजरायल और गाजा के बीच चल रही इस जंग पर दुनियाभर के देशों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं. कोई देश इजरायल को सपोर्ट कर रहा है तो कोई गाजा और फलस्तीनियों के समर्थन में आवाज उठा रहा है. कुछ देशों में इजरायल के खिलाफ भी जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.