आधी आबादी, पूरी कहानी: महिलाएं कब प्रेग्नेंट होती हैं?

आधी आबादी, पूरी कहानी: महिलाएं कब प्रेग्नेंट होती हैं? इस अहम सवाल का जवाब नहीं जानते ज्यादातर पुरुष
एनएफएचएस सर्वे के अनुसार 85 फीसदी महिलाओं को कॉन्ट्रासेप्शन पिल्स के बारे में पता है, जबकि पुरुषों को मानना है कि सुरक्षित संबंध बनाने की जिम्मेदारी महिलाओं की होती है.

हमारे समाज में जिस तरह प्रेमिकाओं की आंखों, होठों और जुल्फों को लेकर तमाम शायरियां और गज़ले लिखी गई हैं, ठीक उसी तरह एक लड़की का प्रमिका से पत्नी और पत्नी से मां बनने के सफर को भी लिखा जाना चाहिए. लिखा जाना चाहिए की किस तरफ हमारा समाज दोहरी सोच रखता है. 

एक तरफ पुरुष अपनी प्रेमिकाओं/ पत्नियों के लिए कुछ भी कर गुजरने जैसे बड़े बड़े वादे करता है तो दूसरी तरफ वही प्रेमी अपनी प्रेमिका-पत्नी को अनसेफ संबंध झेलने को मजबूर करता है. 

ऐसे में सवाल उठता है कि जब प्यार दो लोगों के बीच का मसला है तो परिवार नियोजन का बोझ सिर्फ महिलाओं के ऊपर क्यों? आधी आबादी, पूरी कहानी की इस सीरीज में हम महिलाओं से जुड़ी उन परेशानियों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिसके बारे मे बात होनी बेहद जरूरी है.  

हाल ही में परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए आंकड़े ये बताते हैं कि भारत में साल 2008 से लेकर 2019 के बीच 5.2 करोड़ लोगों ने नसबंदी कराई, जिसमें से 97% हिस्सेदारी महिलाओं की थी और केवल 3% पुरुषों ने नसबंदी कराने का विकल्प चुना. 

इतना ही नहीं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) ने 2015-16 में एक सर्वे किया था जिसके अनुसार, आज भारत में ज्यादातर लोगों को गर्भनिरोधक तरीकों के बारे में तो पता है, लेकिन उन्हें ये नहीं मालूम कि उन तरीकों का महिलाओं के शरीर पर कितना असर पड़ेगा या  गर्भनिरोधक दवाएं कैसे काम करती हैं?

इसी रिपोर्ट के अनुसार गर्भनिरोधक के अलग-अलग तरीकों में से महिलाओं को सबसे ज्यादा पिल्स गोली के तरीके के बारे में जानकारी थी. सर्वे के अनुसार 85 फीसदी महिलाओं को पिल्स के बारे में पता था, जबकि केवल 79% महिलाओं को कंडोम के बारे में जानकारी थी.  

वहीं 94% पुरुषों को कंडोम और 81% पुरुषों को गर्भनिरोधक के उपायो में गोली के बारे में पता था. सर्वे के अनुसार लोगों में सबसे कम जागरुकता महिला कंडोम के बारे में थी. 

महिलाएं की प्रेग्नेंसी की संभावना कब बढ़ जाती है? 

सर्वे में शामिल ज्यादातर महिला जवाबकर्ता को इस बात की जानकारी नहीं थी. 

  • 6% महिलाओं का मानना है कि पीरियड्स के दौरान शारीरिक संबंध बनाने से गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है. बता दें कि जवाब देने वाली सभी महिलाओं की उम्र 15 से 49 साल तक की है. इनमें कुछ महिलाओं अशिक्षित तो कुछ उच्च शिक्षा प्राप्त है. 
  • 31% महिलाओं का मानना है कि पीरियड्स आने के तुरंत बाद संबंध बनाने से गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है. 
  • 20% महिलाओं का कहना है कि 2 पीरियड्स के बीच में शारीरिक संबंध स्थापित करने से प्रेग्नेसी की संभावना अधिक हो जाती है. 
  • 25% जवाबकर्ताओं का मानना है कि किसी भी समय संबंध बनाना गर्भवती होने की संभावना को बढ़ाता है. 
  • 15% महिलाओं का कहना था कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. 


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गर्भनिरोधन को लेकर महिलाएं ज्यादा जागरूक 

एनएफएचएस-4 के सर्वे के अनुसार भारत में 15-49 साल की 99% विवाहित महिलाएं और पुरुष गर्भनिरोधक की कम से कम एक विधि जानते हैं. 

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गर्भनिरोधक लेना महिलाओं की जिम्मेदारी 

एनएफएचएस का ये डेटा 100000 से ज्यादा पुरुष और 700000 महिलाओं के जवाब पर आधारित है. सर्वे में ज्यादातर महिलाओं (88.4%)  ने कहा कि गर्भनिरोधक गोली लेना उनके पति और उनका संयुक्त फैसला होता है, जबकि 8.3% महिलाओं का का कहना था कि इसका फैसला पति का होता है और करीब 8% महिलाओं ने कहा कि यह उनके खुद का फैसला होता है. 

वहीं पुरुषों का इसी सवाल पर महिलाओं से काफी अलग जवाब था. हर तीसरे पुरुष ने कहा कि गर्भनिरोधन महिलाओं की जिम्मेदारी है और पुरुषों को इसे लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है.

सीधे शब्दों में कहें तो समाज ने अनचाहे गर्भ से बचने के लिए कॉन्ट्रासेप्शन के तरीकों के इस्तेमाल करने की जिम्मेदारी महिला के कंधों पर लादी हुई है, लेकिन पुरुषों का कॉन्ट्रासेप्टिव प्रोटेक्शन से परहेज हमेशा से कायम है. 

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गर्भनिरोधक ज्यादा कारगर पुरुषों पर, लेकिन इस्तेमाल महिलाओं पर

भारत में गर्भनिरोधक गोलियों, कॉपर टी और महिलाओं की नसबंदी का सक्सेस रेट 94 प्रतिशत से लेकर 98 प्रतिशत तक है, जिसका मतलब है कि महिलाएं इन उपायों को अपनाती भी हैं तो 100 में से कम से कम 2 से 6 मामलों में महिलाएं अनचाही प्रेग्नेंसी का शिकार हो सकती हैं. इतना ही नहीं महिलाओं पर इस्तेमाल की जाने वाली कोई भी गर्भनिरोधक तकनीक 100% कारगर नहीं है.  

वहीं पुरुषों पर इस्तेमाल किए जाने वाले Risug का सक्सेस रेट महिलाओं की तुलना में ज्यादा है. इतना ही नहीं पुरुषों की नसबंदी भी केवल 20 मिनट में पूरी हो जाती है, जबकि महिलाओं में यह प्रक्रिया काफी जटिल है. बावजूद इसके भारत में लगभग 97% गर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल महिलाएं ही करती हैं.

पत्नी का संबंध बनाने से इनकार करना कितना सही 

इस सवाल के जवाब में 77.46% ने कहा कि अगर उनके पार्टनर को एसटीडी है तो उनका अपने पार्टनर के साथ संबंध बनाने से इनकार करना बिल्किल सही है. जबकि 77.22% महिलाओं ने धोखा देने और 74.02% महिलाओं ने मन नहीं करने पर संबंध बनाने से इनकार करने को सही ठहराया है. 

इसी सवाल के जवाब में पुरुषों का सोचना भी महिलाओं से मिलता जुलता ही सामने आया है. 70% से ज्यादा पुरुषों ने इस सवाल के जवाब में कहा कि अगर उनके पार्टनर को एसटीडी है, उन्होंने धोखा दिया है या यदि उनके पार्टनर मूड में नहीं हैं तो उनके लिए संबंध बनाने से इनकार करना सही है. 

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सबसे पहले परिवार नियोजन योजना वाला देश भारत 

भारत में सबसे पहले साल 1952 में परिवार नियोजन योजना लागू किया गया था और इसके साथ ही यह दुनिया का पहला सबसे पहला परिवार नियोजन योजना वाला देश बना गया था. 1952 के योजना का मकसद बढ़ती आबादी को रोकना था,  लेकिन आज हालत ये हैं कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन गया है.  

तमाम योजनाओं के बाद भी भारत की आबादी 4 गुना क्यों बढ़ गई? 

इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि भारत में परिवार नियोजन का बोझ केवल महिलाओं के कंधे पर डाला जाता रहा है. भारत के अलावा अमेरिका और यूरोपीय देशों में 20 से 30 प्रतिशत तक पुरुष नसबंदी करवाते हैं, लेकिन भारत में यह दर केवल 0.3 फीसदी है. 

साइंटिफिक रिसर्च में यह भी साफ हो चुका है कि महिलाओं पर इस्तेमाल होने वाला कोई भी गर्भनिरोधक तरीका पूरी तरह से कारगर नहीं है, लेकिन बावजूद इसके परिवार नियोजन की सारी जिम्मेदारी महिलाओं पर डाल दी जाती है. यही कारण है कि आज भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन गया है

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