अखिलेश यादव को CBI ने भेजा समन ! 2019 में IAS बी. चंद्रकला समेत 11 के खिलाफ हुई थी FIR
अखिलेश यादव को CBI ने भेजा समन
कल पहली बार पूछताछ के लिए बुलाया, 2019 में IAS बी. चंद्रकला समेत 11 के खिलाफ हुई थी FIR
सपा प्रमुख अखिलेश यादव को CBI ने समन भेजा है। CBI ने उन्हें अवैध खनन मामले में 29 फरवरी यानी कल पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया है। अखिलेश इस मामले में बतौर गवाह पेश होंगे।
अवैध खनन का यह मामला हमीरपुर में 2012-2016 के बीच का है। जनवरी 2019 में CBI ने इस मामले में चर्चित IAS अफसर बी. चंद्रकला समेत 11 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी।
CBI ने अखिलेश यादव को 160 CRPC में तहत समन भेजा है। यह धारा CBI को बतौर गवाह 18 साल से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को पूछताछ के लिए बुलाने की शक्ति देती है। यह जानकारी सूत्रों से मिली है।
यह मामला अवैध खनन का है, जब यूपी में गायत्री प्रजापति खनिज मंत्री होते थे। तब 22 जिलों में नियमों का उल्लंघन करते हुए अवैध खनन हुआ था, जिसकी शुरुआत हमीरपुर से हुई थी। बाद में इसकी जांच CBI को सौंपी गई थी। CBI ने तब 11 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच शुरू की थी। FIR में हमीरपुर की तत्कालीन DM बी. चंद्रकला , खनिज अधिकारी मोईनउद्दीन, सपा MLC रमेश मिश्रा (अब भाजपा में हैं), संजय दीक्षित और उनके पिता सत्यदेव दीक्षित सहित अन्य लोग शामिल थे।
अवैध खनन के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ रहे अधिवक्ता विजय द्विवेदी ने बताया कि यह यूपी खनन घोटाले का मामला है। यूपी के 22 जिलों में नियमों का उल्लंघन करते हुए अवैध पट्टे किए गए थे। यह मामला कोर्ट में गया था। तब CBI को इसकी जांच सौंपी गई थी।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि अखिलेश के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में एक भी नोटिस नहीं जारी हुआ। चलिए खनन मामले में ही सही, सीबीआई ने अखिलेश को नोटिस तो भेजी है। उम्मीद करता हूं कि मुझे भी न्याय मिलेगा। विश्वनाथ चतुर्वेदी ने ही मुलायम के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दायर किया था, जिसे SC ने खारिज कर दिया था।
हमीरपुर में तब DM थीं बी. चंद्रकला
हमीरपुर अवैध खनन मामले में 2 जनवरी, 2019 को CBI के डिप्टी SP केके शर्मा ने केस दर्ज कराया था। इसके बाद CBI ने IAS बी. चंद्रकला के लखनऊ स्थित फ्लैट समेत 14 जगहों पर छापेमारी की थी। यह छापेमारी कानपुर, लखनऊ, हमीरपुर, जालौन, नोएडा में हुई थी।
इसके बाद आईपीसी की धारा- 379, 384, 420, 511 120 B और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत CBI ने केस दर्ज किया था। FIR में कहा गया था कि 2012 से 2016 के बीच में हमीरपुर में बालू की माइनिंग अवैध तरीके से की गई थी। शिकायतों के मुताबिक, अधिकारी अवैध खनन कर रहे लोगों और अवैध बालू ले जा रहे वाहनों के ड्राइवरों से पैसे ऐंठते थे।
यही नहीं, इसमें आरोप लगाया था कि सरकारी कर्मचारियों ने हमीरपुर में खनिजों का अवैध खनन होने दिया। सरकारी अधिकारियों ने आपराधिक साजिश रची। टेंडर प्रक्रिया का पालन नहीं किया। अवैध रूप से नए पट्टे और नवीनीकरण किया। 2012 से 2016 के बीच अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे। उस वक्त गायत्री प्रजापति खनन मंत्री थे। अवैध खनन सामने आने के बाद उनका विभाग बदल गया था। यह विभाग सीएम के पास आ गया था।
सपा प्रवक्ता बोले-ऑफिशियल रूप से नोटिस नहीं मिला है
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन ने कहा कि मीडिया से जानकारी मिली है कि CBI ने अखिलेश यादव को नोटिस जारी किया है। मगर अभी तक ऑफिशियल रूप से नोटिस नहीं मिली है।
7 दिन पहले हुआ था कांग्रेस-सपा का गठबंधन
21 जनवरी को यानी 7 दिन पहले कांग्रेस और सपा के बीच शीट शेयरिंग फाइनल हुई थी। समझौते के तहत कांग्रेस 17 सीटों पर जबकि सपा 63 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इससे पहले 2017 में दोनों दल विधानसभा चुनाव में साथ आए थे।
अखिलेश यादव का राजनीतिक सफर
- 2000 में पहली बार कन्नौज से लोकसभा सदस्य चुने गए। उसके बाद लगातार दो बार लोकसभा चुनाव जीता।
- दूसरे कार्यकाल के लिए, उन्हें 2004 में 14वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में फिर से चुना गया।
- वह 2009 में 15वीं लोकसभा के सदस्य बने और तीसरी बार फिर से निर्वाचित हुए।
- उन्होंने 2009 से 2012 तक पर्यावरण और वन समिति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी समिति और 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर जेपीसी के सदस्य के रूप में भी कार्य किया।
- 10 मार्च 2012 को उन्हें यूपी में समाजवादी पार्टी का नेता नियुक्त किया गया।
- 15 मार्च 2012 को 38 साल की उम्र में अखिलेश यादव यूपी के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने।
- उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य में विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए 2 मई 2012 को 15वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया।
- 2017 के विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व वाला सपा-कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाने में सक्षम नहीं था और इसलिए उन्होंने 11 मार्च को राज्यपाल राम नाइक को इस्तीफा सौंप दिया।
- मई 2019 में उन्हें आजमगढ़ लोकसभा से संसद सदस्य के रूप में चुना गया।
- 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव जीता और आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दिया।