बच्चों को भीख मांगने की ट्रेनिंग देने वाला गैंग !

बच्चों को भीख मांगने की ट्रेनिंग देने वाला गैंग:दिन के हिसाब से देते हैं भगवान की फोटो; दुआ देने का तरीका भी सिखाते

20 से 25 बच्चों को इनकी गैंग का एक लीडर ट्रेनिंग देता था। वह उम्र के हिसाब से डायलॉग याद कराता था। जैसे महिलाओं को बच्चे और परिवार के आधार पर दुआ देनी है। युवाओं को नौकरी की। 7-8 महीने भीख मंगवाने के बाद इन लोगों ने जबरदस्ती मुझे दिल्ली भेज दिया। वहां बंधक बना लिया।

दिल्ली में यह गैंग मुझे बेचने का प्लान कर रहा था। एक दिन मौका पाकर वहां से भाग निकली। पुलिस के पास गई। पुलिस ने आगरा की महफूज संस्था से संपर्क करके मुझे परिवार के पास पहुंचाया। भगवाना की शुक्रगुजार हूं कि मैं बच गई।

ये कहानी सिर्फ एक मनीषा की नहीं, बल्कि ऐसी हजारों मनीषा आगरा की सड़कों पर घूम रही हैं। भीख मांगने के इस गैंग का पूरा नेक्सस है। दैनिक भास्कर ने पड़ताल की। प्रमुख चौराहों पर जाकर देखा। आइए एक तरफ से इसे जानते हैं…

ये तस्वीर सेंट जॉन्स चौराहे पर बने मंदिर की है। हर मंगलवार को बच्चे इसी तरह मंदिर के बाहर बैठ जाते हैं। आने वाले लोगों से प्रसाद और पैसे मांगते हैं।
ये तस्वीर सेंट जॉन्स चौराहे पर बने मंदिर की है। हर मंगलवार को बच्चे इसी तरह मंदिर के बाहर बैठ जाते हैं। आने वाले लोगों से प्रसाद और पैसे मांगते हैं।

भगवान टाकीज चौराहा: दोपहर 2 बजे
….रिपोर्टर जब यहां पहुंची, तो 20 से ज्यादा बच्चे भीख मांग रहे थे। कोई खाने का बहाना बता रहा है, तो कोई मां बीमार है बता रहा था। उसी जगह पर एक युवक खड़ा था। वह इनका सुपरवाइजर था। वह एक-एक बच्चे पर नजर रखे था। वही युवक रोस्टर के हिसाब से इन बच्चों की जगह और चौराहे अलॉट करता है।

भीख मांग रहे एक बच्चे से बात करने की कोशिश की गई, तो वह वहां से भाग गया। यही नहीं, वह युवक भी एक्टिव हो गया। थोड़ी देर में बच्चे वहां से हट गए। दरअसल, मनीषा ने बताया था कि जब भीख मांगने की ट्रेनिंग दी जाती है, तो ये भी बताया जाता है कि कोई कुछ पूछे या फोटो खींचे तो वहां से हट जाना।

यही नहीं, जब दूसरे बच्चों से सवाल किया, तो वह भी वहां से भाग गए। इस दौरान एक-दो बुजुर्ग भिखारी आ गए। यह भी इस गैंग की ट्रेनिंग का हिस्सा रहा है। बच्चों को सिखाया जाता है कि अगर कहीं फंस रहे हो, तो चौराहे पर ही दूसरे बड़े भिखारियों को माता-पिता बना कर उनके पास पहुंच जाओ।

ये तस्वीर हरी पर्वत चौराहे की है। बच्ची नींबू-मिर्च लेकर बेचती है। ये काम भी उन्हें सिखाया जाता है। किस तरह डर दिखाकर नींबू-मिर्च बेचना है।
ये तस्वीर हरी पर्वत चौराहे की है। बच्ची नींबू-मिर्च लेकर बेचती है। ये काम भी उन्हें सिखाया जाता है। किस तरह डर दिखाकर नींबू-मिर्च बेचना है।

आगरा में 6 से 7 गैंग भीख मंगवाने के काम में एक्टिव…
आगरा में भीख मांगने वाले बच्चों पर काम करने वाली संस्था महफूज के एक अफसर बताते हैं कि ये तस्वीर सिर्फ एक चौराहे की नहीं है। आगरा में भगवान टॉकीज से लेकर प्रतापपुरा चौराहे तक करीब 100 बच्चे रोजाना भीख मांग रहे हैं। इस पूरे सिस्टम को चलाने के लिए 6 से 7 गैंग हैं। बस्तियों से यह बच्चों को लेकर आते हैं। उनको ट्रेंड करके उनसे भीख मंगाते हैं।

यही नहीं, इस गैंग के जो सुपरवाइजर हैं। वह भी चौराहे पर कुछ न कुछ काम करते हैं, ताकि उन पर किसी को शक न हो। जैसे कुछ गुब्बारे, गाड़ी साफ करने वाले कपड़े और खिलौने बेचते हैं। ऐसा करते हुए यह वहां भीख मांग रहे बच्चों पर नजर रखते हैं। लोग बच्चों को भीख दें, इसलिए नकली चोट दिखाने के लिए पट्टी भी बांध दी जाती है।

लड़की को रोका, तो भागकर एक महिला के पास चली गई
….रिपोर्टर रावली मंदिर के पास पहुंची। यहां एक 6-7 साल की बच्ची हाथ में कबाड़ पकड़े एक तरफ चले जा रही थी। टीम ने उसे रोका तो वो चुप हो गई। उसके मुंह पर सफेद रंग का पाउडर लगा हुआ था। उससे पूछा कहां जा रही हो? कहां रहती हो? तो बड़बड़ाने लगी। फिर पूछा स्कूल जाती हो? तो बोली कि मेरी मम्मी वहां खड़ी हैं, उनके पास जा रही हूं।

थोड़ी ही दूर पर एक महिला सफेद पाउडर लगाए खड़ी थी। सफेद पाउडर क्या है, तो बोली कि दवाई है। बच्ची के फुंसी हो गई है, इसलिए उसे दवा खिलाई है। एनजीओ के कर्मचारी बताते हैं कि पैसा मांगने पर लोग तुरंत दे दें। इसलिए, वह इस तरह का पाउडर चेहरे पर लगा लेती हैं, ताकि बीमार लगे।

रेस्क्यू करने वाली संस्थाएं बच्चों को रेस्क्यू करने के बाद अन्य लोगों मैसेज पहुंचाने के लिए इस तरह के काम करती हैं।
रेस्क्यू करने वाली संस्थाएं बच्चों को रेस्क्यू करने के बाद अन्य लोगों मैसेज पहुंचाने के लिए इस तरह के काम करती हैं।

दिन के हिसाब से भगवान की तस्वीर लेकर निकलते हैं…
बातचीत और पड़ताल के दौरान यह भी पता चला कि भीख मांगने वाले बच्चों के हाथ में हर दिन के हिसाब से भगवान की फोटो दी जाती है। सोमवार को महादेव, मंगलवार को हनुमान, गुरुवार को साईं बाबा और शनिवार को शनि देव के नाम पर पैसा मांगते हैं। नवरात्रों में यह 9 दिन तक देवी की फोटो लेकर घूमते हैं।

सिर्फ इतना ही नहीं, दिन के हिसाब से भगवान के मंदिरों बैठते हैं। मसलन, मंगलवार को हनुमान मंदिर के सामने बैठते हैं। सोमवार को भगवान शिव के मंदिरों पर पहुंच जाते हैं। शनिवार को शनि देव के मंदिरों के बाहर पहुंच जाते हैं।

कोशिश फाउंडेशन के सदस्य नितिन शुक्ला कहते हैं, रेस्क्यू किए गए बच्चों ने बताया कि भीख मांगने के लिए थाली भी किराए पर मिलती है। पांच रुपए में एक थाली किराए पर दी जाती है। तीन थाली लेने पर 3 रुपए का डिस्काउंट दिया जाता है। इस थाली में कुछ फूल और दिन के अनुसार भगवान की फोटो रहती है। दिनभर मांगने के बाद शाम को थाली वापस करनी होती है।

5 सालों में रेस्क्यू किए गए बच्चों में से 150 का स्कूल में एडमिशन कराया
महिलाओं और बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले महफूज सुरक्षित बचपन संस्था के कोऑर्डिनेटर नरेश पारस ने बताया कि उन्होंने साल 2020 के नवंबर और दिसंबर महीने में शहर के एमजी रोड पर सर्वे किया था। 2021 में भगवान टॉकीज से प्रतापपुरा चौराहे तक 48 और 2022 में 65 बच्चों को भीख मांगते हुए चिह्नित किया था। रिपोर्ट भी प्रशासन को दी थी।

जिसके बाद चाइल्ड-लाइन और महफूज (सुरक्षित बचपन संस्था) की ओर से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए गए। दो रेस्क्यू ऑपरेशन में 114 बच्चों को रेस्क्यू किया गया था। इन बच्चों की उम्र 6 से 12 साल के बीच थी। जिन बच्चों को रेस्क्यू किया गया, उनमें से लोकल बच्चों का स्कूलों में एडमिशन करवा दिया गया।

रेस्क्यू किए गए बच्चों में से कई बच्चे बाहरी राज्य बिहार और राजस्थान के थे। जिनके परिवारों को ट्रैक किया गया फिर सकुशल बच्चे उन्हें सौंपे गए थे। अब तक पिछले 5 सालों में 150 बच्चों का स्कूल में एडमिशन करवाया जा चुका है।

ये तस्वीर अबू लाला की दरगाह के पास की है। महफूज संस्था के कोआर्डिनेटर नरेश पारस ने बच्चे को रेस्क्यू किया था।
ये तस्वीर अबू लाला की दरगाह के पास की है। महफूज संस्था के कोआर्डिनेटर नरेश पारस ने बच्चे को रेस्क्यू किया था।

मेकअप करके खुद को भीख मांगने के लिए करते हैं तैयार
कारगिल चौराहे पर रेस्टोरेंट चलाने वाले मनीष अग्रवाल ने बताया कि कुछ बच्चों का गैंग है, जो रेस्टोरेंट, ठेले, फूड स्टॉल्स के पास भीख मांगते हैं। इनकी उम्र 2 से 7 साल के बीच की है। हालत ऐसी दिखाई जाती है कि जैसे कई दिन से भूखे हैं। मनीष का कहना है कि यह बिल्कुल प्रोफेशनल तरह से काम करते हैं। मेकअप भी वैसा ही करते हैं। एक दिन में एक से दो हजार रुपए कमा कर जाते हैं।

ऑटो में भरकर लाता था बच्चों को
रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़ी वॉलंटियर दीक्षा भारद्वाज ने बताया कि एक रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान उन्हें जानकारी मिली कि एक आदमी 10-12 बच्चों को रोज ऑटो में भरकर लाता है। हर दिन अलग-अलग चौराहों पर उतारता है। दिन भर ऑटो चलाता है। रात में बच्चों को ऑटो में भरकर वापस ले जाता है। कई बच्चों ने रेस्क्यू होने के बाद बताया था कि वे आगरा के रहने वाले नहीं हैं, बल्कि दूसरे शहरों में उनके माता-पिता रहते हैं।

भीख मांगते थे…अब 4 बच्चों ने दिए बोर्ड एग्जाम
महफूज संस्था के अधिकारी बताते हैं कि भीख मांगते हुए जिन बच्चों को रेस्क्यू किया गया, उनमें से 4 बच्चों ने इस साल बोर्ड एग्जाम दिए हैं। इसमें एक बच्चे का नाम शेर अली है। वह बताते हैं कि वह 7 बहन और एक भाई हैं। वह पहले भीख मांगते थे। बाद में वह महफूज संस्था के संपर्क में आए। इसके बाद स्कूल में एडमिशन कराया। अब इंटर का एग्जाम दे रहा हूं। आगे ग्रेजुएशन की तैयारी है। शेर अली ने अग्निवीर के लिए भी अप्लाई किया था।

आगरा में भिखारियों के इतने गैंग क्यों?
यूपी टूरिज्म के आंकड़ों के मुताबिक, आगरा में साल 2023 के शुरुआती 9 महीनों तक ही 6 लाख से ज्यादा विदेशी पर्यटक पहुंचे हैं। इसीलिए, यहां भीख मांगने के गैंग ज्यादा एक्टिव हैं।

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